*मधुमक्खियों के काटने से घायल मासूम एक रात एक दिन अचेत रहा, कॉल करने पर भी नही मिली 108 की सुविधा* *पथरिले राह पर पैदल चल मां जैसे तैसे पहुंची अस्पताल*
बालाघाट/परसवाङा- परसवाङा के वनांचल क्षेत्रों मे आज भी बैगा आदिवासीयो के लिए सङक, बिजली, पानी स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं बेपटरी ही है ! जरूरत के समय शासन की महात्वाकांक्षी योजनाओं का भी लाभ इन भोले भाले बैगा आदिवासीयो के लिए मुनासिब नही हो पा रहा है, जबकि सरकारें बैगा समुदाय को विशेष दर्जा देते हुए इनके लिए करोड़ो खर्च करने का दम्भ भरती है, किन्तु शासन प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोलती यह रिपोर्ट चीख चीख कर यह बताती है, कि आज भी भोलेभाले आदिवासी बैगा लंगोट लगाए आदिम मानव का जीवन जीने को मजबूर है, जमीनी हकीकत देखी जाए तो शासन प्रशासन के तमाम दावे यहाँ पर झूठे साबित होते है।
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र परसवाड़ा में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दंभ भरने वाली शासन की योजनाओं का लाभ एक मासूम से बालक को नहीं मिल पाया है, जो कि रात भर मधुमक्खियों के काटने की असहनीय पीड़ा को सहते रहा, आखिरकार असहनीय दर्द के चलते मासूम अचेत पड़ गया, जिसे दूसरे दिन उसकी बड़ी मां किसी तरह लेकर अस्पताल पहुच पाई।
मधुमक्खियों से घायल हुआ बालक अचेत अवस्था में यूं ही ऐसे असहनीय पीड़ा सहते रहा, जिसे दूसरे दिन सुबह तक 108 की सुविधाएं नहीं मिल पाई, धिक्कार है ऐसी शासन की योजनाओं को जो एक मासूम से बच्चे को मुहैया नही कराई जा सकी जिसके चलते असहनीय पीड़ा से कराहते कराहते नन्हा बच्चा अचेत पड़ गया,
मामला बुधवार की सुबह परसवाङा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मे देखने को मिला जहाँ तकरीबन दो वर्ष के एक नन्हे से बच्चे को अचेत अवस्था मे उसकी बङी मा लेकर परसवाङा अस्पताल पहुंची !
घायल बालक संतराम की बङी मा फुलवती तेकाम ने बताया कि मंगलवार जब वह बांस काटने जंगल नहरा नदी की ओर गये हुये थे, सिर पर बांस का गठ्ठा और बच्चे को गोद मे रखकर जा रही थी तभी कुछ दुरी पर ही मधुमक्खियों ने हमला कर दिया जिसमे मधुमक्खियों ने बच्चे को भी काट लिया, मा ने बताया कि बचाव के लिए बांस के गठ्ठे को नीचे फैंककर बच्चे सहित पानी मे डूब गये ! जिसके बाद किसी तरह हम घर पहुच पाए और बच्चे की हालत को देखते हुये मंगलवार की शाम 4 बजे डायल 108 को फोन करके बुलाया, परन्तु आधे घंटे मे पहुचने की बात कहकर भी 108 की सुविधा नही मिली ! मजबूरन रात भर बच्चे को साधन के अभाव में किसी तरह घर पर रखना पड़ा, जैसे तैसे रात बीतने के बाद महिला फुलबती ने बुधवार की सुबह 6 बजे भी एक फिर 108 को फोन किया पर सुविधा नही मिल पाई !
एक रात और एक दिन अचेत पड़ा रहा बालक-
परसवाड़ा क्षेत्र की इस घटना के बारे में जिसने भी सुना वह सरकार की योजनाओं को बिना कोसे नही रह पाया,
परसवाड़ा के ग्राम कुकड़ा की इस खबर ने सरकार की लचर स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलकर रख दी है, जिसमे यहां के स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत को बयां किया गया। स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था ने एक मासूम बालक को अचेत अवस्था में दिन और पूरी रात असहनीय कष्ट सहने के लिए मजबूर कर दिया, परंतु धन्य है वह मां यशोदा जिसने 5 किलोमीटर के पथरीले रास्ते को लांघकर पैदल चलते हुए बच्चे को अस्पताल पहुंचाने के लिए घर से निकल पड़ी और 5 किमी पैदल चलने के बाद ग्राम चीनी पहुच कर राह में किसी से सहायता लेकर जैसे तैसे अस्पताल पहुंच पाई, जिसके बाद नन्हे से बालक का इलाज शुरू हुआ !
पांच किमी पैदल चलकर चीनी पहुंची महिला – कुकड़ा निवासी बैगा समुदाय की महिला फूलवती तेकाम ने बताया कि 108 की सुविधा नहीं मिल पाने पर बच्चे को अस्पताल लेकर जाने के लिए ग्राम चीनी तक पैदल ही चली, ग्राम चीनी पहुचने पर चीनी निवासी एक युवक ने अपनी मोटरसाइकिल पर हम दोनो को परसवाङा अस्पताल पहुचाया !
घायल बच्चे को किया गया जिला अस्पताल रेफर-
घायल अवस्था मे बच्चे को लेकर पहुची महिला को देखकर चिकित्सको की टीम द्वारा त्वरित इलाज किया गया है ! चिकित्सको द्वारा बच्चे के बेहतर इलाज के लिए बैगा बालक संतराम पिता इंदलसिह तेकाम को बङी मा फुलवती तेकाम की देखरेख मे डायल 108 की मदद से बालाघाट रेफर किया गया, ताकी मधुमक्खियों के काटने से घायल बेहोश बालक को बेहतर इलाज मिल सके !
माँ नही है, पिता है अपाहिज-
मधुमक्खी के काटने से घायल उक्त बालक की माता का बच्चे के जन्म के बाद ही स्वर्गवास हो गया, जैसे तैसे पालन पोषण करने वाले पिता भी रीछ के हमले मे दो वर्ष पहले घायल हो गये, जो कि अब अपाहिज है, कुकङा की फुलबती तेकाम बताती है कि बच्चे के पिता इंदलसिह तेकाम को भी मधुमक्खियों ने काटा है परन्तु सुविधाओं के अभाव मे वह अस्पताल तक नही पहुच पाया है !
बच्चे की हालत सामान्य-
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परसवाड़ा के चिकित्सक दीपक कुंभरे ने बताया कि बच्चे की हालत सामान्य है परंतु मधुमक्खियों के काटने का केस है और 1 दिन ज्यादा हो चुका है बच्चे को लाने में भी देरी हो गई है परंतु यहां आते ही प्राथमिक उपचार किया गया है, मधुमक्खियों के कांटे निकलवा दिए गए हैं, हो सकता है कि आगे बच्चे को जरूरत पड़े इसलिए ध्यान में रखकर इलाज किया जा रहा है वर्तमान में बच्चे की स्थिति ठीक है ! परसवाड़ा से राकेश मिश्रा की रिपोर्ट