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घर का भेदी लंका ढाए ?????

घर का भेदी लंका ढाए ?????

कांग्रेस को बीजेपी ने सत्ता से बेदखल किया, दावा निराधार, तथ्यहीन, कोरा बकवास है। इस दल में पुराने आस्तीन के सांपों का जमघट पहले से ही था। विभीषणों ने भी जगह बना ली। एक घुसपैठिया की नई एंट्री हुई है। जो चीज़ उपयोग के लायक नही रहती समझदार लोग उसे परित्यक्त घोषित कर देते है। कांग्रेस आजकल परित्यक्त कबाड़ से हीरा तलाशने की कोशिश में तल्लीन है। कांग्रेस में एक नई एंट्री हुई है आचार्य प्रमोद कृष्णन की। जिस गेंहू के खेत में मोटी मोटी बालियां लहलहाने लगती हैं वहां चूहे अपना घर बना लेते हैं। प्रमोद कृष्णन भी उन्हीं चूहों जैसे हैं जो चूहे गेंहू के खेत की सारी बालियों को कुतर कर पूरी फसल को बर्बाद कर देते हैं। जब तक कांग्रेस में चूहे पालने का शौक़ बना रहेगा उपजाऊ भूमि होने के बावजूद बीजेपी की बंजर भूमि से अधिक पैदावार देने में कामयाब नही होगी।

लेश मात्र भी राजनीति की समझ रखने वाला व्यक्ति प्रमोद कृष्णन के हाव भाव से आसानी से अंदाजा लगा लेगा कि यह व्यक्ति आरएसएस का कट्टर समर्थक है। टीवी चैनल पर राजनीतिक विश्लेषक के रूप में यह अपना स्थान बनाने में इसलिए सफ़ल है कि शायद चैनलों को नारंगी विश्वविद्यालय से हिदायत दी गई है कि इसे जितना स्थान दोगे कांग्रेस की उतनी ही लुटिया डूबेगी। स्मरण रहे मनमोहन 2.0 की सरकार के खिलाफ़ भ्रष्टाचार के जितने भी आरोप लगे थे उनमें 2जी, कोयला जी के इतर जीजाजी नम्बर एक पर ट्रेंड कर रहा था। बीजेपी की रणनीति भी यही है कि यदि प्रियंका गांधी सियासत में अग्रणी भूमिका निभाती हैं तो बीजेपी को अपने भ्रष्टाचार के बचाव की मुद्रा में उतरने के बरक्स जीजाजी को कटघरे में खड़े करने का मौका मिल जायेगा। ब्लैम गेम से ही बीजेपी गेम चेंजर की भूमिका में खड़ी हो जाती है। इस रणनीति पर उन्हें पूरा भरोसा है। प्रमोद कृष्णन जैसे घुसपैठियों के सहारे बीजेपी 2024 की चुनावी वैतरणी तो पार ही करेगी साथ ही साथ अगले दो पंचवर्षीय योजना के लिए सत्ता में बने रहने का अवसर भी हासिल कर लेगी। वेंटिलेटर पर पड़े जीवन को बाहर लाने में कामयाब तो होगी ही जर्जर जीवन के लिए अभयदान हासिल भी करेगी।

यह व्यक्ति चैनलों पर प्रतिभाग करता है राजनीतिक विश्लेषक के रूप में लेकिन पक्ष में खड़ा नज़र आता है कांग्रेस और प्रियंका गांधी के। इससे पब्लिक में सन्देश यह जाता है कि यह व्यक्ति कांग्रेसी है तो कांग्रेस के बारे में सही ही कह रहा होगा। ख़ुद के दल की नींव क्यों खोदेगा? साधारण लोगों को यह सोचने की फुर्सत कहां कि चूहे घर में बिल बनाते हैं। पब्लिक के अभिमत के इसी संशय का लाभ उठा कर इस तरह यह चूहा कांग्रेस की लहलहाती बालियों को कुतरता रहता है। कांग्रेस में जहां भी उठा पटक होती है, कांग्रेस को अंदर खाने से चुनौती देने वाले व्यक्ति के समर्थन में यह विभीषण स्तुति गान करता नज़र आता है। राजस्थान में यह सचिन पायलट के पक्ष में लामबंद हो जाता है तो देश स्तर पर राहुल गांधी को अंतर्मुखी रुप से पप्पू का खिताब देता दिखता है। अन्यथा कोई वजह दिखती है कि जब देश राहुल गांधी में अपना नेतृत्व तलाश रहा है तब यह व्यक्ति अप्रत्यक्ष रूप से राहुल गांधी को नालायक कह रहा है। प्रियंका गांधी जिन्होंने अभी तक किसी भी सदन का मुंह नही देखा है उन्हें यह प्रधान मंत्री घोषित कर रहा है। विपक्ष से कह रहा है कि प्रियंका गांधी को वह अपना नेता स्वीकार कर लें।

यह व्यक्ति कितना कुटिल है एक तीर से दो निशाने कर रहा है। एक तीर से विपक्ष पर निशाना साध रहा है कि जब तक तुम प्रियंका गांधी को अपना नेता नही मानोगे तब तक गठबंधन की उम्मीद मत करना। अप्रत्यक्ष रूप से विपक्ष को कांग्रेस के खिलाफ़ खड़ा करने में कोई कमी नही कर रहा है। कर्नाटक चुनाव में बजरंगदल बैन करने के मुद्दे पर यह बजरंग दल की पालकी ढोता दिखता है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह व्यक्ति कांग्रेस परिवार में विद्रोह का बीज बोकर भाई बहन के बीच महाभारत प्रायोजित करना चाह रहा है। यह व्यक्ति संदर्भित योजनाओं पर आरएसएस के इशारे पर काम कर रहा है। यह नही चाहता है कि कांग्रेस मज़बूत हो और बीजेपी कहीं से भी पड़े कमजोर। हां विभिन्न क्षेत्रों से इन आरोपों के प्रमाण मांगे जा सकते हैं। बस इतना ही उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि अब तो उच्चतम न्यायालय ने भी कह दिया है कि स्वेच्छा से वेश्यावृत्ति करना कोई अपराध नही है। न्यायालय के इस आदेश के आलोक में कुछ लोग धंधे के लिए खड़े हो जाते हैं।

महाराष्ट्र सरकार में जब उठा पटक चल रही थी तब यह व्यक्ति उद्धव ठाकरे को इस्तीफ़ा देने का सलाह दे रहा था। किस हैसियत से इसने उद्धव को इस्तीफ़ा देने की बात कही? राजस्थान में सरकार को बदनाम करने के लिए साजिशन जब कन्हैया लाल की हत्या का षडयंत्र रचा गया तब भी यह महोदय अशोक गहलोत की चरित्र पंजिका लिख रहे थे। कांग्रेस को घर में चूहा मारने की दवा रखनी पड़ेगी।

बीजेपी एक बिन्दु पर केंद्रित रहती है। सत्ता के शीर्ष पर आरूढ़ रहना। सत्ता में रहकर इसने पाप की गठरी को काफ़ी बड़ा कर लिया है। गठरी के साथ घड़ा भी भर लिया है। विश्व व स्वदेश दोनों परिधियों पर राहुल गांधी का सामना कर पाना न तो आरएसएस और न ही मोदी के वश में रह गया है। यह दोनो संस्थाएं राष्ट्रवाद के नाम के आवरण में देश को विखंडित करने पर दृढ़ हैं ताकि अनवरत सत्ता में बने रहें। कांग्रेस की सत्ता में वापसी से इनके भ्रष्टाचार की पोटली खुल जायेगी।

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