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शासकीय उच्चतर विद्यालय महकेपार में शिक्षा बे-हाल

नई शिक्षा नीति लागू फिर भी भेदभाव-

शासकीय उच्चतर विद्यालय महकेपार में शिक्षा बे-हाल

25 शिक्षकों के पद स्वीकृत, पदस्थ केवल 06 बाकि सभी अतिथि भरोसे

सुशील उचबगले संवाददाता की रिपोर्ट

गोरेघाट/तिरोड़ी

21वीं सदी नए आयामों, नए उद्घाटनों, अनंत अवसरों और अद्भुत नवाचारों का युग है, जिसने शिक्षा प्रणाली में बड़े पैमाने पर बदलाव लाया है. नई शिक्षा नीति 2020 एक बड़ा उदाहरण है. इस शिक्षा नीति को लेकर वर्ष 2020 में तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा था कि नई शिक्षा नीति-2020 पुरानी नीतियों के उन अधूरे एजेंडों को पूरा करेगी, जिसमें उनका उद्देश्य सबको और बिना किसी भेदभाव के शिक्षा देना था. मगर, क्या वाकई में ऐसा हो रहा है. इस पर अभिभावकों को गहन चिंतन करने की जरूरत है. शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण अंचलों में संचालित होने वाले सरकारी स्कूलों के बीच अजीब सी अनदेखी खाई पैदा कर दी गई है जिसे पाटने के लिए आम जनता यानी अभिभावकों को सरकार को मजबूर करने की जरूरत है. शिक्षा के नाम पर आज सरकारी स्कूलों में दोहरा व्यवहार दिखाई देता है. किसी एक स्कूल को सीएम राइज और उत्कृष्ट विद्यालय का दर्जा देकर इसे सर्वसुविधा युक्त बनाया जा रहा है. मगर गांवों के सरकारी स्कूल शिक्षकों, बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे है.

बात हो रही है विधानसभा क्षेत्र कटंगी के अंतिम छोर यानी पठार अंचल के ग्राम महकेपार में करीब 40 साल से संचालित हो रहे शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की. जहां विषयवार शिक्षकों की कमी से शिक्षा बे-हाल है. वैसे तो यहां शिक्षकों के कुल 25 पद स्वीकृत है किंतु मौजूदा वक्त में केवल 06 शिक्षक ही पदस्थ है. जिसमें 1 प्रभारी प्राचार्य, 03 विषय शिक्षक, 1 पीटीआई और 01 प्रायोगिक शिक्षक शामिल है शेष सभी विषयवार शिक्षकों के पद रिक्त है. इन पदों पर अतिथियों की नियुक्तियां की जाती है. जिनके भरोसे महकेपार स्कूल की शिक्षा व्यवस्था किसी तरह से टिकी हुई है. हालांकि नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुए 40 दिन पूरे बीत चुके है और अब तक महकेपार में अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं हो पाई है. अभी 24 जुलाई को लोक शिक्षण संचालनालय ने रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था के आदेश जारी किए है. जिसके बाद अब स्कूल में रिक्त पदों पर अतिथि पुनः सेवाएं देगें. मगर, इन 40 दिनों में पठार अंचल के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई है. महकेपार पंचायत के सरपंच युवचंद सोनवाने ने स्कूल में शिक्षकों की कमी को लेकर विधायक गौरव सिंह पारधी और सांसद श्रीमती भारती पारधी को बीते दिनों ही ज्ञापन सौंपकर शासकीय शिक्षकों की नियुक्ति करवाने की मांग रखी है. उन्होंने शुक्रवार को स्कूल का निरीक्षण किया और कुछ देर कक्षा 12 वीं के बच्चों को पढ़ाया. बता दें कि शिक्षक नहीं होने के कारण स्कूल में कई दिनों से कुछ विषयों की कक्षाएं तक संचालित नहीं हो पाई है जबकि एक ही कमरे में दो अलग-अलग संकाय के बच्चों को साथ में बिठाया जा रहा है ताकि व्यवस्था बनी रहे. 

सर्वविदित है कि गांव से लेकर शहर में संचालित होने वाले सभी सरकारी स्कूलों में पाठ्यक्रम एक समान है. इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के बीच भविष्य में होने वाली प्रतियोगिता भी एक समान ही है किंतु कुछ अपवादों को छोड़ दे तो देखा जाएगा कि शहरी क्षेत्र के बच्चे बेहतर कर रहे है जबकि गांवों के बच्चे शिक्षा में लगातार पिछड़कर मेहनत मजदूरी कर रहे है. महकेपार स्कूल की बात करें तो यहां इस वक्त करीब 600 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे है. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं है. ऐसे में इन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. कक्षा नवमीं की छात्रा प्रतिज्ञा ने बताया कि शिक्षक नहीं होने के कारण पढ़ाई नहीं हो पा रही है स्वयं को पढ़ाई करना पड़ रहा है. प्रतिज्ञा बताती है कि केवल 4 विषयों की कक्षाएं जैसे-तैसे लगती है. कक्षा दसवीं के छात्र शिवम ने बताया कि टीचर नहीं होने से पढ़ाई नहीं हो पाती.

कक्षा दसवीं की ही छात्रा साक्षी ने बताया कि इस वर्ष बोर्ड परीक्षा का सामना करना पड़ेगा लेकिन अब तक स्कूल में शिक्षकों की कमी की वजह से पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है. अतिथि शिक्षक भी अब तक नियुक्त नहीं हो पाए है. साक्षी बताती है कि परिवार इतना अधिक आर्थिक संपन्न नहीं है कि हर विषय की ट्यूशन लगा सकें इसलिए केवल गणित विषय की ट्यूशन जा रहे है. इसी कक्षा की छात्रा रागिनी ने बताया कि उनके पिता शिक्षक है लेकिन जिस तरह से स्कूल में शिक्षकों की कमी है वह उनके भविष्य को लेकर चिंतित है. कक्षा 12 वीं विज्ञान संकाय के छात्र निखिल बोपचे ने बताया कि जिस दिन से स्कूल शुरू हुए है उस दिन से केवल 01 से 02 बार ही ठीक तरह से कक्षा लग पाई है स्कूल में शिक्षकों की कमी के कारण शिक्षक किसी भी एक कक्षा में ठीक तरीके से फोकस नहीं कर सकते.

इनका कहना है-

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महकेपार में शिक्षकों की कमी को लेकर विधायक और सांसद को ज्ञापन सौंपा गया है. यहां स्थिति बहुत खराब है ग्रामीण अंचलों के बच्चों को ठीक शिक्षा नहीं मिल पा रही है. सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.

युवचंद सोनवाने सरपंच

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