*महाराणा प्रताप*
मेवाड़ का वह पुत्र प्रताप,
जिसे देख शत्रु का मुख लाल हुआ।
चौड़ी छाती लम्बी कद-काठी,
वीरता से जिसकी अकबर का हदृय बेहाल हुआ।
राज्यभिषेक हुआ प्रताप का,
जनता का शुरू त्यौहार हुआ।
जलाल खाँ को भेजकर,
अकबर का शुरू भ्रमजाल हुआ।
न जाने किस भ्रम मे था, अकबर
जो महाराणा से मानसिंह का मिलाप हुआ।
एकजुट किया सेना को,
युद्ध का शंखनाद हुआ।
लहू बहा उस हल्दीघाटी में,
माटी का रंग लाल हुआ।
चेतक के शौर्य और साहस का,
प्रत्यक्षदर्शी यह संसार हुआ।
बच्चों में, महिलाओं में, युवाओं में,
जिसकी वीरगाथाओं का संचार हुआ।
धन्य है, वह भारत माँ,
जिसका *महाराणा प्रताप* जैसा लाल हुआ।
– सचिन पाण्डे