इतिहासिक राधा कृष्ण मंदिर मे उमड़ा श्रद्धालु का सैलाब /टीपुर जलाकर पांच दिवसीय मेले का हुआ शुभारंभ
सुशील उचबगले की रिपोर्ट
तिरोड़ी बालाघाट
*मंदिर की स्वयं भगवान की प्रेरणा से रखी गई नीव*
*कटंगी बालाघाट*
*जनपद क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत जराहमोहगांव के सलिला चंद्रभागा तट पर -महाविष्णु- यज्ञ की पावन धरा का अपना इतिहास है-कहा जाता हैं की भगवान राधा- कृष्ण ने इतिहासिक मंदिर की नीव रखी है*
साल के कार्तिक पूर्णिमा में यहां पांच दिवसीय मेले का भव्य आयोजन किया जाता है। हर साल यही परम्परा जारी है पूरी आस्था श्रद्धा के साथ ग्रामीण अंचलो से हजारों श्रद्धालु एवं दूरदराज से नागरिक अपनी मनोकामना लेकर यहां पर पहुंचते है
कार्तिक पूर्णिमा के देर शाम टीपुर जलने के साथ ही ऐतिहासिक मेले की शुरुआत की जाती है
पुजारी जवाहरलाल पंचेश्वर ने संवाददाता को विस्तार से बताया कि मंदिर में पहले दिन हजारों श्रद्धालुओं ने सुबह से शाम तक पूजा अर्चना की
रात्रि में 151यजमानो व पंडित आशीष तेलंग एवं पंडित राम बिहारी शुक्ला ने मंगलाष्टक वेदों युक्त मंत्र उच्चारण किया इसी के साथ ही राधा कृष्ण मंदिर में त्रिपुर उत्सव मनाया गया
दूसरे दिन काफी बड़ी तादात में ग्रामीणजन ने गंगा मैया में श्रद्धा की डुबकी लगाकर गंगा मैया की आरती कर परंपरा अनुसार दीपदान किया
*मंदिर की नीव स्वयं भगवान ने रखी*
प्राचीन मान्यता है कि- लगभग 600 वर्ष पूर्व लालबर्रा के रामजी टोला के मरार जाति के निर्धन व्यक्ति बंग महाजन पंचेश्वर को भगवान ने स्वप्न दिया कि- तू मेरा मंदिर जराहमोहगांव एवं अपने गांव में बना/स्वप्न में ही उसने भगवान से कहा हे प्रभु मैं गरीब आदमी हूं मेरी एक पत्नी और एक पुत्र है मैं रोज कमाता खाता हूं मेरे पास मंदिर बनाने के लिए पैसे नहीं है भगवान उसे कहते हैं कि तू काम शुरू कर मैं पैसे दूंगा उस व्यक्ति ने सुबह उठकर गांव के पटेल महाजनों से अपने सपने की चर्चा की उसकी बात सुनकर लोगों को आश्चर्य हुआ एवं उसका विश्वास ना करते हुए लोग मजाक समझने लगे उस व्यक्ति ने उन लोगों से आग्रह किया कि इसे मजाक मत समझो विश्वास मानो मुझे मंदिर बनाने के लिए जमीन बताओ भगवान की दया से मैं मंदिर बनवाऊंगा अंततः माल गुजार अंसेरा निवासी गौरव सिंह पारधी के दादा जी स्वर्गीय खंडगसिंह पारधी जी ने जमीन दे दी उसने मालगुजार से कहा मजदूर लगा दो और मंदिर की नींव खोद दो काम शुरू हो गया भगवान ने उसे फिर स्वप्न दिया और कहा तेरे घर में एक हांडी में पैसे हैं मजदूरों को चुकारा दे देना मजदूर उसके पास जाते वह व्यक्ति उस हांडी में हाथ डालता और मजदूरों को पैसा दे देता अब लोगों को विश्वास हो गया काम जोरों से शुरू हो गया मजदूर रोज काम करते और रोज मजदूरी लेते जब भगवान का मंदिर बन गया तब उसे भगवान ने फिर स्वप्न दिया कि तू अपना भी एक मंदिर बना वहां मंदिर निर्माणकर्ता भक्त के नाम से रहेगा उसने दूसरे मंदिर का भी निर्माण किया और भगवान की प्रेरणा से दोनों मंदिर के बीच एक कुआं बनवाया और मंदिर में मूर्ति स्थापित की फिर भी उसके पास पैसा बच गया बचे हुए पैसे को उसने उसे कुएं में डाल दिया मान्यता यह भी है कि वह पैसा वर्तमान में शेषनाग बनाकर मंदिर व ग्राम की रक्षा करता है/तब से लेकर ग्राम जराहमोहगांव आस्था व श्रद्धा का पूजा स्वामी के नाम से जाना जाता है लाखों श्रद्धालुओं की इच्छाएं पूरी होती है प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कथा पूजन टीपूर उत्सव पर्व एवं पांच दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जहां दूर-दूर से आए लोग -अपने दुकान लगाते हैं 5 दिनों तक इस मंदिर में भक्तों का ताता लगा रहता है भगवान से आस्था व श्रद्धा से जो भी मांगे वही फल मिलता है और वे सभी श्रद्धालु भक्त कार्तिक पूर्णिमा में कथा पूजन करते हैं
*भगवान स्वयं भक्तों कि रक्षा करते हैं*
*सत्य कथा है जिसे ग्रामीण कभी नही भूलते बताया जाता हैं की राधा-कृष्ण भगवान के मंदिर में विगत 40 वर्ष पूर्व मंदिर में रामायण पढ़ने हेतु श्री डीपी मिश्रा गुरुजी एवं मूलचंद नागेश्वर को मंदिर प्रांगण में ही एक जहरीले बिच्छू ने काट दिया था किंतु वे भक्त रामायण पढ़ते रहे लेकिन इन्हें कुछ भी नहीं हुआ ऐसे ही तात्कालिक घटना विगत दिनांक 28 में 2009 को दोपहर 2:30 बजे वैसाख पूर्णिमा के दिन स्वयं कृष्ण भगवान की मुरली की धुन ग्राम वासियों ने सुनी तथा इस दिन में भयंकर तूफान बादलों की गड़गड़ाहट भी हुई लेकिन किसी भी प्रकार की कोई जनहानि नहीं हुई*