*लांझीगढ़ किले में आखातीज पर्व पर बढ़ादेव महापूजा कार्यक्रम हर्षोल्लास से मनाया गया*
_*तिरू. सोहनसिंह पोटाई अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ व पूर्व सांसद के मुख्यातिथ्य एवं तिरू. अरविंद नेताम पूर्व केंद्रीय मंत्री की अध्यक्षता में आखातीज पर्व का आयोजन किया गया।*_
लांझीगढ़ किले में आखातीज पर्व व बड़ादेव महापूजा पर विशिष्ट अतिथिगण तिरूमाल विश्वनाथ वाकड़े राष्ट्रीय अध्यक्ष आदिवासी धर्म परिषद भारत, रमेश भटेरे पूर्व विधायक लांजी किरनापुर, दिवाकर पेन्द्रम राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गोंडवाना महासभा महाराष्ट्र, सुनउराम नेताम राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गोंडवाना महासभा छत्तीसगढ़, तिरूमाय लोकेश्वरी नेताम अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ गो.गो.महासभा छत्तीसगढ़, रमा टेकाम कवियत्री बालाघाट, तिरू.भुवनसिंह कोर्राम अध्यक्ष आ.धर्म परिषद मध्यप्रदेश, प्रतापसिंह कुलस्ते राष्ट्रीय अध्यक्ष जीएसयू, जी.डी. नाईक सहायक संचालक बालाघाट, संतोष परस्ते जिलाध्यक्ष युवा मोर्चा जी.जी.पी मंडला, संतु सोरी वैद्य कोंडागांव, कैलाश नेताम प्रशासनिक सलाहकार, उदय नेताम गोंडवाना महासभा छत्तीसगढ़, राजा रावेन राजतिलक धुर्वे प्रबंधक प्रकोष्ठ जीएसयू, नरषोत्तम चौधरी अध्यक्ष माना उत्थान समिति लांझीगढ़, फूलसिंह नेताम रिटायर्ड एडिशनल कलेक्टर बस्तर, मनोज कोडापे समाजसेवी, मदनसिंह कुलस्ते गोंडवाना महासभा मंडला मंचासीन रहे।
आदिवासी समाज लांजी के द्वारा हर्षोल्लास के साथ प्रतिवर्ष एकता व परम्परागत संस्कृति का परिचय देते हुए पीढ़ी दर पीढ़ी से चले आ रहे अपने पूर्वजों के मार्गदर्शन में अपनी ऐतिहासिक धरोहर व प्रकृति संरक्षण के निमित्त से बड़ादेव महापूजा व अक्षय तृतीया आखातीज पर्व पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन गोंडवाना विकास समिति, जीएसयू लांझीगढ़ व सहसंयोजक आदिवासी समाज के संयुक्त तत्वावधान में लांझीगढ़ किला परिसर में आयोजित किया गया।
*कार्यक्रम की गतिविधियां*
शुरूआत में सुबह बुढादेव, बुढीमाई ठाना में आयोजक समिति के अध्यक्ष धनीराम इनवाती जी द्वारा कलश स्थापना की गई। उसके पश्चात ध्वजारोहण किया गया। साथ ही नाभिस्थल, खेरमाई ठाना, लंजकाई ठाना, कालीकंकाली ठाना में कलश स्थापना कर पूजा अर्चना की गई।
इसी तारतम्य में आमंत्रित अतिथियों व सगाजनों का पंजीयन जीएसयू व माना युवा प्रकोष्ठ के साथियों के द्वारा किया गया।
मुख्य आकर्षण का केंद्र रही आदिवासी समाज के द्वारा नगर भ्रमण करते हुए रैली निकाली गई जो कि लांझीगढ़ किले से होकर गुजरी चौक जिसे आदिवासी समाज द्वारा तिलकारानी चौक के रूप में स्थापित किया गया हैं फिर सुभाष चौक बस स्टैंड होते हुए धूमधाम से रेला पाटा नृत्य किया गया। जो सभी के मन व आत्मीयता के भाव को जागृत करता हैं इसके पश्चात लंजकाई मंदिर होते हुए वापस लांझीगढ़ किले में रैली पहुंची।
तदुपरांत पुरखा सगाजन पूर्वज व समिति के संरक्षक आर सी नेताम जी के द्वारा 365 कलश की स्थापना कर दीप प्रज्वलित कर बुढादेव को सुमिरन किया गया।
