दमोह। आमतौर पर पुलिस और खाकी वर्दी का रौवदार और कड़क रूप ही लोगों के जहन में होता है, और पुलिस की कार्यशैली और जि मेदारी के चलते हम उसका वह मानवीय पहलू देख ही नहीं पाते। जिसके चलते पुलिस महकमे का हम जैसे ही होने का एहसास आम लोगों को होता ही नहींै। ऐसे में यदि कोई पुलिस कर्मी अपने कार्यों से पुलिस की नई छवि बनाता है तो निश्चित ही प्रसंसा का पात्र है। ऐेसा ही उदाहरण पेश किया तेंदूखेड़ा थाना में पदस्थ एक महिला एसआई सुरभि चौहान ने जिन्होने एक वृद्ध महिला को सड़क पर पड़ा देखकर सिर्फ पुलिस की जि मेदारी ही नहीं निभाई बल्कि उससे आगे जाकर मानवीय मूल्यों को दिखाते हुए एक परिवार के सदस्य की तरह अपनी जि मेदारी निभाई। दरअसल सोमवार को एक वृद्ध महिला सड़क पर बेहोश पड़ी थी जिसे महिला एसआई ने देखा तो उसके इलाज के साथ उसकी आवश्यक व्यवस्थाएं करते हुए उसे घर तक छोड़ा।
प्राप्त जानकारी अनुसार सोमवार दोपहर महिला एसआई जब ड्यूटी पर जा रही थी उसी दौरान उन्हें रास्ते में पिपरई निवासी जमनी अहिरवाल ८० वर्ष सड़क किनारे घायल अवस्था में पड़ी दिखाई दी। महिला को देखकर उनके द्वारा वाहन को रोककर महिला को अपने वाहन में बिठाया और उसे सीधे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंची। यहां पदस्थ डॉक्टर अंजुल नामदेव ने किया महिला का परीक्षण किया तो उसका ब्लड प्रेशर अत्याधिक बड़े होने के साथ उसको खुजली होना भी सामने आया। इसी खुजली की समस्या के चलते महिला इलाज के लिए आ रही थी लेकिन कमजोरी और ब्लड प्रेसर बड़े होने के चलते वह रास्ते में चक्कर खाकर गिर गई।
महिला को मिला महिला पुलिस का सहारा
आमतौर पर ऐसे मामलों में अस्पताल पहुचाने और इलाज की व्यवस्था होने के बाद पुलिस की जि मेदारी पूरी हो जाती है, लेकिन महिला एसआई ने जब महिला के संबंध में जानकारी ली तो सामने आया कि महिला के पति की काफी पहले मौत हो चुकी है और उसके दो बेटे है जो रोजी रोटी कमाने के लिए जबलपुर में रहते है। ऐसे में महिला अकेली है और शासन की पेंशन और राशन योजना के भरोसे वह अपना गुजर बसर करती है, लेकिन बीमारी के चलते उसे अकेले ही इलाज के लिए आना मजबूरी थी। इन स्थितियों को देखकर सबसे पहले एसआई ने उसका इलाज सुनिश्चित किया और उसके बाद महिला के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं करते हुए उसे घर तक छोड़ा।
एसआई ने बीमार महिला की व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाई तो पहले उसका इलाज सुनिश्चित कराया, फिर उसके बाद उसकी भूख को समझकर पहले नाश्ता कराया जिसके बाद महिला की तबियत पहले से बेहतर लगने लगी। वृद्ध महिला इस सबके लिए पुलिस को धन्यवाद देती लेकिन एसआई ने इससे भी आगे जाते हुए पहले फटी साड़ी पहने हुए महिला को उसकी पसंद की एक नई साड़ी दिलाई और फिर उसके बाद महिला को फल आदि की व्यवस्था कर उसे घर छोडऩे के लिए निकल पड़ी और उसे अपने वाहन से घर तक जाकर छोड़ा। अपने साथ हुए इस आत्मीय व्यवहार से महिला की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और यह खुशी उसके चेहरे पर अलग देखी जा सकती थी।
ग्रामीणों से कहा ध्यान रखना
वहीं ग्राम में महिला को छोडऩे के दौरान एसआई ने ग्रामीणों से चर्चा करते हुए उनसे निवेदन किया कि महिला को बीमारी की हालत में इस तरह ना जाने दे और हो सके तो बीमार होने पर कोई उसे अपने साथ लेकर अस्पताल जाए और इस दौरान यदि कोई समस्या आती है तो उन्हें फोन किया जाए वह हरसंभव मदद करेगी। बहरहाल बीमारी की हालत में घर से अकेली निकली महिला को घर बापस लौटने तक कई खुशियां मिल ही गई थी और अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए महिला ने भी अपना आशीर्वाद देते हुए महिला एसआई के पैर छूने का प्रयास किया तो एसआई ने महिला को अपनी दादी के समान बताते हुए ऐसा करने से रोक दिया। इस घटना के संंबंध में महिला एसआई सुरभि चौहान से चर्चा किए जाने पर उन्होने कहा कि हमें हमेशा निर्देश रहते है कि परेशान और पीडि़त लोगों की जो भी मदद हो सके की जाए और निर्देश ना भी हो तो भी ऐसी जि मेदारियां हम सबको निभानी ही चाहिए। इस घटना में जहां एक बीमार वृद्ध महिला को इलाज के साथ नई खुशियां मिल गई, वहीं खाकी बर्दी के पीछे छिपा पुलिस का मानवीय चेहरा भी सामने आ गया।