प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की अव्यवस्था आ आलम
सुशील उचबगले की रिपोर्ट
गोरेघाट तिरोड़ी
मुख्यालय से 45 किलो मीटर दूर आखरी छोर पर बसा पठार क्षेत्र के अघिकारी ग्राम पंचायत गोरेघाट में शासन के संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जिसे आयुष्मान आरोग्य मंदिर का नाम से नमाजा गया । प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत हेटी, कुड़वा, खैरलांजी, अम्बेझरी, पथरापेट, कन्हडगांव, देवरी, देवरी खुर्द, बुजरुक देवरी, भोंडकी, संग्रामपुर,बड़पानी करीबन एक दर्जन ग्रामीण अस्पताल से स्वास्थ्य सेवा का लाभ अन्य सुविधा मिलनी चाहिए परन्तु यह आलम अलग है प्रशासन की लापरवाही अनदेखी के कारण ग्रामीण जन को स्वास्थ्य सेवा एवं अन्य सुविधा मिलना तो दूर स्वयं अस्पताल अपनी दुर्दशा के आंसु बहा रहा हैं
जानकारी के अनुसार गोरेघाट
अस्पताल में एक माञ डॉक्टर डॉ नवीन डोडवा पदस्थ है जो एक वर्ष से ग्रामीण सेवा देना है , श्रीमती गंगासागर वासनिक स्टाफ नर्स पदस्त है जिनका नाम तो गोरेघाट में है मगर उन्होंने अपना अटैक कटंगी अस्पताल में करवा ली है , वनिता रहांगडाले ए एन एम, श्रीमती करुणा मालाधारी फर्मासिस्ट की पोस्ट पर है जो सप्ताह में एक या दो दिन सेवा देती है ।
ऐसे में कैसे मिलेगा स्वास्थ्य लाभ
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोरेघाट में सप्ताह में करीब 2 से 4 मरीज पहुंचते है जबकि इन बारह गांव की जनसंख्या करीब पचास हजार से अधिक है फिर मरीज क्यों नहीं पहुंच पा रहें है। भाजपा सरकार की मंशा है कि प्राथमिक स्वास्थ्य का लाभ हर गरीब तक पहुंचना चाहिए लेकिन यहां तो लाभ तो दूर कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है।
एक वर्ष में मात्र एक प्रसूति
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोरेघाट में पिछले एक वर्ष में मात्र एक प्रसूति हुई है अब सवाल ये उठता है कि जब स्टाफ नर्स गंगासागर वासनिक पूरे दिन यहां उपस्थित रहती है तो फिर एक वर्ष में एक की प्रसूति क्यों हुई क्या इन बारह गांव में इन एक वर्ष में एक भी बच्चा पैदा नहीं हुआ।
आखिर कहा जाते है प्रसूति की लिए
इन बारह गांव के लोग लगभग महाराष्ट्र राज्य के तुमसर या भंडारा जाते है क्योंकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोरेघाट में स्टाफ नर्स रहती ही नहीं जिसके कारण इस अस्पताल में एक भी प्रसूति नहीं हो रही है क्या स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों को नहीं दिखाई दे रहा है कि आखिर इस अस्पताल में क्यों प्रसूति नहीं हो रही है क्या कारण है । जबकि सभी अधिकारी को पता है कि और ये कहिए कि अधिकारियों की मिली भगत से इस अस्पताल के कर्मचारी यहां रहते नहीं है और अपनी मनमानी कर रहे है।
रजिस्टर में रोज की उपस्थिति
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोरेघाट में फर्मासिस्ट और स्टाफ नर्स रहते ही नहीं मगर उपस्थिति पंजीयन में इनके हस्ताक्षर प्रतिदिन रहते है। और अगर प्रतिदिन ये उपस्थित रहते है तो यहां क्यों एक वर्ष में प्रसूति नहीं हुई और जब नहीं रहा रहे तो फिर हस्ताक्षर प्रतिदिन की कैसे ? डॉ पंकज दुबे सी एम ओ कटंगी इनको सारी जानकारी है मगर ऐसा लगता है कि इनकी निगरानी और संरक्षण में कर्मचारी मन मानी कर रहे है।
फेकना पड़ रहा दवाई
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोरेघाट में प्रसूति महिलाओं के लिए किट दवाई, बच्चो तथा बड़ों के लिए दवाई ग्लूकोस की बोतल सब मरीजों के अभाव में रखी की रखी रह जाती है और बाद में इन्हें फेकना तक पढ़ रहा है अगर स्वास्थ विभाग के कर्मचारी ईमानदारी से काम करे तो ये नौबत ही नहीं आएगी कि दवाई फेकना पड़े। फार्मासिस्ट के अभाव में दवाईयां मरीजों को और प्रसूता को नहीं मिल रही है । ड्रेसर के नहीं रहने से बैंडेज करने में भी दिक्कतें आ रही है ।

सुरक्षा गार्ड कर रहे सारा काम
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोरेघाट के ये आलम है कि संदीप बागड़े सुरक्षा गार्ड जो कि ड्रेसिंग का काम, फार्मासिस्ट का काम और मेंटेनेंस भी सुरक्षा गार्ड ही कर रहा है। जबकि सरकार एक ओर ग्रामीणों में सेवा दे रहे डॉक्टर को झोला छाप का दर्जा दे कर उन्हें प्रैक्टिस करने से रोका जा रहा है और सरकार अपने गिरेबान में झांक नहीं रही कि एक सुरक्षा गार्ड जब ये सारे काम कर सकता है तो गांव में जो प्रैक्टिस कर रहे उनके पीछे सरकार क्यों लगी है बदहाल अस्पताल की बात करे तो आय दिन इस यहां समस्या बनी हुई है और खुद अस्पताल एक समस्या बन चुका है या यूं कहिए कि अस्पताल को लाचार बना दिया गया है।