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मनुवाद की छाती पर बिरसा, फुले, अंबेडकर का नारा गूंजा – भीम आर्मी ने सौंपा ज्ञापन, बाबा साहब की मूर्ति स्थापना की उठाई मांग

इंदौर, 22 मई 2025 – “मनुवाद की छाती पर बिरसा, फुले, अंबेडकर” के जोशीले नारों के साथ आज इंदौर में सामाजिक न्याय की आवाज बुलंद हुई। भीम आर्मी द्वारा माननीय मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय, दिल्ली के नाम एक ज्ञापन जिला अधिकारी, इंदौर के माध्यम से सौंपा गया। इस ज्ञापन के माध्यम से यह मांग की गई कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में विधिसम्मत रूप से स्थापित किया जाए।

 

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि कुछ जातिवादी, मनुवादी व असामाजिक तत्वों द्वारा अंबेडकर जी की मूर्ति स्थापना का विरोध किया जा रहा है, जो न केवल संविधान के मूल्यों के खिलाफ है बल्कि सामाजिक सौहार्द्र को भी ठेस पहुंचाता है। ज्ञापन में यह भी आग्रह किया गया कि जो लोग यह धमकी दे रहे हैं कि मूर्ति को तहस-नहस कर दिया जाएगा, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाए।

भीम आर्मी का सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष

भीम आर्मी, जो लंबे समय से वंचित समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रही है, ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि बाबा साहब का मिशन अभी अधूरा नहीं है। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर सिर्फ दलितों के नहीं, बल्कि पूरे भारत के संविधान निर्माता हैं। ऐसे में उनकी मूर्ति का विरोध करना संविधान का अपमान करना है।

समर्थन में आए अन्य संगठन

ज्ञापन सौंपे जाने के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में जयश संगठन इंदौर और गुजराती बलाई समाज संगठन इंदौर ने भी हिस्सा लिया। इन संगठनों ने भीम आर्मी की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि देश में बाबा साहब की प्रतिमा का विरोध करना, उनके विचारों का अपमान है। यह विरोध दर्शाता है कि अब भी समाज में जातिवादी मानसिकता जीवित है, जिसे समाप्त करना आवश्यक है।

मूर्ति स्थापना का महत्व

बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति सिर्फ एक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, समानता और बंधुत्व के मूल्यों का प्रतीक है। उच्च न्यायालय परिसर में उनकी प्रतिमा की स्थापना न केवल उन्हें श्रद्धांजलि होगी, बल्कि न्याय प्रणाली में समरसता और समान अधिकारों की पुष्टि भी करेगी।

मनुवादी सोच के खिलाफ जनजागरण जरूरी

ज्ञापन में इस बात पर भी ज़ोर दिया गया कि मनुवादी और जातिवादी सोच को समाप्त करने के लिए देशभर में जनजागरण की आवश्यकता है। जब तक समाज में समता नहीं आएगी, तब तक बाबा साहब के सपनों का भारत नहीं बन सकता। मूर्ति का विरोध करने वाले तत्व संविधान के दुश्मन हैं, और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

संवैधानिक मूल्यों की रक्षा का संकल्प

इस कार्यक्रम के माध्यम से भीम आर्मी व अन्य संगठनों ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि वे संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। बाबा साहब की प्रतिमा की स्थापना एक संवैधानिक अधिकार है और इसके विरोध को सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि प्रशासन मूर्ति स्थापना में देरी करता है, तो देशभर में आंदोलन किया जाएगा।

निष्कर्ष

भीम आर्मी, जयश संगठन इंदौर और गुजराती बलाई समाज संगठन का यह संयुक्त प्रयास समाज में बढ़ती जातिवाद और असमानता के विरुद्ध एक मजबूत कदम है। बाबा साहब की मूर्ति केवल पत्थर की नहीं, बल्कि यह सामाजिक क्रांति की आत्मा है। अब समय आ गया है कि हम मिलकर मनुवादी सोच के खिलाफ आवाज उठाएं और अंबेडकरवादी विचारधारा को आगे बढ़ाएं।

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