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जाने अनजाने में हुए पापों का प्रायश्चित कर सत्संग से अपना बाकी जीवन सुधार लो :श्री हरि महाराज

विपिन दुबे ! (सागर)

इस सृष्टि पर ऐसा कोई भी इंसान नहीं है; जिससे जाने-अनजाने में कोई पाप ना हुआ हो! गलती का एहसास होने पर जिंदगी में दोबारा गलती ना हो यही प्रयास करना चाहिए! धन; दौलत; शोहरत; बल; प्रतिष्ठा तो सभी पा सकते हैं लेकिन वह विरले है जिनके पास ज्ञान का भंडार है; और इस कलयुग में वही महान है! आप लोगों से जो भी जाने- अनजाने में गलतियां हुई हैं; उन्हें भूलकर धर्म की राह पकड़े और बाकी जीवन सत्संग कर सुधारें!यह अमृत वचन राष्ट्रीय धर्म प्रचारक एवं भागवत कथाचार्य श्री हरि महाराज ने सागर सेंट्रल जेल में श्रीमद् भागवत कथा के पहले दिन व्यक्त किए!

दोपहर 12:00 जेल परिसर में गाजे- बाजों के साथ भव्य कलश यात्रा निकाली गई और राजा परीक्षित के प्रसंग-हरि नाम संकीर्तन के साथ श्रीमद् भागवत कथा शुरू हुई ! व्यासपीठ पर विराजमान श्री हरि महाराज ने कैदियों को जीवन सुधारने के सूत्र बताए ! उन्होंने कहा – विधाता ने जो किस्मत में लिखा है; वह तो होकर रहेगा लेकिन धर्म की गंगा में यदि आपने डुबकी लगा ली तो बाकी जीवन तर जाएगा ! क्योंकि “जिसका रखवाला है राम उसके कौन बिगड़े काम”….!

गोपाल… राधे कृष्णा… गोविंद गोपाल…! हरी नाम जप ले रे बंदे…संकीर्तन कर उन्होंने ब्रह्म और स्वर नाद की व्याख्या की! श्री हरि महाराज ने कहा- भगवान का नाम-जप कर करतल ध्वनि से जो आप तालियां बजाते हैं इसमें यदि आपकी हथेली की भाग्य की रेखाएं टेढ़ी-मेढ़ी हो वही भी “राम-कृष्ण” नाम लेने से सीधी हो जाती है!

संतश्री हरि महाराज ने कई प्रसंगों के माध्यम से कैदियों को गलतियों को बिसराने और यहां से छूटने के बाद सत्संग और राम नाम का कीर्तन कर जीवन सुधारने के टिप्स बताएं!

जिस धर्म वृक्ष के तले हम और आप विराजमान है यह श्री भांगरे के प्रयास

श्री हरि महाराज ने बताया 4 माह पहले यह कथा सागर जेल में होना थी ! लेकिन जेल अधीक्षक श्री राकेश भांगरे का तबादला भोपाल सेंट्रल जेल हो गया ! सागर की धरा पर होने वाली यह कथा राजधानी भोपाल के सेंट्रल जेल में हुई लेकिन श्री भांगरे जी का संकल्प था यह कथा सागर में जरूर होना चाहिए ! उन्होंने प्रयास किया… जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने उस संकल्प रूपी पौधे को पानी दिया! कैदियों की मेहनत से पल्लवित किया और आज जिस धर्म वृक्ष की छाया तले आप हम बैठे हैं यह दोनों जेल अधीक्षकों के संयुक्त
संकल्प का ही परिणाम है! श्री हरि महाराज ने भक्ति रस की गंगा बहाकर हर श्रोता को हरि नाम में डुबकी लगवाई!

मेरा सौभाग्य इस सत्संग में आज मेरी तीन मां विराजमान है : दिनेश

श्रीमद् भागवत कथा के पूर्व तत्कालीन जेल अधीक्षक राकेश भांगरे एवं वर्तमान दिनेश नरगावे ने अपनी बात रखी! श्री नरगावे ने कहा- यह सौभाग्य की बात है कि आज इस पावन बेला में मेरी तीन माताएं विराजमान है ! तीनों माताओं की उन्होंने व्याख्या करते हुए बताया- मेरी पहली वह मां जिसने मुझे जन्म दिया! मेरी दूसरी वह मां जिन्होंने मुझे शिक्षा-दीक्षा देकर आज इस काबिल बनाया… यानी मेरी “गुरु मां” और तीसरी मेरी वह मां जिसने अपनी बेटी का हाथ मुझे सौंपा यानी मेरी “सासू मां” आज इस पुण्य धरा पर मेरी तीनों माताएं विराजमान है! श्री भांगरे ने कहा – जेल में धार्मिक कार्यक्रम कराने का यही आशय है कि धर्म; सत्संग और अध्यात्म से यदि किसी के जीवन में परिवर्तन आता है तो वह मेरे जीवन के लिए सबसे बड़ी सौभाग्यशाली बात होगी! गौरतलब है कथा 15 अप्रैल तक दोपहर 1:00 से 4:00 तक चलेगी!

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