धान जमा करना हो रहा मुश्किल,
किसान को बारिश ने रुलाया , निकले खून के आशु
सुशील उचबगले की रिपोर्ट
गोरेघाट तिरोड़ी
इन दिनों किसानों की फसल घर लाने का समय रहता है परिवार खुश होता है कि हमारी मेहनत अब घर आ चुकी है जिससे घर की जरूरत का सामान, खेती में जो बीज रोपा गया तथा उसमें तीन तीन बार बीमारी से बचाने के लिए दवाई मारी गई उसका पैसा इसी आमदनी से लेन देन होना था सारा सपना चूर चूर हो गया जब ऐन वक्त पर बारिश हो गई।
कैसे कैसे हुई नुकसानी
कुछ किसान ने बारिश से पहले धान काट चुके थे और बारिश आ गई। बारिश आने से धान पानी से गिला हो गया जब उस धान को पलटाई गई तो आधी धान नीचे गिर चुकी थी और कुछ अंकुरित हो गई। कुछ किसानों ने धान जमा कर इकट्ठा कर लिया था बारिश आने से उस जमा की गई फसल में पानी घुस गया अब जब गाहनी करने जमा की गई धान निकाली गई तो आधी से ज्यादा धन अंकुरित हो गई थी, और जमा की गई धान को जंगली सुअरों ने काफी मात्रा में खा चुकी है नाम मात्र की धान बच गई और जितनी धान बची है उससे घर खर्च तो दूर किसान ने उधारी चुकाना था वह भी नहीं कर पा रहा है। जिन किसानों ने बाद में धान की कटाई की उस धान में आखरी समय में सफेद बाली होने लगी उस समय किसान दवाई का उपयोग भी नहीं कर पा रहा था उसमें भी किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान हो गया।
अब किसान सरकार भरोसे
किसान अपने नुकसानी का मुआवजा का इंतजार कर रहा है कि सरकार किसानों को कितना मुआवजा देती है जिससे किसान अपना कर्ज चुका सके या यू कहिए कि जो किसान ने उधार धान का बीज या खेत के लिया था उसका चुकता सरकार के दिए हुए पैसों से कर सके
