वैशाख बुद्ध पूर्णिमा: गौतम बुद्ध के जीवन की 11 महत्वपूर्ण घटनाए
जानिए वैशाख बुद्ध पूर्णिमा का महत्व और गौतम बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाएं जैसे जन्म, ज्ञान प्राप्ति, परिनिर्वाण और उनके उपदेश। यह दिन क्यों इतना पवित्र माना जाता है?
प्रकाशक: JBT AAWAAZ NEWS | जन्मभूमि-टाइम्स
1. गौतम बुद्ध का जन्म (2649 वर्ष पूर्व)
वैशाख पूर्णिमा के दिन लुंबिनी साल वन में सिद्धार्थ गौतम का जन्म हुआ, जो बाद में Gautam Buddha बने। जन्म के तुरंत बाद उन्होंने सात कदम चलकर अद्भुत वचन कहे – “यह मेरा अंतिम जन्म है!” यह घटना आज भी मानवता के लिए प्रेरणा है।
2. ज्ञान प्राप्ति (2614 वर्ष पूर्व)
गृहत्याग के छह वर्ष बाद, वैशाख पूर्णिमा की रात Gautam Buddha ने गया के बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाकर सम्यक सम्बुद्धत्व प्राप्त किया। उस रात उन्होंने मार को पराजित किया और निर्वाण का मार्ग दुनिया को दिखाया।
3. महापरिनिर्वाण (2569 वर्ष पूर्व)
कुसिनारा में सालवन के उपवर्तन में Gautam Buddha ने 80 वर्ष की आयु में अंतिम उपदेश के बाद परिनिर्वाण प्राप्त किया। उन्होंने जीवन भर लोक कल्याण के लिए सद्धर्म का प्रचार किया।
4. अन्य ऐतिहासिक जन्म
इसी दिन देवी यशोधरा, अर्हंत आनंद, अर्हंत छन्न, अर्हंत कालुदाई और कंथक घोड़ा का जन्म हुआ। पीपल का बोधि वृक्ष भी इसी दिन उत्पन्न हुआ। इन्हें “सप्त सहजात वस्तुएं” कहा गया है।
5. कपिलवस्तु आगमन (2613 वर्ष पूर्व)
Gautam Buddha वैशाख पूर्णिमा के दिन कपिलवस्तु लौटे। यहां उन्होंने अद्भुत चमत्कार दिखाया और महावेस्सन्तर जातक से धर्म का उपदेश दिया।
6. राजमहल में धर्मोपदेश
राजा शुद्धोधन और प्रजापति गौतमी को उन्होंने धम्मपद गाथा सुनाई। यशोधरा के कक्ष में जाकर ‘चंदाकिन्नर जातक’ से उन्हें भी धर्म का ज्ञान दिया।
7. राहुल को प्रव्रज्या
यशोधरा ने अपने पुत्र राहुल को दायाद मांगने भेजा। Gautam Buddha ने उसे प्रव्रज्या दी। यह घटना आज भी बौद्ध इतिहास में महत्वपूर्ण मानी जाती है।
8. लंका यात्रा (2622 वर्ष पूर्व)
Gautam Buddha ने लंका में कई पवित्र स्थानों पर अपने पदचिन्ह छोड़े। यह उनकी तीसरी लंका यात्रा थी, जिसमें 500 अर्हंत मुनि भी साथ थे।
9. लंका के लिए भविष्यवाणी
Gautam Buddha ने देवेंद्र शक्र को कहा कि “लंका में मेरा सासन स्थापित होगा और सुरक्षित रहेगा।”
10. अर्हंत आनंद मुनि का परिनिर्वाण (2529 वर्ष पूर्व)
Gautam Buddha के प्रधान सेवक अर्हंत आनंद मुनि ने 120 वर्ष की आयु में परिनिर्वाण प्राप्त किया। उनकी अस्थियों से स्तूप बनवाए गए।
11. छठ्ठ संगायन (71 वर्ष पूर्व)
1954-56 में बर्मा (सुवण्णभूमि) में छठ्ठ त्रिपिटक संगायन हुआ। इसमें गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का पुनः पठन और शुद्धिकरण किया गया।
उपसंहार:
इस वैशाख बुद्ध पूर्णिमा पर आइए, हम सब Gautam Buddha के जीवन से प्रेरणा लें और उपोसथ धारण करके पुण्य अर्जित करें।
कोटि-कोटि नमन Gautam Buddha को!