धान फसल की कीट व्याधि व नियंत्रण के लिए किसानों को समसामयिक सलाह
बालाघाट जिला मध्यप्रदेश राज्य का सर्वाधिक धान उत्पादक जिला है और इन दिनों खेतों में खरीफ सीजन की धान की फसल लगी हुई है। आसमान में बादल छाये रहने के कारण धान की फसल में कीट व्याधियों का प्रकोप देखा जा रहा है। ऐसी स्थिति में किसानों को कृषि विभाग द्वारा समसामयिक सलाह दी गई है।
उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास श्री राजेश खोब्रागड़े ने बताया कि जिले की खरीफ मौसम की प्रमुख फसल धान में इस समय कुछ किसानों के खेतों पर कीट व बीमारियों का प्रभाव दिख रहा है, जिसे पहचान कर उनका समय पर उचित निदान करना आवश्यक है। किसानों ने बताया कि कहीं-कहीं पर तनाछेदक व गंगई (पोंगा) कीट का असर है, वहीं पर कहीं-कहीं ब्लास्ट, तना गलन व बैक्ट्रिरियल लीफ ब्लास्ट बीमारी का असर है। इस समय तना छेदक कीट का प्रकोप होने पर धान के पौध की बीच वाला कन्से की पत्ती गोल हो जाती है, और 2-3 दिनों बाद पीली पडने लगती है।
कीट बीमारीयों की रोकथाम हेतु समान्यतः किसान भाई अपने स्वयं निर्मित देशी काड़ा जो कि गौमूत्र, नीम, करंज, जंगली तुलसी, गराड़ी, सीताफल, बेल बेसरम, धतुरा, अकोना इत्यादि की पत्तियों से निर्मित काड़ा ब्रम्हास्त्र का समय-समय में छिडकाव फसल सुरक्षा के रूप में या एक-दो प्रभावित पौधे दिखते ही छिडकाव करें। जैविक दवा में नीम का तेल 1500 पी.पी.एम. वाला 1 ली. प्रति एकड या बेसिलस थुरेन्जेसिस 400 एम.एल. प्रति एकड डाले, अगर रासायनिक दवा का प्रयोग करना हो तो क्लोरोपायरीफास 10 प्रतिशत वाला दानेदार 4 किलो या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 4 किलो प्रति एकड को 25 किलो रेत में मिलाकर डाले। गंगई जिसे पोंगा भी बोलते है कीट हेतु देशी व जैविक तनाछेदक समान परन्तु रासायनिक में 10 किलो काबोफुरान प्रति एकड डाले।
ब्लास्ट बीमारी जिसमें शुरूआत में पत्तियों पर कत्थई रंग ऑख या नाव के समान कत्थई निशान बनते है फिर आपस में मिलने से पूरी पत्ती कत्थई लाल रंग की हो जाती है, इसके लिये स्यूडोमोनास क्लोरोसेन्स जैविक दवा 1 ली. प्रति एकड स्प्रे करें, रासायनिक में ट्रायसायक्लोजोल 120 ग्राम या कीटाजिन 250 मि.ली. प्रति एकड स्प्रे कर सकते है। तना गलन बीमारी में तने पर कत्थई रंग के बडे धब्बे बनते है और पत्तियां पिली पडकर सूखने लगती है, इसके नियंत्रण हेतु स्युडोमोनास 1 ली.प्रति एकड जैविक दवा या हेक्जाकोनोजाल 300 मिली प्रति एकड डाले। बैक्टिरियल लीफ ब्लाईट में ऊपर से धान की पत्ती के किनारे पैर के समान सूखते हुये नीचे की ओर आते हैं, इसके नियंत्रण करने के लिये सबसे पहले खेत का पानी बदले, फिर 15-20 किलो पोटाश प्रति एकड डाले, इस बीज यूरिया का उपयोग बिलकुल भी न करे, फिर 12 ग्राम स्ट्रेप्टोसायक्लिन या 40 ग्राम 2 ब्रोमो, 2 नाइट्रो, 1-3 डायल प्रोपेन नामक दवा का स्प्रे करें।
दवाई छिडकाव करते समय सावधानियां- दवा का छिड़काव करने वाले व्यक्ति को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये की वह भूखा न हो, नाक एवं मूंह मे मास्क या कपड़ा बांधे हवा की दिशा में सुबह व शाम के समय छिड़काव करे। कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि महाविद्यालय, कृषि विभाग के अधिकारी/कर्मचारी की सलाह लेकर दवा का छिडकाव करें एवं अनुरोध है कि किसान भाई जिस आदान विक्रेता से दवा लेते है वहां से पक्का बिल अवश्य लेवे।