#नारीशक्ति विशेष
प्रशासनिक कार्यो में दक्षता के साथ शासन में योगदान दे रही नारीशक्तियाँ
जिला अधिकारियों के रूप में अपने-अपने क्षेत्रों की बागडोर महिला अधिकारियों के हाथों में
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कर रही है कार्य
हमारे समाज में नारीशक्ति से प्रेरित कई त्यौहार और पर्व मनाए जाते है। उनमें से एक महत्वपूर्ण त्यौहार आज से माँ नवदुर्गा हर घर में प्रारम्भ हो रहा है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को दैवीय रूप माना जाता है। वर्तमान दौर की महिलाएं जो बढ़ चढ़कर हर क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाते हुए पारिवारिक दायित्व के साथ-साथ सामाजिक विकास में भी योगदान दे रही है। फिलहाल बालाघाट जिले में ऐसी कई महिला अधिकारी है जो अपना योगदान प्रशासन में भी बेहतरी के साथ देते हुए महिला सशक्तिकरण की दिशा में महिलाओं की भूमिका भी उजागर कर रही है। महिला अधिकारी अपनी दक्षताओं के बल पर पुरुष अधिकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चुनोतियों का सामना कर रही है। आज अवसर है माँ दुर्गा की नारीशक्ति स्वरूपों को जानने का। वर्तमान दौर में महिला अधिकारी जो अपनी शक्तियों से समाज कल्याण की दिशा में आगे बढ़ रही है।
इंजीनियरिंग करने के बाद डिप्टी कलेक्टर बन कर रही सेवा
जिला प्रशासन में डिप्टी कलेक्टर जैसे महत्वपूर्ण ओहदे पर माता-पिता के संघर्ष को जाया नही होने देने के लक्ष्य के साथ इंजीनियरिंग की। इसके बाद श्रीमती राजनंदनी शर्मा आज डिप्टी कलेक्टर बन कर प्रशासन में जनसुनवाई व सीएम हेल्पलाईन और अनेक शाखाओं का दायित्व संभाल रहीं है। उनका महिलाओं के लिए संदेश है कि आत्मनिर्भर बने और स्वयं से भी प्रेम करना न भूलें। महिलाओं के आत्मनिर्भर की पक्षधर होकर प्रशासन में अपनी उपयोगिता सिद्ध कर रही है।
महिलाओं के घरों में राशन की सुविधा देने वाले विभाग का दायित्व महिला अधिकारी के हाथों में
भारत सरकार व मप्र शासन की राशन वितरण प्रणाली का बालाघाट में संचालन करने वाली एक महिका अधिकारी ही है। डीएसओ श्रीमती ज्योति बघेल एक मजदूर परिवार में जन्मी और बड़ी होकर माता पिता के सपनों को साकार कर रही है। आज वो समाज के निचले तबके लोगो के लिए काम करने की इच्छा से कार्यरत है। उनका कहना है कि प्रत्येक महिला को आत्मनिर्भर होना चाहिए। हर परिस्थितियों से लड़ने की हिम्मत रखनी चाहिए। किसी भी स्तर पर हार नही माननी चाहिए। किसी भी इंसान के लिए कुछ भी असंभव नही है।डटे रहने से सफलता मिलती है।
पिता के लाड़ प्यार में पली अब कह रही जहां चाह वहां राह
हर व्यक्ति के जीवन में संघर्ष होता है। ऐसा ही संघर्ष बालाघाट में पदस्थ जीएसटी अधिकारी श्रीमती सरिता सिरसाम का भी है। इससे पहले पुलिस विभाग में भी अपनी भूमिका निभाई है। पांच भाई बहनों में चौथे नम्बर की होकर गांव और परिवार का नाम रौशन कर रही है। 2 वर्ष की आयु में ही उनके शिक्षक पिता चल बसे। माँ ने सिलाई सेंटर चलाकर बच्चों को पाला। माता का संघर्ष देख कर ही जीवन में प्रेरणा मिली। आज वो महिलाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रही है। उनका महिलाओं के लिए कहना है कि जहां चाह होती है वहां राह अवश्य है। विषम परिस्थितियों में मन का विश्वास ही जीवन की वास्तविक सफलता तक पहुँचाता है।
