विश्व बांस दिवस विशेष
हरित सोना की खेती से राज्य शासन किसानों को दे रही उभरने के अवसर
हिर्री के किसान हिरदय सिंह ने दो भिर्रो से पाया 1 लाख रुपये
सामान्य सुविधा केंद्रों पर बन रहें कीमती फर्नीचर
प्रकृति का अद्वितीय और बहुमूल्य संसाधन बांस जिले के वनीय क्षेत्र की शोभा बढ़ाने के साथ ही लाभकारी सिद्ध हो रहा है। बांस न सिर्फ फर्नीचर, बल्कि कागज, कपड़ा और भोजन का अच्छा संसाधन है। वर्ष 2009 से विश्वा बांस संघटन द्वारा 18 सितम्ब र को विश्व बांस दिवस मनाया जाता है। बांस की खेती और उद्योग का छोटा सा नमूना उकवा में हिर्री के हिरदय सिंह किसान पेश कर रहे है। वे करीब 4 वर्षो से राज्य शासन की बांस मिशन योजना के तहत कार्य कर रहे है। उन्होंने अपने खेत की मेढ़ पर दो भिर्रो से 95 लाख रुपये उपजे है। उन्हें इन भिर्रों से 20 से 25 हजार रुपये की उम्मीद थी। हिर्दयसिंह बांस की खेती के साथ इंटर क्रॉप कर मक्का व धान से भी मुनाफा लेने में कामयाब है।
राज्य मिशन का बांस मिशन निजी भूमि पर और आजीविका आधारित
इस बहुमूल्य संसाधन को बढ़ावा देने के लिए राज्य शासन अपने लगातार प्रयास कर रही है। बम्बू मिशन से एक तरफ तो किसानों को प्रोत्साहन देकर खेती के लिए प्रेरित कर रही है। दूसरी ओर ऐसे संघ बनाये जा रहे है जो पारम्परिक तौर पर इस कार्य से जुड़े है। जो सदियों से इसी कार्य में पारंगत है। जो कई तरह के आकर्षक व लुभावने फर्नीचर बनाने का कार्य कर रहे है। शासन आजीविका आधारित उद्योग स्थापना के कार्य कर रही है। जिले में मप्र राज्य बांस मिशन में वर्ष 2019 से 2024 तक जिले के दो संभाग में 648.982 हेक्टयर क्षेत्र में 307 किसानों ने 384762 बांस के पौधें लगाए है। जिन्हें योजनानुसार प्रति पौधा 120 रुपये की दर से अलग-अलग समय में 1066542 लाख रुपये का अनुदान के रूप में प्रदाय किये गए।
जिले में मिल रहा है बांस आधारित उद्योग को बढ़ावा
एसडीओ वन (उत्तर संभाग) श्री शुभम पूरी ने बताया कि बालाघाट प्रदेश में बांस क्षेत्र व बांस उत्पादन में अग्रणी जिला रहा है। यहाँ बांस आधारित उद्योग के अच्छे अवसर है। अभी जिले में 3 ऐसे संघ संचालित है। जो बांस से बनने वाली अद्भुत शिल्प कलाकारी से उद्योग को नया आयाम दे रहे है। बैहर के 2 संघ नवयुवक वनांचल समिति व बाबा सिहरपाट समिति तथा गर्रा में शिल्पकला केंद्र द्वारा आकर्षक फर्नीचर बनाकर पूरे प्रदेश में अपने व्यवसाय को बढ़ा रहें है।
बांस मानव जीवन में अत्यंपत उपयोगी
बांस एक ऐसा पौधा है जो न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि आर्थिक रूप से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह तेजी से बढ़ने वाला पौधा होता है, जिसे सही परिस्थितियों में हर दिन 3 से 4 फीट तक बढ़ने की क्षमता होती है। बांस विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी होता है। बांस का उपयोग भवन निर्माण, फर्नीचर, और अन्य संरचनाओं के निर्माण में किया जाता है। साथ ही कृषि और मृदा संरक्षण में बांस की जड़ें मिट्टी को मजबूत करती हैं और मृदा अपरदन को रोकने में मदद करती हैं। पर्यावरण संरक्षण बांस कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण करता है और ऑक्सीजन छोड़ता है, जिससे वायुमंडलीय संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। बांस से बनी वस्तुएं शिल्पकारों की रोजी-रोटी का मुख्य साधन होती हैं। बांस से कागज का उत्पादन भी किया जाता है। इन सभी कारणों के चलते बांस को ‘हरित सोना’ के रूप में भी जाना जाता है।