कान्हा नेशनल पार्क की महिला ग्रीन सोल्जर्स: जंगल की रखवाली में नारी शक्ति का अद्भुत योगदान
कान्हा नेशनल टाइगर पार्क की प्रसिद्धि केवल बाघों की उपस्थिति से नहीं, बल्कि उन महिला वन रक्षकों (Green Soldiers) की निःस्वार्थ सेवा से भी है, जो जीवन की तमाम चुनौतियों के बावजूद वन्य जीवों और जंगल की सुरक्षा में जुटी हैं। लोकमाता देवी अहिल्या महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन के अंतर्गत आज हम दो ऐसी साहसी महिलाओं की कहानी साझा कर रहे हैं, जिन्होंने सशक्तिकरण की मिसाल कायम की है।
शिक्षा सोनी: एक साल के बच्चे के साथ जंगल की रखवाली
शिक्षा सोनी, जो वर्तमान में समनापुर रेंज के बफर ज़ोन में वनरक्षक हैं, पिछले 9 वर्षों से अपने परिवार से 250 किमी दूर रहकर कान्हा नेशनल पार्क की सेवा कर रही हैं। मधुमक्खियों के हमले में बाल-बाल बचीं, फिर भी सेवा जारी बाघ, तेंदुए और जंगली जानवरों से कई बार आमना-सामना अपने नन्हे बेटे को साथ लेकर जंगल की गश्त पर जाती है इनका समर्पण इस बात का प्रमाण है कि महिला शक्ति किसी भी विषम परिस्थिति में पीछे नहीं हटती।
पुष्पलता तराम: पति को खोने के बाद उसी जंगल की रक्षक बनी पुष्पलता तराम की कहानी और भी मार्मिक है। वर्ष 2023 में उनके पति चुन्नीलाल की मृत्यु कोर ज़ोन में ड्यूटी के दौरान हुई थी। नेटवर्क की कमी के कारण समय पर इलाज नहीं मिल पाया। बेटे की मृत्यु के बाद भी हार नहीं मानी। अब प्रतिदिन 12-15 किमी जंगल में गश्त करती हैं. पुष्पलता के लिए यह जंगल सिर्फ कार्यस्थल नहीं, उनके पति की कर्मभूमि है। वे इसे बचाने के लिए पूरी निष्ठा से काम कर रही हैं।
🌱 कान्हा की 55 महिला ग्रीन सोल्जर्स बना रहीं पर्यावरण संरक्षण की मिसाल
कान्हा नेशनल टाइगर पार्क में 55 महिला वन रक्षक कार्यरत हैं, जो वन्य जीवों और जैव विविधता की सुरक्षा के लिए समर्पित हैं। इनका कार्य न सिर्फ जंगल की रक्षा करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्राकृतिक धरोहर सौंपने का भी माध्यम है।