ग्राम पंचायत पिंडकेपार बना भ्रष्टाचार का अड्डा
रामपायली -ग्राम पंचायत पिंडकेपार बना भ्रष्टाचार का अड्डा भाजपा मंडल अध्यक्ष खैरलांजी नरेंद्र शुक्ला ने बताया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार अपने सबसे छोटी इकाई ग्राम पंचायत को आम जनों के सुलभ व्यवस्था के लिए ग्राम पंचायतों को विकास कार्यों के लिए राशि उपलब्ध करती है किंतु इसका सदुपयोग ना होकर व्यक्तिगत उपयोग में जनहित की राशियां चली जाती है जिसका सदुपयोग ना होकर भ्रष्टाचार का अखाड़ा बन जाती है अनेक पंचायत ऐसी है जहां सरपंच एवं सचिव मिलकर कर रहे कर रहे मनमानी जिसमें एक ऐसी ग्राम पंचायत भी है जहां विकास कार्य के नाम पर लाखों रुपए की राशि आवंटित तो हई
लेकिन विकास कार्य भारी पैमाने पर न होकर व्यक्तिगत पैमाने पर जरूर हुए हैं जिसकी शिकायत जिला कलेक्टर जनपद पंचायत खैरलांजी को की गई है वर्तमान में जांच धरातल में गोते लगा रही है ग्राम पंचायत पिंडकेपार में प्रतिमाह नियमित रूप से पंचगणो की मासिक बैठक नहीं ली जाती हैं। न ही निर्माण कार्यों सम्बंधित लेखा जोखा एवं बिल बाउचर आदि दिखाने के लिए कहने पर भी लेखा जोखा नहीं बताया जाता है। पंचगणो द्वारा इस विषय की शिकायत 8-7-2023 को की गई थी जिसकी अधिकारियों द्वारा जांच पर लीपापोती कर दी गई आज दिनांक तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई न हीं ग्राम पंचायत की कार्यप्रणाली में कोई सुधार आया। इसके पश्चात पंचगण तो तब आश्चर्यचकित हो गए जब सूचना के अधिकार के अपिल द्वारा ग्राम के कुछ जागृत नागरिक द्वारा जानकारी प्राप्त की गई उसमें पाया गया कि प्रस्ताव में उपस्थित पंचो की संख्या 13 है और सरपंच एवं सचिव की मिली भगत से केवल उपसरपंच एवं एक अन्य पंच की हस्ताक्षर का सर्वे सहमत से प्रस्ताव पारित होने के प्रस्ताव बनाकर सारे पूरे प्रस्ताव पारित कर लिए गए एवं रुपयो की आहरण को भी प्रस्ताव पारित का लिए गए प्रस्ताव की कुल 20 पंचों की। उप सरपंच उपस्थित रहने पर भी केवल सरपंच,उपसरपंच, एवं एक अन्य पंच केवल तीन सदस्यों की हस्ताक्षर का सर्वसम्मती से प्रस्ताव पारित होना लिखा गया। यह मामला १२-०९-२०२३ की बैठक का है। श्री शुक्ला ने आगे बताया कि प्रशासनिक तौर पर अभिलंब जांच नहीं की गई तो ग्रामीण जन जिला कलेक्टर पहुंचकर घेेराबंदी के लिए विवश हो सकतें हैं।
खैरलांजी जनपद पंचायत सदस्य दिनेश दमाहे ने बताया कि सरकार जनहित व्यवस्थाओं को पर्याप्त करने में सदैव अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए आम जनों को तकलीफों से दूर करना चाहतीं हैं लेकिन सरपंच अपनी मनमानी से आम जनों को मिलने वाली जनहित व्यवस्थाओं से अपनी जेब गर्म कर अधिकारियों की चाकरी करने में लगा रहता है जिसमें निष्पक्ष जांच पर भी प्रश्न चिन्ह लगने लगाहै मिनट के पार ग्राम पंचायत की शिकायत को लंबा अरसा गुजर जाने के बावजूद भी जांच का अपने स्वरूप में ना आना बड़ी मिली भगत को संकेत करता है ग्राम पंचायत पिंड के पार में लंबे समय से भ्रष्टाचार अपने चरम पर है जहां की जांच निष्पक्षता से की जाती है