कत्ल खाने ले जा रहे गायों को पकड़ा गौसेवकों ने महाराष्ट्र ले जा रहे थे गाय …
गोरेघाट/ तिरोड़ी
तहसील मुख्यालय से महज 40 किलो मीटर दूर और महाराष्ट्र से लगे गांव गोरेघाट सहित कुड़वा, हेटी, खैरलांजी, भोंडकी से पिछले कई दिनों से गाय की तस्करी जोरो से की जा रही है मगर जानकारी नहीं मिलने के कारण उन्हें गोरक्षक द्वारा दबोचा नहीं जा रहा था क्योंकि गोरेघाट से महाराष्ट्र जाने के अनेकों रास्ते है कभी किसी रास्ते से तो कभी किसी रास्ते से गौ माताओं को ले जाते है और महाराष्ट्र में इनको ले जाकर काटने के लिए बेच दिए जाते है।
दिनांक 13/05/2025 दिन सोमवार को कुड़वा पंचायत के संग्रामपुर गांव के समीप से दो गायों को क्रूरता पूर्वक जिसमे एक गाय जा नहीं रही थी तो एजेंट द्वारा गाय के आंख में तथा पेशाब की जगह में मिर्ची पावडर डाल रहे थे तब ग्राम के युवा बावनथड़ी नदी में नहाने जा रहे तब उन्होंने उनकी हरकत देखा और उनके पास गए तब वे गाय को वहीं छोड़कर भाग गए और एक गाय को ले जाने में सफल हो गए। युवाओं ने समझदारी दिखाते हुए उस गाय को पहले पानी पिलाए और पानी से आंख और पेशाब की जगह को धोए। तब जाकर गाय को थोड़ी राहत मिली। उसके पश्चात गांव से ट्रेक्टर ले जाकर उसमें लाया गया और सरपंच श्रीमती हेमलता नंदकिशोर जामुनपाने के घर में रखे है।
गांव वालों के सहारे ले जाते है महाराष्ट्र
ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम गोरेघाट के ही एक युवा तथा आलेसुर महाराष्ट्र के कुछ एजेंट के द्वारा गायों को अलग अलग रास्ते से ले जाया जाता है और वहां इकट्ठा कर ट्रकों में भरकर वहां से कामठी कत्लखाना ले जाया जाता है। गौसेवकों ने गोरेघाट निवासी एजेंट को अच्छी समझाइश दी है कि अगर इसके बाद कभी गौ तस्करी में साथ दिया तो तेरी खैर नहीं और अच्छा सबक सीखने की बात की गई।
पुलिस आने से पहले ही निकल जाते है दूसरे राज्य की सीमा
ग्रामीण युवकों ने बताया कि बहुत बार हमने गाय ले जाते देखा और रोकने की कोशिश की और चौकी महकेपार को सूचना दी गई मगर जब तक दल गोरेघाट पहुंचता तब तक वे दूसरे राज्य महाराष्ट्र चले जाते है।
इन्होंने दिखाई मानवता
ग्राम गोरेघाट के युवा और गौरक्षकों में अंकित बम्हनोटे, पवन बम्हनोटे, पीयूष जामुनपाने, जागेश्वर जामुनपाने, गौरव जामुनपाने, राजा डहरवाल, अनुज जामुनपाने, अखिलेश जामुनपाने, रोहित डहरवाल, अश्विन जामुनपाने, शेंडे जी आदि ने गाय को कत्लखाना जाने से बचा लिया।
कम दामों में बेच रहे गाय
पिछले एक वर्ष हो गए जंगलों में बाघ का आतंक शुरू है आए दिन बाघ गाय को अपना शिकार बना लेता था और खेतों में बारिश तथा रबी की फसल लग जाती है जिसमें गाय को चराने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले एक वर्ष से गाय खुट से बधी हुई है जिसके कारण अब इस पठार में कोई भी गाय पालना पसंद नहीं कर रहा है और तो और गायों को फ्री में देने तैयार है मगर कोई रखने तैयार नहीं है जिसके कारण लोग अपने जानवर कम दामों में खटीकों को बेच रहे है।