लेखक वीरेन्द्रसिहं
सहयोगी रिपोर्ट शिवानी बरेली
यूपी ब्यूरो चीफ बरेली
बरेली | दलितों के मसीहा के रुप में पूरी दुनिया में अपनी पहचान रखने वाले डॉक्टर बीआर अम्बेडकर की आज 132 वीं जयंती है | इस मौके पर यूपी के सभी जिलों में जयंती आज मनाई जा रही है | बीआर अंबेडकर के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपना सारा जीवन दलित पिछड़ो और शोषितों के हक़ की लड़ाई में लड़ा दिया | उन्होंने संविधान का निर्माण कर एक ऐसे आधुनिक भारत की परिकल्पना की जहां सभी के पास बराबर के अधिकार हो | अंबेडकर के बारे में दलित चिंतक बताते है कि उनका जीवन हमेशा संघर्ष वाला रहा उसके बावजूद वह अपने रास्ते से डिगे नहीं और दलितों के हक़ दिलाने के लिए हमेशा संघर्ष करते है |
अंबेडकर एक उच्च कोटि के विचारक थे | उन्हें भारत का पहला विधिमंत्री बनने का गौरव भी प्राप्त है | अम्बेडकर के बारे में कुछ जानकार यह भी बताते है कि उनके विचारों में बहुत गहराई थी वह हमेशा जो भी बात रखते थे उसमे तर्क होता था | भारत के संविधान के शिल्पीकार एवं दलित चिंतक ,समाज सुधारक भीम राव अम्बेडकर का जन्म आज के ही दिन वर्ष 1891 में एमपी के महू में हुआ था | उनका पूरा नाम भीमराव रामजी अंबेडकर था और वह मूलता महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते है |
अंबेडकर ने हमेशा छुआछूत और हिन्दू जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी यह वजह है उन्होंने अपने जीवन में बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया |
बरेली जिले में अम्बेडकर के अनुराइयों ने उनकी जयंती को खास मनाने के लिए खास तैयारी की है | यहां अंबेडकर पार्क के साथ चंद्रमणि बुधबिहार को अनोखे तरीके से सजाया गया है | इस बार अम्बेडकर जयंती के कार्यक्रम में खुद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बरेली पहुंच रहे है ऐसे में वह कार्यक्रम में रहकर दलितों के लिए सरकार के मन में क्या योजनाएं है वह भी गिना सकते है |
अंबेडकर के क्रान्तिकार विचार , जिनका दुनिया ने माना लोहा
उदासीनता लोगों को प्रभावित करने वाली सबसे खराब किस्म की बीमारी है।
राष्ट्रवाद तभी औचित्य ग्रहण कर सकता है, जब लोगों के बीच जाति, नरल या रंग का अन्तर भुलाकर उसमें सामाजिक भ्रातृत्व को सर्वोच्च स्थान दिया जाये।
गुलाम बन कर जिओगे तो कुत्ता समझ कर लात मारेगी ये दुनिया। नवाब बन कर जिओगे तो शेर समझ कर सलाम ठोकेगी ये दुनिया।
लोकतंत्र सरकार का महज एक रूप नहीं है।
धर्म में मुख्य रूप से केवल सिद्धांतों की बात होनी चाहिए। यहां नियमों की बात नहीं हो सकती।
मैं एक हिंदू पैदा हुआ था, लेकिन मैं सत्यनिष्ठा से आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं हिन्दु के रूप में मरूगां नहीं।
एक इतिहासकार, सटीक, ईमानदार और निष्पक्ष होना चाहिए।
संविधान, यह एक मात्र वकीलों का दस्तावेज नहीं। यह जीवन का एक माध्यम है।