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# मानव अधिकारों का हनन ना हो – तपेश कालबेले सदस्य मानवाधिकार परिषद #

जिला प्रशासन एवं पुलिस द्वारा लोगों में विश्वास बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए ना की जबरदस्ती कर के आम नागरिकों पर शिकायत के लिए दबाव बनाना इस प्रकार की कार्यवाही से लोगों में डर का माहौल बना हुआ है,जो कि मानव अधिकारों का हनन है- तपेश कालबेले सदस्य मानवाधिकार परिषद

 

 

गत दिवस ग्राम बोलेगांव में बिना सर्च वारंट जबरदस्ती लोगों के घरों में जाकर तलाशी की गई जोकि अनैतिक व्यवहार है लोकतंत्र का हनन है लोगों को प्रताड़ित करने का अधिकार किसी को नही, हजारों लोगों का विश्वास बन चुके लोगों पर बिना किसी शिकायत इस प्रकार की कार्यवाही सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक षड्यंत्र प्रतीत होती है, पुलिस प्रशासन एवं जिला प्रशासन को आज तक लोगों की शिकायत का इंतजार है जिससे कि वह इस मामले में अपना पक्ष रख सके, जिस प्रकार से लोगों ने अपना विश्वास और समर्थन सोमेंद्र एवं अन्य साथियों को दिया है उससे यह साफ होता है कि लोगों मैं आज भी विश्वसनीयता कायम है जिसकी वजह से आज तक कोई भी शिकायत लिखित रूप से पुलिस एवं जिला प्रशासन को प्राप्त नहीं हुई है यह सिर्फ पैसों की बदौलत ही नहीं होता है जिस प्रकार के सरल एवं सहज व्यवहार एवं जनसेवा की भावना से उन्होंने कार्य किया है जिसका परिणाम यह है कि आज बच्चा बच्चा एवं आम नागरिक भी उन लोगों के समर्थन में घर से लेकर जिले तक बिना किसी दबाव के स्वेच्छा से समर्थन में निकल पड़ता है, इन लोगों में सिर्फ निवेशक ही नहीं अपितु उनके व्यवहार एवं सामाजिक जीवन से प्रभावित लोग भी हैं जो कि उन्हें मसीहा मानते हैं, इसके बाद भी जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन का रवैया लोगों के प्रति बर्बरता पूर्ण व्यवहार कहीं ना कहीं लोगों के सब्र को चुनौती दे रहा है, जिला एवं पुलिस प्रशासन द्वारा जिन रुपयों को जप्त किया गया है उनकी संख्या अनुमानित ही बताई जा रही है जबकि गिनती मशीनों से किया गया है जो कि सवालों के घेरे में है, पहले आओ पहले पाओ का बयान गुमराह करने का एक तरीका ही प्रतीत होता है जबकि आज तक कई चिटफंड कंपनियों के शिकायत शासन प्रशासन से की गई है लेकिन कोई भी उन लोगों का पैसा वापस दिलाने में कामयाब नहीं हुआ इसीलिए लोगों का प्रशासन पर भरोसा जताना बहुत मुश्किल है, जब मामला न्यायालय में है तो लोगों को पैसा वापस दिलाने का अधिकार पुलिस को नहीं, भारी दबाव के साथ पुलिस प्रशासन ने जिस तरह की गिरफ्तारियां की है अब उसके बाद उन्हें शिकायतों का लोगों को प्रताड़ित करने के बाद भी इंतजार है, लोकतंत्र में आंदोलन करने का अधिकार क्षेत्र की ग्रामीण जनता को है, पुलिसिया कार्यवाही से ग्रामीण लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है वर्तमान में जिला एवं पुलिस प्रशासन को जिन लोगों ने निवेश किया है उन्हें पैसा वापस दिलाना प्राथमिकता होना चाहिए ना कि आमजन पर अत्याचार पूर्ण रवैया अपनाना, यदि यह कारोबार सात-आठ सालों से चल रहा है तो फिर जिला एवं पुलिस प्रशासन अभी तक क्या कर रहा था यदि अनैतिक एवं गलत लोगों के साथ हो रहा था तो क्षेत्र के जनप्रतिनिधि एवं प्रशासन शासन अभी तक क्यों मौन था, जब बिना किसी शिकायत के गिरफ्तारी पुलिस प्रशासन द्वारा की जा सकती है तो यह कार्य पहले क्यों नहीं किया गया जिससे लोगों के जो आज निवेश के पैसे फंसे हुए हैं यह सब नहीं होता यदि कार्यवाही पहले की जाती तो मामला ज्यादा रकम का है तो फिर केंद्रीय एजेंसियों को क्यों नहीं सौंप दिया गया कहीं पुलिस एवं जिला प्रशासन को यह डर तो नहीं की जब जांच केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की जाएगी तो जिले के एवं लांजी किरनापुर के कई नामचीन लोगों के नाम सामने आएंगे जोकि राजनीतिक दृष्टि से नुकसानदायक साबित हो सकता है, बिना शासन प्रशासन के समर्थन इस प्रकार के कार्य नामुमकिन,आज भी क्षेत्र की आम जनता ना सिर्फ निवेशक बल्कि सोमेंद्र के चाहने वाले समर्थक पूरे विश्वास के साथ उन लोगों के साथ खड़े हैं एवं समर्थन पूरा दे रहे हैं लोगों से विनम्र अपील शांति बनाए रखें , हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा 30 तारीख को जब न्यायालय में सुनवाई की जाएगी तब निश्चित ही बिना किसी शिकायत के सभी को जमानत मिल जाएगी ऐसा हमारा विश्वास है सत्य प्रताड़ित हो सकता है पराजित नहीं जय माता दी 🙏

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