*आदि गुरू शंकराचार्य जी की जयंती पर हुआ व्याख्यान कार्यक्रम*
म.प्र.जन अभियान परिषद विकासखंड लांजी में परिषद एवं शासन के निर्देशानुसार आदि गुरू शंकराचार्य की जयंती के अवसर 06 मई 2022 से 12 मई 2022 के मध्यप अदैत्य वेदांत दर्शन के प्रणेता , एकात्म मानववाद के संवाहक आदि गुरु शंकराचार्य स्वामी के दर्शन को प्रबुद्धजनों तक पहुँचाने के लिए स्वामी जी के जन्मदिवस को प्रदेश में एकात्म पर्व के रूप में मनाया जा रहा है । इसी तारतम्यप में विकासखंड लांजी में म.प्र. जन अभियान परिषद द्वारा साकेत पब्लिक स्कूरल लांजी में विकासखंड स्तमरीय आदि गुरू शंक्राचार्य जी के जन्म् उत्साव पर एकात्म पर्व के अंतर्गत दिनाँक 8 मई 2022 को व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ श्री श्यामलाल पांडेजी वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं गायत्री शक्ति पीठ लांजी, आई.एस चौहान जी वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं गायत्री शक्ति पीठ लांजी, श्रीमती हेमलता विजयवंशी वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं आनंद सहयोगी जिला बालाघाटके मुख्य आतिथ्य में हुआ। सर्वप्रथम मां भारती एवं आदि गुरु शंकराचार्य जी के छायाचित्र में माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन किया गया। तत्तपश्चा्त श्री राकेश महोबिया कार्यक्रम प्रभारी के द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा से अवगत कराया गया। जिसके पश्चयत कार्यक्रम कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री श्यामलाल पाण्डे जी द्वारा आदि गुरू शंकराचार्य का अद्वैत दर्शन अर्थात ब्रम्हा ही एक मात्र सत्य है और आत्मा ब्रम्हा का रूप है आत्मा और ब्रम्हा में द्वेत नहीं है को चरितार्थ करने वाली आदि शंकराचार्य के व्याख्यान से अवगत कराया एवं कहा की ब्रम्हा स्वयं प्रकाश है निगुण और निष्क्रिय है, द्विव्य और अनंत है, व सत चित आनंद है प्रमाणों द्वारा ज्ञात नहीं है एवं आदि गुरू शंकराचार्य जी के जीवन के विषय में विस्तार से बताया। इसी क्रम में श्रीमति हेमलता विजयवंशी द्वारा बताया गया कि आदि गुरू शंकराचार्य ने सगुण और निगुर्ण ब्रम्हा को परिलक्ष्ति करते हुये कहा है कि अद्वैत वेदांत में ब्रम्हा के दो स्वारूप माने गये है नाम रूप आदि उपाधियों से युक्त सगुर्ण ब्रम्हा और समस्त उपाधियों से रहित निर्गुण ब्रम्हा् अर्थात तात्विक दृष्टि से दोनो एक ही है दोनो में भेद नहीं है सगुण ब्रम्हा माया की उपाधि से संयुक्त् होते है सविशेष ब्रम्ह या ईश्वर कहलाता है तथा सगुण ईश्वर अपर ब्रम्हा है। साथ ही इन्होंने ने इनके द्वारा बाल्यावस्थाै में किये गये कार्यो एवं उनके जन्म के विषय में विस्तार से बताया। इसी क्रम में श्री आई.एस.चौहान जी के द्वारा बातया गया कि अद्वैत दर्शन में आत्मा ज्ञान का विषय नहीं है वह स्वयं ज्ञाता है। वह दृष्टा है चेतना आत्मा् का गुण नहीं है वास्तव में अत्मा निर्गुण है। चेतना आत्मा का स्वतरूप है। आत्मा और ब्रम्हा एक ही लेकिन अविद्या जनित शरीर के कारण आत्मा सीमित जीव आत्मा की तरह प्रतित होता है। साथ बताया कि व्येक्ति को अपने जीवन में सामाजिक कार्य के साथ साथ धार्मिक गतिविधियों में भी जुडे रहना चाहिए जिससे व्यक्ति का सार्वभौमिक विकास होता है। कार्यक्रम में म.प्र.जन अभियान परिषद के परामर्शदाता श्री संदीप रामटेक्कर, श्रीमती ज्योति शक्करपुडे, परिषद से जुडी स्वयंसेवी संस्थाऐं एवं ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति के सदस्य, बी.एस.डब्लू पाठ्यक्रम के छात्र/छात्राऐ, साकेत पब्लिक स्कू्ल लांजी के एन.सी.सी.कैडेटस, विकासखंड किरनापुर की प्रस्फुटन समिति के सदस्य उपस्थित रहे।
*आदि गुरु शंकराचार्य जी की जयंती पर हुआ व्याख्यान कार्यक्रम*
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