बाघ के हमले से गई जान
आखिर हार गया जंघ किसान
गोरेघाट/तिरोड़ी
सुशील उचबगले की रिपोर्ट
पठार क्षेत्र में लगातार बाघ के हमले से किसानों की जा रही है जान जिससे ग्रामीणों में अब फूट रहा हैं गुस्सा। इस वर्ष में बाघ के लगातार हमले से किसानों की जान जा रही है आखिर कौन है इसका जिम्मेदार? पठार क्षेत्र में किसान अब सुरक्षित नहीं है क्या किसान अपने खेत नहीं जाएगा क्या किसान अपने घर के जानवर के लिए चारे की व्यवस्था भी नहीं कर सकता सारे सवाल अब खड़े हो रहे है सबसे पहलें घटना अम्बेझरी पंचायत के ग्राम खैरलांजी में किसान अपने खेत में कार्य के दौरान बाघ के हमले से मौत हो गई थी, उसके बाद ग्राम पंचायत कुड़वा में किसान अपने खेत में रखवाली करने गया था तब उसका शिकार बाघ ने कर लिया, ग्राम पंचायत कन्हडगांव में गाय चराने गए चरवाहे पर बाघ ने हमला कर घायल कर दिया, उसके पश्चात अम्बेझरी पंचायत में 10 दिनों के अंदर दूसरी बार बाघ ने किसान पर हमला कर घायल कर दिया वहीं मंगलवार को शाम 5 बजे अम्बेझरी निवासी सेवकराम पिता रामजी गोपाले उम्र 65 वर्ष को बाघ ने अपना शिकार बनाना चाहा मगर मुश्किल से बचकर घर आ गया प्राथमिक उपचार के दौरान जिला अस्पताल में सेवकराम ने अंतिम सांसे ली।

आखिर कब तक चलेगा ये खेल
पठार क्षेत्र में दर्जनों गांव
है जहां बाघ का आतंक लगातार जारी है। किसानों ने गाय और जानवर कम कर दिए है ताकि जानवर को जंगल न ले जाना पड़े। ताकि खुद की और जानवर की जान बच सके।
नहीं मिल।रहे है 25 लाख
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने घोषणा की थी कि अगर बाघ के हमले से किसी की जान चले जाती है तो उसे भाजपा सरकार 25 लाख रु देगी मगर अभी तक किसी को भी 25 लाख नहीं मिले है बस आश्वासन दिया जाता हैंनकी कि अभी 8 लाख का चेक ले लो और बाद में मृतक के परिवार के नाम से फ़िक्स डिपॉजिट तथा परिवार में एक सदस्य को नौकरी देंगे मगर अभी तक मात्र 8 लाख के चेक के अलावा कुछ भी नहीं मिला है।
घायलों को कोई सुविधा नहीं
कुछ दिनों पहले ग्राम पंचायत अम्बेझरी में विट्ठल आसटकर के घायल होने पर उसे मात्र लॉलीपॉप ही दिया गया इलाज के लिए मात्र 2000 रु दिए गए। क्या भाजपा सरकार को पता नहीं है कि 2000 रु में क्या इलाज हो जाएगा।

