*डॉ. बी.आर.अंबेडकर विश्वविद्यालय में जननायक टंट्या भील के शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि एवं राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित*
इंदौर, 4 दिसम्बर
डॉ. बी.आर.अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में गुरुवार को *जननायक टंट्या भील के 136वें शहादत दिवस* के अवसर पर प्रशासनिक भवन में पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं प्रशासनिक अधिकारियों और विद्यार्थियों ने उनके बलिदान को नमन किया।
विश्वविद्यालय के कुलगुरू डॉ.रामदास आत्रम एवं प्रति कुलगुरु डॉ. डी.के. वर्मा के मार्गदर्शन में जननायक टंट्या भील शोधपीठ द्वारा *एक दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय वेबिनार* का आयोजन किया गया।
वेबिनार के *मुख्य वक्ता डॉ. चंद्रकांत बंसीधर भांगे (श्री शिवाजी महाविद्यालय, परभणी, महाराष्ट्र)* रहे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि युवाओं को बिरसा मुंडा एवं टंट्या भील जैसे महापुरुषों से प्रेरणा लेते हुए जल, जंगल और जमीन की रक्षा के साथ अपने अधिकारों के प्रति सदैव जागरूक एवं सजग रहना चाहिए।

उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर के तीन सूत्र — शिक्षित बनो, संगठित बनो और संघर्ष करो — को जीवन का मूल मंत्र बताते हुए कहा कि इन्हें अपनाकर ही समाज और राष्ट्र का विकास संभव है। एवं कहा कि जब समाज का सबसे वंचित वर्ग मुख्यधारा से जुड़ जाएगा, तभी जननायक टंट्या भील को सच्ची श्रद्धांजलि मानी जाएगी।
एवं डॉ.अशोक कुमार नेगी और श्री पंकज ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में *प्रशासनिक समन्वयक डॉ. अजय वर्मा, डॉ.मनीषा सक्सेना (संकाध्यक्ष), एवं डॉ.जगत सिंह मंडलोई (विभागाध्यक्ष),एवं डॉ. प्रदीप कुमार* ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
वेबिनार में छात्रों ने भी अपने विचार व्यक्त किए जिसमे B.A.LL.B के छात्र *श्रवण कुमार चौधरी,जितेंद्र गाबड़,अवधेश गुर्जर* प्रमुख रूप से रहे।
कार्यक्रम का संचालन पीठ प्रभारी एवं विधि विभागाध्यक्ष “डॉ.संगीता मसानी” ने किया।
डॉ.जगत सिंह मंडलोई* ने वेविनार में उपस्थित सभी का आभार व्यक्त करते हुए, जननायक टंट्या भील के जीवन संघर्ष और बलिदान को स्मरण करते हुए उनके आदर्शों पर चलने के संकल्प के साथ कार्यक्रम का समापन किया।