तो दूध का दूध और पानी का पानी निकल आएगा सरपंच अपनी मनमानी का अनाप-शनाप तरीके से प्रस्ताव पारित कर रहे हैं ऐसा ही मामला विगत दिनों का सामने आया जिसमें R.T.I जानकारी से ज्ञात हुआ कि बैठक की 18 सदस्य थे जिसमें सरपंच उपसरपंच एवं अन्य पांच पंचो की हस्ताक्षर से ही सर्वे सहमति से प्रस्ताव पारित का लिया गया है। एवं इस कार्य की प्रस्ताव पारित का राशि का आहरण की प्रस्ताण पारित का बिल लगाकर राशि का आहरण भी कर लिया गया। पंचायत राज अधिनियम की अंतर्गत नियमानुसार प्रस्ताव बहुमत से पारित होने के लिए अधिक से अधिक पंचो की आवश्यकता होती है लेकिन ग्राम पंचायत पिंडकेपार में सर्व सहमति से प्रस्ताव पारित के लिए पंचो की भी आवश्यकता नहीं है जो सभी पंचों एवं ग्राम वासियों के समझ से परे है। सूचना का अधिकार द्वारा अन्य ग्राम वासियों द्वारा की गई जानकारी से ज्ञात हुआ है। की अनेको बिल बिना तारीख के बिल पास कर भुगतान की ग्राम पंचायत सरपंच श्रीमती ललिता अटराहे एवं प्रभारी सचिव श्री डीलेश कुमार अटराहे द्वारा कर लिया गया है। निर्माण कार्य प्रारंभ होने से पूर्व न हीं पंचों की बैठक की जाती है न हीं उन्हें कोई हिसाब किताब बताया जा रहा है साथ ही बिना पंचो की बैठक लिए निर्माण सामग्री एवं अन्य सामग्री सरपंच एवं सचिव द्वारा कार्य कर ली जाती है जिसका हिसाब पंच गणों द्वारा पूछने पर भी नहीं बताया जाता है। किसी भी निर्माण कार्य प्रारंभ का स्वीकृत राशि का लागत राशि या मूल्यांकन का कोई पत्थर भी नहीं लगाया जाता है जिससे कि पंचगणो एवं ग्राम वासियों को पता चल सके कि कौन सा निर्माण कार्य हो रहा है या हुआ है और उसकी स्वीकृत राशि या मूल्यांकित राशि कितनी है। ग्राम में जो सड़क लाइट है उनके खंबो के बल्ब एक वर्ष से भी अधिक से बंद पड़े हैं इसके विषय में अनेको बार पंच गणो एवं ग्रामीणो द्वारा सरपंच एवं सचिव को अवगत कराने पर भी अनसुनी कर दी जाती है जबकि आर.टी.आई से प्राप्त जानकारी के अनुसार अनेकों बार एल.ई.डी बल्बो एवं अन्य बिजली सामग्री क्रय कर बिलो का भुगतान कर राशि बंदर बांट सरपंच एवं सचिव द्वारा कर लिया जाता है। ग्राम पंचायत द्वारा अंकित बिल एवं प्रस्ताव में जो सी.सी.नाली निर्माण की गई है वहां पर नीर्मित कोई सी.सी नाली नहीं है जिसका भुगतान कर राशि का आहरण सरपंच एवं सचिव द्वारा कर लिया गया है। जो मुख्य जांच का विषय है हाल ही में ही लगभग २ माह पूर्व शासकीय प्राथमिक एवं शा.मा. शाला के पीछे से सी.सी सड़क का निर्माण किया गया है। वह कई जगह से टूट फुट हो चुकी है जिसमें घटिया दर्जे की सामग्री उपयुक्त की गई है। जिस सड़क से बिना वहां चले ही कई कई जगह से सड़क टूट हो चुकी है ग्राम पंचायत पिंडकेपार का भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच चुका है। एवं ग्राम पंचायत पिंडकेपार की पंचायती राज अधिनियम की जो धज्जियां उड़ाई जा रही है। वह समझ से परे है। इस परिपेक्ष में अति शीघ्र जांच कर दोषियों को दंडित नहीं किया गया तो ग्रामीण जन उग्र आंदोलन के लिए बाध्य हो सकते हैं जिसकी जवाबदेही शासन प्रशासन की होगी।