मानगढ़ धाम से उठी भील प्रदेश की मांग, चार राज्यों के आदिवासी हुए एकजुट
विजय गिरवाल / जेबीटी टाइम्स:-
राजस्थान के पवित्र मानगढ़ धाम पर एक बार फिर भील प्रदेश की मांग जोर पकड़ती दिखी। राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के हजारों आदिवासी प्रतिनिधि यहां एकत्र हुए और भील प्रदेश संदेश यात्रा की शुरुआत की गई। इस ऐतिहासिक यात्रा का नेतृत्व बांसवाड़ा-डूंगरपुर से सांसद राजकुमार रोत ने किया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रस्तावित भील प्रदेश में चारों राज्यों के पिछड़े और आदिवासी बहुल क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा।
मध्य प्रदेश के पीथमपुर, महू और तारपुरा क्षेत्र से भी कई कार्यकर्ता इस आंदोलन में शामिल हुए। पीथमपुर के समाजसेवी डॉ. हेमंत हिरोले ने कहा कि आदिवासियों की मांगें 70 वर्षों से अनसुनी की जा रही हैं जबकि वे इस देश के मूल निवासी हैं। उन्होंने यह भी दोहराया कि यह आंदोलन अब रुकेगा नहीं।
राजकुमार रोत ने अपने संबोधन में कहा, “जो आदिवासी समुदाय का विरोधी है, वह विदेशी है।” उन्होंने बताया कि भील प्रदेश की यह मांग कोई नई नहीं बल्कि 108 वर्ष पुरानी है, जिसकी नींव 1913 में गोविंद गुरु ने मानगढ़ नरसंहार के बाद रखी थी – जिसे ‘आदिवासी जलियांवाला बाग’ भी कहा जाता है।
सम्मेलन में नेताओं ने न सिर्फ संवैधानिक अधिकारों की बहाली पर ज़ोर दिया, बल्कि आदिवासी समाज से नशा जैसी सामाजिक बुराइयों से मुक्ति की अपील भी की।