एक साथ जन्में चार बच्चों को 53 दिनों
के उपचार के बाद एसएनसीयू से किया गया डिस्चार्ज
23 मई 2022 को जिला चिकित्सालय बालाघाट में किरनापुर तहसील के ग्राम जराही की 26 वर्षीय प्रीति नंदलाल मेश्राम ने एक साथ 04 बच्चों को जन्म दिया था। इनमे तीन लड़के एवं 01 लड़की शामिल है। जन्म के समय इन शिशुओं की हालत बहुत नाजुक थी और उनका जीवित रह पाना मुश्किल लग रहा था। लेकिन आज 14 जुलाई 2022 को 53 दिनों के उपचार के बाद स्वस्थ्य होने पर जिला चिकित्सालय बालाघाट की गहन शिशु चिकित्सा ईकाई एसएनसीयू से इन शिशुओं को डिस्चार्ज कर दिया गया है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ निलय जैन के नेतृत्व में डॉ सुधा जैन, डॉ ज्योत्सना मेश्राम एवं एसएनसीयू की पूरी टीम ने अथक परिश्रम कर इन चारों शिशओं को नया जीवन दिया है। एक साथ चार बच्चों के जन्म लेने एवं उनके जीवित रहने का यह बालाघाट जिले में अपनी तरह का पहला मामला है।
खिलौने एवं कपड़े उपहार में दिये गये
ग्राम जराही की प्रीति एवं नंदलाल मेश्राम अपने चारों शिशुओं को लेकर एम्बुलेंस से अपने गांव पहुंच गये है। 51 दिनों के उपचार के बाद इन शिशुओं की एसएनसीयू से बिदाई के समय सिविल सर्जन डॉ संजय धबड़गांव भी मौजूद थे। इस अवसर पर डॉ निलय जैन ने चारों शिशुओं को पौष्टिक आहार प्रदाय करने के लिए उनके माता-पिता को अपने स्वयं की ओर से 02 हजार रुपये की राशि प्रदान की। पत्रकार श्री अनिल नामदेव ने भी इन शिशुओं के लिए 01 हजार रुपये की राशि प्रदान की है। बिदाई के समय चारों शिशुओं के लिए एसएनसीयू के स्टाफ की ओर से उपहार स्वरूप कपड़े एवं खिलौने भी प्रदान किये गये। सिविल सर्जन डॉ संजय धबड़गांव ने इन शिशुओं को उनके गांव तक पहुंचाने के लिए जिला चिकित्सालय की ओर से नि:शुल्क एम्बुलेंस की व्यवस्था कराई।
डॉ निलय जैन ने बताया कि भर्ती के समय चारों शिशुओं की हालत अत्यधिक गंभीर थी एवं बचने कि संभावना नही लग रही थी। इस बच्चो को शुरू में मुंह से कुछ नही दिया गया। डॉ. निलय जैन ने बताया कि प्रतिदिन उनके सारे ब्लड टेस्ट एवं अन्य जॉचे कराई जा रही थी। शुरू के दिनो में शिशुओं की असाधारण स्थिति थी और शुरूवाती दिनो में यह दुध पीने में असमर्थ थे। शिशुओं को 10 जून से नली द्वारा दुध दिया जाने लगा । चारों शिशु दिनॉक 23 मई से 14 जुलाई 2022 तक निरंतर जीवन रक्षक दवाईयो एवं आक्सीजन पर रहे हैं। 10 जून से इन शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार आने लगा और इन शिशुओं को 10 जून से नली द्वारा दुध दिया जाने लगा था। 24 से 26 जून के बीच इन शिशुओं को आक्सीजन से निकाल दिया गया था। शिशुओं की प्लेटलेट्स कम होने के कारण 28 मई, 08 जून एवं 04 जुलाई को ब्लड लगाया गया है। 26 जून से इन शिशुओं को कटोरी चम्मच से दुध देना शुरू कर दिया गया था। स्थिति में लगातार सुधार होने पर 10 जुलाई से चारों शिशुओं को KMC (कंगारू मदर केयर) दिया जाने लगा है। जन्म के समय चारों शिशुओं का वजन लगभग 01-01 किलोग्राम था और आज डिस्चार्ज के समय इन शिशुओं का वजन 01 किलोग्राम से अधिक हो गया है।
डॉ निलय जैन ने बताया कि वह सब जिला चिकित्सालय के एस.एन.सी.यू. में पदस्थ समस्त स्टाफ नर्स एवं कर्मचारियों की मदद से सभंव हो पाया है जिन्होने बच्चों कि देख रेख में कोई कमी नही रखी। इसके अलावा इन बच्चों को मिले जीवन दान का श्रेय बच्चों के माता पिता को भी जाता है। जिन्होने एस.एन.सी.यू. के डॉ. एवं स्टाफ पर पूरा भरोसा जताया।
53 दिनों तक एसएनसीयू में लगातार भर्ती रहने से इन शिशुओं के साथ स्टाफ नर्स छाया पारधी, भूमिका पटले, मिंटी मचाड़े, ज्योति पडवार, इमलेश्वरी क्षीरसागर, संगीता चौधरी, तरूणा पंचेश्वर, प्रीति शेंडे, सुप्रिया बौद्ध, प्रिया नागेश, स्वाति खरे, तरूनी गौतम, सुनीता रहांगडाले, दीपशिखा सुखदेवे, रश्मि जैतवार, मीनाक्षी रंगारे, सविता साहू, दीक्षा राणा, नेहा क्षीरसागर, प्रगति डहाटे, मनीषा खरोले, डाटा एंट्री आपरेटर मीना हलकारे, लैब टैक्निशियन, वार्ड बाय अजय नगपुरे, हितेश, नीतेश, आया रजनी ठाकुर, रेखा बंदिया, जान्वी बर्वे, स्वीपर स्वाति एवं अनिता गेलवले का भी लगाव हो गया था और उनकी जीवन रक्षा में सभी ने अपना सराहनीय योगदान दिया है।