एनीमिया के बचाव के लिये हीमोग्लोबिन की जांच जरूरी
एनीमिया के बचाव के लिये हीमोग्लोबिन की जांच जरूरी है । एनीमिया (खून की कमी) इसकी सही समय पर पहचाना नहीं की जाये तो इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते है। शारीरिक विकास में बाधा गंभीर रोग हो सकते है। गर्भावस्था में तो एनीमिया के कारण गर्भवती की जान का जोखिम भी हो सकता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनोज पांडेय ने आम जन से कहा है कि एनीमिया से बचाव के लिए सही समय पर खून की जांच करायें और उसका उपचार करायें । गर्भवती मातायें अपनी हीमोग्लोबिन जांच के साथ-साथ खान-पान का विशेष ध्यान रखें और गर्भावस्था के दौरान एनीमिया होने पर महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
यदि किसी महिला में खून की कमी है तो उसे आयरन की गोली दी जाती है, गर्भवती महिला को समय से भोजन लेना चाहिए। भोजन के साथ में फल, हरी सब्जियां, दालें व पोषक तत्व युक्त आहार लेना चाहिए, जिससे स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा।
डॉ पांडेय ने बताया कि एनीमिया की पहचान हीमोग्लोबिन लेबल जांच करने के बाद की जाती है। हीमोग्लोबिन लेबल 12 ग्राम से ज्यादा है तो एनीमिया नहीं माना जाता है। हीमोग्लोबिन लेबल 07 से 10 ग्राम है तो उसे मोडरेट एनीमिया कहते है। जिसे खान-पान और आयरन की गोली द्वारा ठीक किया जा सकता है। हीमोग्लोबिन लेबल 07 ग्राम से नीचे होने पर उसे सीवियर एनीमिया माना जाता है, जिसकी जांच कर उपचार कराना आवश्यक है। यह जांच सभी शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र में निःशुल्क की जाती है।