123 वी बटालियन की बागडोर महिला कमांडर के हाथों में
महिलाए आज हर क्षेत्र में अपना रुतबा और परचम लहरा रही है। उन्ही में से एक है। 13 वी बटालियन बालाघाट की कमांडर तेजिंदर कौर चंडीगढ़ में एक सामान्य परिवार में जन्मी। माता-पिता के नहीं होने से बिल्कुल सामान्य परिवरिश में पली बड़ी। सपनें बहुत बड़े नही देखें लेकिन आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ती गई। शिक्षिका बनने के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हुई। 24 वर्षो से सशस्त्र बल में महिला अधिकारी होकर कार्य कर रही है। नक्सल गतिविधियों में महिला वज्र के समान साहस रखते हुए टुकड़ी को तैयार कर रही है। वो मानती है कि संविधान ने महिलाओं को हर जगह पहुँचने का मार्ग बनाया है। बस हौसला और सोच विकसित करनी चाहिए।
सैनिक से डिस्ट्रिक्ट कमाण्डेन्ट तक के सफर में आई अनेक कठिनाइयां पर हार नही मानी
सागर जिले में जन्मी श्रीमती रजनी खटीक का सफर भी कठिनाइयों से भरा रहा। बालाघाट जिले में होमगार्ड एवं आपदा प्रबंधन में डिस्ट्रिक्ट कमाण्डेन्ट के पद पर पदस्थ होकर महिलाओं के लिए पुरूषों की तरह हर क्षेत्र में समान समानता के लिए निरन्तर तत्पर है।मध्यम परिवार से सम्बंध रखने वाली श्रीमती रजनी खटीक के पिता काफी बीमारी व काफी आर्थिक तंगी होने की वजह से उनकी पढ़ाई छुड़वा दी गई। तब उनकी बड़ी बहन ने उनका साथ दिया और उन्होंने अपना ग्रेजुएशन कंप्लीट किया। उनके पति ने आगे बढ़ने में उनका हौसला बढ़ाया।उन्होंने 1989 में एक महिला सैनिक से ही शुरुआत की और आज श्रीमती खटीक बालाघाट जिले में होमगार्ड एवं आपदा प्रबंधन विभाग में डिस्ट्रिक्ट कमाण्डेन्ट के पद पर पदस्थ है। आपदा के समय परिवार में महिलाओं की काफी बड़ी भूमिका रहती है। इसके लिए घबराने नहीं बल्कि हिम्मत से काम लेने की महिलाओं को सलाह देती है।
माता पिता की उम्मीदों पर खरा उतरना लक्ष्य रखा
जिला मत्स्य अधिकारी के पद पर श्रीमती पूजा रोडगे ने भी जीवन में संघर्ष कर शासकीय सेवा का सफर पाया। माता पिता की उम्मीदों को पूरा करने का लक्ष्य आगे बढ़ाता रहा। इन्हें माता पिता ने सदैव पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। जूलॉजी में एमएससी करने के बाद प्रतियोगी परीक्षा में सफलता ने उन्हें आगे का लक्ष्य दिया। आज वे मत्स्य अधिकारी बनकर महिला किसानों को इस फील्ड में बढ़ावा देने में विशेष रुचि रखती है। महिलाओं के लिए उनका सन्देश यही है कि वे समर्पण के साथ जिस भी क्षेत्र में है वहां शत प्रतिशत योगदान दे।
इनके अलावा और भी महिला अधिकारी है जो अपना योगदान दे रही है
महिला अधिकारी होने के बावजूद निडरता के साथ वारासिवनी में मिस ब्रांडिंग की खाद और अन्य उत्पादों की धरपकड़ में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी वाली श्रीमती प्रतिभा टेमरे भी महिलाओं के प्रति हमेशा कार्य करने में अग्रणी है। प्रतिभा वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर कार्य कर रही है। इनके अलावा श्रीमती अंजना जैतवार, श्रम अधिकारी दामिनी सिंह भी महिला अधिकारी होकर अपना योगदान दे रही है।
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