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*पंचायतों में हो रहा भ्रष्टाचार, तो यह कैसा राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस है* संतोष श्रीवास आम आदमी पार्टी संयोजक

पंचायतों मे हो रहा भ्रष्टाचार तो यह ,,कैसा राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस है – संतोष श्रीवास
लांजी। भारत मे विभीन्न स्थानों तथा राज्यों में पंचायती राज दिवस कुछ समय पूर्व से मनाया जा रहा है पर यह नही देखा जा रहा है कि पंचायतों मे जो भ्रष्टाचार हो रहा है उस पर प्रकाश कौन डालेंगा इसी को लेकर आम आदमी पार्टी के संयोजक संतोष श्रीवास के द्वारा प्रेस विज्ञप्ती जारी कर बताया गया कि एक मजबुत लोकतंत्र के लिए सशक्त व आधुनिक पंचायत जरूरी है, किन्तु विगत 8 वर्षो से मोदी सरकार ने ग्राम स्वराज के संकल्प को जमीन पर चरितार्थ कर ग्रामीण जीवन को अस्त-वयस्त कर दिया है । राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस जिस-जिस राज्य में पंचायत के चुनाव ही नही हो रहे है उन राज्यों मे कैसा राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पंचायती राज बचा कहा है ?
पंचायती राज की जगह भ्रष्टाचार पंचायती दिवस मनाना चाहिए क्योंकि जिस प्रकार राज्य सरकार द्वारा पंचायती राज अधिनियम व संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है, उससे तो पंचायती राज बचा हि नही कह सकते है की ज्यादातर पंचायत भ्रष्टाचार मेे लिप्त है और इनकि कोई जांच नही हो रही है । पंचायती राज तब मनाया जाए जब ग्रामीण क्षेत्र जनता को अपनी मुलभुत सुविधांए प्राप्त हो सके जैसे 100 दिन का रोजगार, मुफ्त पानी, पक्की सड़क, नाली, समय समय पर योजनाओं का लाभ एक तरफ सरकार पंचायती राज मना रही है और एक तरफ प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान अधुरे कारण से बडती महंगाई मकान बनाने की राशि 1॰5 लाख रूपये महंगाई बडी 10 प्रतिशत गरीबो का जो आशियाना था उसे तोडकर कार्य चालु किया किन्तु बढती महंगाई के कारण आधे से ज्यादा प्रधानमंत्री आवास योजना मकान अधुरे पडे़ हुए है इतनी कडी धुप और गर्मी मे गरीबों के सर के उपर छत भी नहीं है , तो झोपडा बनाकर रहने को मजबुर यह कैसा पंचायती राज कही-कही तो पीने का पानी भी नही है, लोग सरकार व कलेक्टर से गुहार लगा रहे है लेकिन सुनवाई नही हो रही है, बिजली कटौती चरम सीमा पर है और बिल पूरे वसुले जा रहे है ,,,,आखिर कब बदलेगी तस्वीर हम आजादी के समय से हि पानी बिजली के समय से ही पानी बिजली और स्वास्थय सेवाआंे के लिए लडते चले आ रहे है । लेकिन इन मे कोई बदलाव नही हो पा रहा है । सरकार चुनाव के समय बडे-बडे वादे कर जनता को लुभाने मे लग जाती है । किन्तु चुनाव हो तो सारी योजनाए दरकिनार कर निरंतर जनता की सेवा मे लग जाती है आखिर ऐसी सरकार को जनता कब तक सहन करे ।
निकलों घर मकानों से, जंग लडो बेईमानों से बाबा साहब ने कहा था जुल्म सहना जितना नुकसानदायक नही है चुप रहना उतना हि नुकसानदायक है। चुप्पी तोडो अभी नही ंतो कभी नही।

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