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कहते हैं दुनिया में माँ की मोहब्बत का कोई वार नहीं 

भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकता इसलिए उसने मां को बनाया.

कहते हैं दुनिया में माँ की मोहब्बत का कोई वार नहीं 

हर एक के जीवन में मां एक अनमोल इंसान के रूप में होती है. जिसके बारे में शब्दों से बयां नहीं किया जा सकता है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकता इसलिए उसने मां को बनाया. एक मां हमारे जीवन की हर छोटी बड़ी जरूरतों का ध्यान में रखने वाली और उन्हें पूरा करने वाली देवदूत होती है. कहने को वह इंसान होती है, लेकिन भगवान से कम नहीं होती है. वैसे तो किसी के लिए भी लाइफ में मां की अहमियत को शब्दों में बयां कर पाना काफी मुश्किल होता है. लेकिन फिर भी साल का एक दिन मां के नाम कर दिया है. जिसे हम मदर्स डे के रूप में मनाते है. इस साल मदर्स डे 8 मई को मनाया जाएगा.

कहते हैं दुनिया में माँ की मोहब्बत का कोई वार नहीं 
जब दवा काम न आये तब नजर उतारती हैं, ये माँ हैं साहब हार कहाँ मानती हैं. मां का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता. माँ का विश्वास और प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के खातिर सारी दुनिया से लड़ सकती है. वो एक अकेली बहुत होती है. मदर्स डे उन सभी माताओं को समर्पित है जो आपकी पहली शिक्षक हैं और एक बच्चे को उसके लक्ष्य की तरफ बढ़ने में मदद करती हैं. आप अपनी मां का हाथ पकड़कर ही इस दुनिया में अपना पहला कदम रखते हैं. यूं तो मां के प्रति प्यार और सम्मान किसी एक दिन का मोहताज नहीं होता, लेकिन ये दिन सिर्फ मां को समर्पित है और इस दिन उन्हें खास महसूस करवाया जाता है. आजकल सोशल मीडिया और इंटरनेट के दौर में मदर्स डे मनाने का प्रचलन काफी ज्यादा बढ़ गया है. जिसके चलते आजकल लोग मदर्स डे को काफी धूम-धाम से मनाते है.

कैसे हुई मदर्स डे की शुरुआत 
मदर्स डे जैसे स्पेशल डे की शुरुआत  एक्टिविस्ट एना जार्विस ने 20वीं शताब्दी में की थी. एना अपनी मां से बहुत अधिक प्यार करती थी. उनकी मां उनके लिए प्रेरणा थी. जिसके कारण उन्होंने कभी शादी न करने का फैसला किया था. साल 1905 में उनकी मां की मृत्यु के बाद उन्हें प्यार जताने के लिए एक स्मारक का आयोजन क्या था. यह स्मारक पश्चिम वर्जीनिया के ग्राफ्टन के सेंट एंड्रयू मैथाडिस्ट चर्च में आयोजित किया गया. जिसके बाद से यह मदर्स डे के रूप में मनाया जाने लगा. वहीं इस दिन को यूरोप में मदरिंग संडे कहा जाता है.

मदर्स डे मई माह के दूसरे रविवार को मनाने के पीछे का कारण
मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाने के पीछे भी एक कारण है. हालांकि एक्टिविस्ट एना जार्विस ने भले ही मदर्स डे की नींव रखी है लेकिन मदर्स डे कि औपचारिक रूप से शुरुआत 9 मई 1914 से हुई है. अमेरिका के राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने एक कानून पास किया था. जिसमें उन्होंने लिखा था कि मई महीने के हर दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाएगा. औपचारिक तौर पर मदर्स डे को प्रत्यक्ष रूप से स्वीकृति अमेरिका राष्ट्रपति ने दी थी. इसी कारण अमेरिका, भारत सहित कई देशों में मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाने लगा.

मदर्स डे मनाने की वजह?
हर कोई अपनी मां को खास महसूस कराने के लिए उनके मातृत्व और प्यार को सम्मानित करने के उद्देश्य से बच्चे मदर्स डे मनाते हैं. पिछले कुछ दशकों में मां को समर्पित इस दिन को बहुत खास तरीके से मनाया जाता है. इस दिन लोग अपनी मां के साथ समय बिताते हैं. उनके लिए गिफ्ट या कुछ सरप्राइज प्लान करते हैं. पार्टी का आयोजन करते हैं और मां को बधाई देते हैं उनके प्रति अपने प्यार और लगाव को जाहिर करते हैं.

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