*शासकिय कर्मचारी के द्वारा शासकिय भूमि पर कब्जा कर किया जा रहा मकान निर्माण कार्य*
*शासकिय कार्यवाही का नही है शासकिय कर्मचारी शिक्षक को कोई भय*
लंाजी- तहसील लांजी अंतर्गत ग्राम पंचायत दुल्हापुर निवासी एवं शिक्षक पद पर पदस्थ शंकरलाल बड़घैया शासकिय प्राथमिक शाला दखनीटोला मे प्रधान पाठक पद पर पदस्थ है जिनके निवास स्थान ग्राम दूल्हापुर से लगी भूमि जों कि शासकिय घास मद कि भूमि है जिसपर शंकरलाल बड़घैया शिक्षक द्वारा निर्माण कार्य किया जा रहा है सुचना के संबंध मे हल्का पटवारी के द्वारा अतिक्रमण का पंचनामा तैयार कर तहसील कार्यालय लांजी मे जमा कर दिया गया है पटवारी के द्वारा अतिक्रमण कि गई भूमि का निरक्षण किए जाने पर उक्त भूमि शासकिय घास मद कि पाई गई जिसे परिवर्तीत कर निर्माण कार्य किया जा रहा था । मौका स्थल पर ग्राम के सचिव, सरपंच रोजगार सहायक एवं जनपद सदस्य तथा गणमान्य नागरिकों के मध्य मिडीया कर्मीयों के द्वारा पुछताक्ष कि गई जिसमें बताया गया कि उक्त भूमि को पटवारी द्वारा नाप जोंक किया गया एवं शंकरलाल बडघैया प्रधान पाठक के द्वारा अपने सगे संबंधियों कि भूमि बताकर 2 लाख रुपये कि धन राशि देकर जिसे स्वंय के नाम रजिस्ट्री करवाये जाने कि बात सामने आयी। 2 उक्त भूमि को शंकरलाल द्वारा स्वंय कि ना बताकर अपनी चाची कि बताया जा रहा है जिसपर ग्राम रोजगार सहायक के द्वारा प्रधान मंत्री आवास भी योजना के तहत मकान भी पास करवाया गया है। जब इस विषय पर रोजगार सहायक नोहर पिपलेवार से पुछताक्ष कि गई तो उनके द्वारा बताया गया कि शिक्षक कि चाची सोनामती बड़घैया का प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान पास हुआ जिसकि सम्पुर्ण जानकारी सोनामती के द्वारा बतायी गई और उसमें भूमि कि जानकारी इनके द्वारा गलत बताई गई जिससे कानूनी कार्यवाही प्रधान मंत्री आवास योजना कि राशी हितग्राहि सोनामती बाई से वापस करवायी जायेंगी । उक्त भूमि शासकिय होने के बावजुद भी अपने मन मर्जी से शिक्षक के द्वारा अपना रौब दिखाते हुए उस भूमि पर निर्माण कार्य किया जा रहा है जबकि उस शासकिय घास मद कि भूमि पर ग्राम पंचायत अपने आय का साधन हेतू काम्पलेक्स निर्माण कर सकती थी या अन्य सरकारी योजना से उस भूमि पर निर्माण करा सकती थी लेकिन शिक्षक के अडीयल रवैये कि वजह से पंचायत अपना कार्य करने मे असमर्थ रहा है और इस भूमि के विषय मे शिक्षक से पूछा गया कि पटवारी ने निर्माण कार्य करने से आपको मना किया है तब उनके द्वारा पटवारी पर आरोप लगाते हुए कहा गया कि इस भूमि पर निर्माण करने से पहले मेरे द्वारा पटवारी से नाप करवाया गया था तथा पटवारी ने मुझसे 20 हजार रुपये कि मांग कि गई थी जिसपर मैनंे पटवारी को नगद 20 हजार रुपये दिया तब पटवारी ने मुझे निर्माण करने कि सलाह दि ऐसा प्रतित होता है कि शिक्षक स्वंय को बचाने मे और ना जाने कितने अधिकारी एवं कर्मचारीयों को रिश्वत कि भेंट चडाने हेतू तैयार बैठा ऐसे शिक्षको पर जों कि शासकिय होने के बाद भी शासन कि भूमि पर अपना स्वंय का खम्बा गाडकर निर्माण कार्य कर रहा है ऐसे भ्रष्ट शासकिय शिक्षको को संबंधित उच्च अधिकारीयों को इस मामले को संज्ञान मे लेकर कठारे कार्यवाही कि जानी चाहिए ताकि कोई ऐसा भ्रष्ट कार्य ना करें।