आमंत्रित अतिथि व आदिवासी सगाजन के द्वारा आरती कर फड़ापेन प्रतीक जीएसयू टीम द्वारा दीपक से बनाये व आतिशबाजी कर जयघोष किया गया।
*अतिथियों का स्वागत व उदबोधन*
लांझीगढ़ गोंडवाना विकास समिति के संरक्षक आर सी नेताम जी के द्वारा सभी मंचासीन अतिथियों का स्वागत कर उपस्थिति के लिए धन्यवाद किया गया। साथ ही लांझीगढ़ किले की ऐतिहासिक विरासत व गोंड़ शासकों के पुरातन इतिहास का उल्लेख बताया गया। इसी तारतम्य में आमंत्रित अतिथियों द्वारा उदबोधन दिए गए जिसमें तिरू. सोहनसिंह पोटाई अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ व पूर्व सांसद द्वारा लांझीगढ़ किले में आयोजित कार्यक्रम के लिए आयोजक समिति का धन्यवाद किया व सभी सगाजन को एकजुट करने के लिए पारंपरिक कार्यक्रम को ऐसे ही बढ़ावा देने की बात कही। फूलसिंह नेताम रिटायर्ड एडिशनल कलेक्टर बस्तर द्वारा अपने परम्परागत वैवाहिक रिवाज को बताया गया जिसमें कैसे एक लड़की जब शादी करती हैं तो उससे पहले वे अपने होने वाले पति से वचन मांगती हैं जिसमें अपने परिवार, उसके परिवार व अंतिम में अपने लिए वचन को निभाने की बात कहती हैं जिसका एक कविता के रूप में सुनाया। इसी तारतम्य में रमेश भटेरे पूर्व विधायक लांजी किरनापुर जी ने कहा आदिवासी की परम्परा व रीति रिवाजों को हम पहचान रहे हैं जिसके लिए हमारा साथ व योगदान हमेशा रहेगा। विश्वनाथ वाकड़े राष्ट्रीय अध्यक्ष आदिवासी धर्म परिषद भारत इनके द्वारा कहा गया कि सभी आदिवासी एक साथ एक ही छत के नीचे एकजुट होकर हमें अपने संस्कृति व परम्परा का संरक्षण करना हैं। प्रकृति शक्ति व ऐतिहासिक धरोहर जो हमारे पूर्वजों की देन हैं इसे संरक्षित करते हुए एकता का परिचय देना हैं। इसी कड़ी में सभी अतिथियों द्बारा एक-एक कार उदबोधन दिए गए जिसका लाभ सभी माता बहने एवं युवा साथियों ने उनके शब्दों को आत्मसात करते गये। जीएसयू टीम लांझीगढ़ द्वारा सांस्कृतिक नृत्य की प्रस्तुति की गई। जिसमें संदीप टेकाम, डेविड उईके, अजय नेवारे, सुशीला वरकड़े आदि साथियों का सहयोग रहा। कार्यक्रम का समापन व अतिथियों का आभार व्यक्त धनीराम इनवाती अध्यक्ष लांझीगढ़ गोंडवाना विकास समिति द्वारा किया गया।
मंच संचालन दीनू उइके, ज्योति मर्सकोले, गीता मर्सकोले द्वारा किया गया।
आयोजक समिति के संरक्षक तिरु. आर सी नेताम, सोभिराम नेताम, धनीराम इनवाती अध्यक्ष, अशोक मर्सकोले सचिव, मोतीराम उईके, श्रावण उईके, विनोद उईके, सी एल उईके, अमोल सिंह धुर्वे, हीरामन उईके, दिलीप उईके, दिनु उईके, नरेश उईके, संदीप टेकाम, सोनम मर्सकोले, शुशीला वरकड़े, डेविड उईके, लक्ष्मण नेवारे, ओमकार मंडलवार, हेतराम चौधरी, संजय सरवरे, अजय नेवारे, मुन्नालाल मलगाम, राधेश्याम नारनौरे, महेश घोरमारे, अशोक घरते, गांधी घोरमारे, राकेश नारनौरे आदिवासी युवा प्रेरक वक्ता सहसंयोजक माना समाज, माना युवा प्रकोष्ठ, बिंझवार समाज, गोवारी समाज, सोनझारी समाज, हल्बा समाज, नगारची समाज, धुलिया समाज, कंडरा समाज, बैगा समाज एवं समस्त आदिवासी समाज आदि सगाजनों के सहयोग से कार्यक्रम का आयोजन सफलता पूर्वक किया गया।