बिखरते हुए रिश्तों को वन स्टॉप सेंटर ने सवारा
महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती मनीषा लूंबा के मार्गदर्शन में वन स्टॉप सेंटर(सखी) द्वारा पारिवारिक झगड़ों में सतत परामर्श कर मतभेद को दूर कर दाम्पत्य जीवन पुन:स्थापित करने में अहम भूमि निभाई जा रही हैं।
अनुराधा पति सुनील (परिवर्तित नाम) एक गरीब परिवार में जन्मी लड़की है, उसकी 03 बहने है, माता पिता कि आर्थिक स्थिति अत्यधिक कमजोर होने से बचपन से ही अपने मौसी मौसाजी के घर में रहकर पढाई लिखाई की । जिसका पूरा खर्च मौसी द्वारा ही वहन किया गया । मौसी सरकारी नौकरी में थी और उन्हें भी अपने घरेलू कार्य करने के लिए जरुरत थी अत: मौसी द्वारा अनुराधा को आगे कि पढाई कराने के लिए एजुकेशन लोन तीन लाख रूपये लिए । जिसके बदले अनुराधा के सभी मूल दस्तावेज मौसी द्वारा अपने पास रख लिए गये थे । जिससे कारण अनुराधा आगे नौकरी के लिए प्रयास नहीं कर पा रही थी । इसी बीच अनुराधा को किसी लड़के से प्रेम हो जाने से उसके द्वारा अंतरजातिय प्रेम विवाह मौसी मौसाजी के विरुद्ध जाकर कर लिया गया । अनुराधा चूँकि कहीं नौकरी नही कर पा रही थी जिस कारण लिए गये एजुकेशन लोन कि वसूली गारेंटर मौसी से वसूल रही थी । जिस कारण मौसी आये दिन पैसे के लिए बोल कर अपशब्दों का प्रयोग करती थी ।
04 वर्ष विवाह के पूर्ण होने के पश्चात भी अनुराधा द्वारा किसी भी प्रकार से लोन का भुगतान नही किया गया था एवं दोनों पक्षों द्वारा अपशब्दों एवं विवाद की स्थिति उत्पन्न होने से प्रकरण वन स्टॉप सेंटर बालाघाट में अनुराधा द्वारा दर्ज करवाया गया एवं उसी समय अनुराधा 09 माह की गर्भवती थी । वन स्टॉप सेंटर द्वारा दोनों पक्षों को लगातार परामर्श केस वर्कर श्रीमती यानिता रहांगडाले द्वारा किया गया । जिसमे दोनों पक्षों का आपसी समझौता हुआ और अनुराधा के द्वारा लोन की राशि का भुगतान कर दिया गया एवं मौसी द्वारा उसके मूल दस्तावेज अनुराधा को वापस दिए गये । अनुराधा को अपनी गलती का एहसास हुआ एवं रिश्तों की अहमियत समझ आई । अनुराधा ने स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया और अब अपने पारिवारिक दाम्पत्य जीवन सुखपूर्वक व्यतीत कर रही है ।