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उतराखंड की राजधानी देहरादून का नाम कर्णावती नगर रखा जाए – सूरज ब्रम्हे

उतराखंड की राजधानी देहरादून का नाम कर्णावती नगर रखा जाए – सूरज ब्रम्हे

( यमुनौत्री को जिला बनाया जाए साथ ही गंगा के जल को प्रदूषित कर रहे छोटे नाले को रोका जाए – एड.विपिन सोनी )

नरेन्द्र मोदी विचार मंच राष्ट्रीय राष्ट्रीय संयोजक सूरज ब्रम्हे, उतराखंड अधिवक्ता मंच के प्रदेश अध्यक्ष एड. विपिन सोनी, उतराखंड प्रदेश महामंत्री संजीव कुमार ठाकुर ने हरिद्वार जिला कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन देकर उतराखंड के महामहिम राज्यपाल एवं मा. मुख्यमंत्री से मांग की है कि उतराखंड राज्य की राजधानी देहरादून का नाम बदलकर उतराखंड की वीरांगना, शिरोमणि, अदम्य साहसी और नीति कुशल 16 वी सदी की रानी कर्णावती के नाम पर कर्णावती नगर रखा जाये तथा यमुनौत्री को जिला बनाया जाये एवं गंगा मैया के जल को प्रदूषित करने वाले छोटे नाले को गंगा में मिलने से रोका जाये तथा दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट होते हुवे चांदनी चौक तक आने वाली सड़क मार्ग का नाम रानी कर्णावती के नाम पर रानी कर्णावती मार्ग रखा जाये। पत्र में आपने लिखा है

कि उतराखंड टिहरी गढ़वाल की महारानी कर्णावती अपने पति महीपति शाह की मृत्यु के पश्चात अपने सात वर्ष के बेटे पृथ्वीपति शाह के बालिग होने तक सम्पूर्ण राज्य काज चलाया साथ ही राज्य की सुरक्षा का भार अपने कंधों में लेकर सूझ-भुझ से राज्य का संचालन किया। 16 वी सदी में उस समय दिल्ली में मुगल बादशाह शाहजहां का शासन था। महारानी कर्णावती को अनुभवहीन और कमजोर समझ कर शाहजहां ने टिहरी गढ़वाल पर आक्रमण करने की योजना बनाकर अपने सेनापति नजावत खां को अपने लाखों सैनिकों के साथ टिहरी गढ़वाल पर आक्रमण करने भेजा।

मुगल सेना नजावत खां की अगुवाई में मुगल सैनिक दूनघाटी से होते हुवे शेरगढ़, संतुरगढ़, ननोरगढ़, कालसी, बैरातगढ़, को कब्जा कर सिरमौर के राजा को सौप दिया था। मुगलों के आक्रमण की खबर महारानी कर्णावती को लगते ही महारानी कर्णावती ने अपने सेना नायक से परामर्श किया। ( तब तक मुगल सैनिक दूनघाटी को रौंदती हुई हरिद्वार गंगा पार के इलाके चीला, गोहरी, कुमाऊँ, लक्ष्मण झूला, मोहन चट्टी, के रास्ते श्रीनगर तक पहुंचने की तैयारी कर चुके थे ) इसकी खबर रानी कर्णावती को लग चुकी थी रानी ने अपने सूझ-बूझ से शाहजहां के सेनापति नजावत खां को संदेश पहुंचाकर 10 लाख रुपिया देने और उनके अधीन रहना स्वीकारते हुवे ऋषिकेश के पास रुकने को कहा। नजावत खां डेढ़ महीने तक इन्तेजार करता रहा। किन्तु रानी कर्णावती ने बीच मे मात्र एक लाख रुपिया पहुंचाई। किन्तु बीच रास्ते मे ही टिहरी गढ़वाल के सैनिक उन रुपियों को लूट कर नजावत खां के सैनिकों को मार दिये गए । ऐसे में नजावत खां के काफी सैनिक मारे गए और कुछ भूख-प्यास तथा बीमारी में मर गए। जितने सैनिक नजावत खां के पास बचे थे उन पर महारानी कर्णावती ने ( जहां आज लक्ष्मण झूला है वहाँ पर उस समय लकड़ी का कच्चा पुल बना था ) उस पुल पर दोनों तरफ से मुगल सैनिकों पर आक्रमण कर ऊपर पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर फेका गया इस अचानक आक्रमण से मुगल सैनिक घबरा कर कुछ सैनी गंगा में गिर कर अपनी जान गवां बैठे और कुछ सैनिक मार दिए गए। जो 35 हजार सैनिक बचे थे उन सैनिकों ने अपनी जान बचाने के लिए रानी के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। महारानी कर्णावती ने सभी सैनिकों और नजावत खां के नाक और कान काटकर सभी सैनिकों को छोड़ दिया। शाहजहां का सेनापति नजावत खां अपनी बेइज्जती बर्दास्त नही कर सका और आत्महत्या कर लिया। उसके बाद से ही कोई भी मुगल शासक या अंग्रेजों ने कभी टिहरी गढ़वाल पर आक्रमण करने की नही सोची। इतिहास साक्षी है हमारे देश की राजधानी में अनेकों बार कभी मुगलों ने राज किया कभी अंग्रेजों ने राज किया लेकिन टिहरी गढ़वाल के तरफ किसी ने आँख उठाकर नही देखा। 35 हजार मुगल सैनिकों के नाक और कान काटने के कारण ही महारानी कर्णावती को नाक काटी रानी के नाम से भी जाना जाता है। नरेन्द्र मोदी विचार मंच के राष्ट्रीय संयोजक सूरज ब्रम्हे , अधिवक्ता मंच उतराखंड के प्रदेश अध्यक्ष एड. श्री विपिन सोनी एवं नरेन्द्र मोदी विचार मंच के प्रदेश महामंत्री संजीव कुमार ठाकुर ने पत्र में लिखा है कि देहरादून का नाम पूर्व में कौरव-पाण्डव के गुरु द्रोणाचार्य के नाम पर द्रोण नगर था। साथ ही 16 वी सदी में महारानी कर्णावती ने देहरादून के पास कर्णपुर नामक एक गांव बसाया है और देहरादून में पानी की समस्या को देखते हुवे वहाँ एक नहर का निर्माण कराया है।

नरेन्द्र मोदी विचार मंच राष्ट्रीय संयोजक सूरज ब्रम्हे, अधिवक्ता मंच के प्रदेश अध्यक्ष एड.विपिन सोनी एवं प्रदेश महामंत्री संजीव कुमार ठाकुर ने उतराखंड के महामहिम राज्यपाल महोदय एवं मा.मुख्यमंत्री जी से मांग की है कि उतराखंड टिहरी गढ़वाल की वीरांगना, शिरोमणि, अदम्य साहसी, और नीति कुशल महारानी कर्णावती के नाम पर उतराखंड की राजधानी देहरादून का नाम बदलकर कर्णावती नगर रखा जाये साथ ही गंगा मैया में छोटे-छोटे नाले मिलकर गंगा मैया के जल को प्रदूषित कर रहें है। उन नालों को गंगा में मिलने से रोका जाए तथा यमुनौत्री से जिला मुख्यालय की दूरी को देखते हुवे यमुनौत्री को जिला बनाया जाये। एवं दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से इंडियागेट होते हुवे चांदनी चौक तक जाने वाली मुख्य सड़क मार्ग का नाम रानी कर्णावती मार्ग रखा जाये। 

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