जंगली सूअरों का आतंक-
पठार क्षेत्र में गन्ने और धान की फसल को कर रहे चौपट
सुशील उचबगले की रिपोर्ट
गोरेघाट/तिरोड़ी
बालाघाट जिले की तिरोड़ी तहसील क्षेत्र के पठार अंचल के किसान काफी लंबे अर्से से वन्य प्राणी जंगली सुअरों के आंतक से परेशान है. जंगली सुअर पठार अंचल की प्रमुख फसल गन्ना, धान सहित साग-सब्जी की फसलों को बर्बाद कर रहे है. अभी हाल ही में ग्राम आंजनबिहरी, दिग्धा, बोनकट्टा, हरदोली, कोड़बी, बड़पानी, महकेपार, अंबेझरी, गोरेघाट सहित अन्य गांवों में गन्ना उत्पादक किसान जंगली सुअरों के उत्पात से भयंकर परेशान है. यह किसान फसलों को बचाने के लिए खेतों में रतजगा करने को मजबूर है लेकिन साथ ही वन्य प्राणी के हमले से जान जाने का खतरा भी किसानों पर बना हुआ है. किसानों का कहना है कि वे रात्रि में अपनी फसलों की रखवाली करने जाते हैं यदि बिना लाठी या टॉर्च के सूअरों को खेत से भगाने का प्रयास किया जाता है तो जंगली सूअर कभी-कभी इतने हिंसक हो जाते हैं, कि हमारे पीछे पड़ जाते हैं. जंगली सूअरों से डरे सहमे किसान लाठी, टॉर्च और पटाखे चलाकर अपनी और फसल की सुरक्षा करने में लगे हुए है.
पठार संघर्ष समिति संयोजक दीपक पुष्पतोड़े ने बताया कि जंगली सुअरों के आंतक से हर सीजन में किसानों को भारी नुकसान होता है. समूह बनाकर विचरण करने वाले वन्य प्राणी जंगली सुअर एक बार में कई एकड़ में लगी किसी भी तरह की फसल को आसानी से चौपट कर देते है. वन्य प्राणियों से फसलों को बचाने के लिए तमाम उपाय भी किए जाते है परंतु कोई भी उपाय आज तक सटीक और कारगार सिद्ध नहीं हो पाया है. उन्होंने बताया कि जंगली सुअर से फसलों को बचाने के लिए पहले खेतों के आस-पास करंट लगाया जाता था लेकिन कई बार इस करंट की चपेट में आने से संरक्षित वन्य प्राणियों या फिर इंसान की ही मौत की घटनाएं हुई है. जिसके बाद किसानों को पुलिस और वन विभाग की कार्रवाई से दो-चार होना पड़ गया. दीपक पुष्पतोड़े का कहना है कि सरकार और प्रशासन को इस गंभीर विषय पर चिंतन करने की जरूरत है. किसानों की आंखों के सामने वन्य प्राणी जंगली सुअर फसलों को बर्बाद कर रहे है और किसान वन्य प्राणियों को किसी भी तरह से हानि नहीं पहुंचा सकता. यदि वन विभाग जंगली सुअरों की समस्या से निजात नहीं दिलाता है, तो उन्हें आंदोलन छेड़ने को बाध्य होना पड़ेगा.
गौरतलब हो कि गन्ना उत्पादक किसानों से भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की राशि काटी जाती है परंतु इस बीमा योजना का लाभ किसानों को नहीं पहुंचाया जाता. वहीं वन्य प्राणियों से बर्बादी की नुकसानी का मुआवजा भी नहीं मिल पाता. किसानों ने बताया कि तहसील कार्यालय में आवेदन देने के बाद राजस्व कर्मचारी महीनों तक आवेदन पर जांच ही नहीं करते. जिस कारण वन विभाग से मिलने वाला मुआवजा किसानों को नहीं मिल पाता.