*शिवराज कैबिनेट में नॉन परफॉर्मिंग मंत्रियों की छुट्टी तय? बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी, बदलेंगे विभाग*
भोपाल। मध्य प्रदेश में बड़े प्रशासनिक सर्जरी के संकेत मिलने लगे हैं. इसके साथ ही शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट के कई मंत्रियों की छुट्टी की भी अटकलें लगाई जा रही है. इसके पीछे ठोस वजह भी है. हाल ही में हुए पंचायत चुनाव और नगर निकाय चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन मनमाफिक नहीं रहा. लिहाजा आलाकमान की नाराजगी की बातें भी सामने आ रही हैं. इस संबंध में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर से भी दिल्ली में बात की. गुटबाजी से लेकर मंत्रियों के क्षेत्र में दौरे को लेकर भी पार्टी नए सिरे से प्लान बना रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि मानसून सत्र की नई तारीख से पहले कुछ बड़े बदलाव देखने को मिल जाएंगे.
मध्यप्रदेश में बड़ी राजनीतिक सर्जरी: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बड़ी प्रशासनिक सर्जरी करने वाले हैं. त्रिस्तरीय पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव में ग्वालियर, विन्ध्य व महाकौशल में जो परिणाम आए हैं, उससे पार्टी हाईकमान खुश नहीं है. इसी कारण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने चुनाव परिणामों के बाद विन्ध्य, ग्वालियर, चंबल व महाकौशल क्षेत्र के विधायकों व पार्टी पदाधिकारियों की बैठक बुलाने का निर्णय लिया है. बीस जुलाई के बाद होने वाली बैठक में इस बात का चिंतन किया जाएगा कि आखिर पार्टी को वहां कुछ स्थानों पर हार का सामना क्यों करना पड़ा? भाजपा की सबसे बड़ी चिंता विन्ध्य प्रदेश की सिंगरौली से मध्यप्रदेश में केजरीवाल AAP पार्टी की इंट्री है. हालंकि ओबीसी की एंट्री को भी खतरनाक माना जा रहा है और खासतौर से मुस्लिम बाहुल्य इलाकों मैं ओबीसी की पार्टी अब बढ़ता जनाधार बीजेपी के लिए चिंता का सबब बन गया है.
अब मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के वर्तमान मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय और जातीय असंतुलन है. सबसे अधिक विधायक जिताकर भेजने वाले विन्ध्य प्रदेश को मंत्रिमंडल में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के गढ़ महाकौशल से भी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व बहुत कम है. संगठन में भी क्षेत्रीय व जातीय समीकरण सही नहीं हैं. इसे देखते हुए अब भाजपा को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है. क्षेत्रीय व जातीय संतुलन को साधने के लिए मंत्रिमंडल से नान परफार्मेंस मंत्रियों की छुट्टी की जा सकती है. इसके साथ ही कुछ मंत्रियों के विभाग भी बदले जा सकते हैं. वर्तमान में मंत्रिमंडल में चार पद रिक्त हैं और तीन से चार मंत्रियों को नॉन परफार्मेंस के कारण मंत्रिमंडल के बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है.
जुलाई में होना था वर्षाकालीन सत्र: विधानसभा का वर्षाकालीन सत्र अब 13 सितम्बर से शुरू हो सकता है. हालांकि इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि तीन अगस्त तक चुनावी प्रकिया पूरी होगी, इसके बाद पन्द्रह अगस्त आ जाएगा. 22 से 28 अगस्त तक विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम संसदीय सम्मेलन में शामिल होने विदेश जाएंगे, लेकिन विधानसभा सत्र 15 अगस्त से पहले या सितम्बर के पहले सप्ताह में भी हो सकता है. विधानसभा का वर्षाकालीन सत्र 25 जुलाई से 29 जुलाई तक होना था. एक बार विधानसभा सत्र का कार्यक्रम घोषित हो जाने के बाद उसे डेढ़ माह बढ़ाना कहीं न कहीं बड़ी राजनीतिक व प्रशासनिक सर्जरी का संकेत है. सूत्रों के मुताबिक जिन जिलों में भाजपा के महापौर प्रत्याशी चुनाव हारे हैं, वहां के अफसरों पर गाज गिरना तय है. इसके अलावा मंत्रियों की नाराजगी के कारण 8 से 10 प्रमुख सचिवों के भी विभाग बदल सकते हैं. मुख्यमंत्री सचिवालय में भी एक और प्रमुख सचिव की पदस्थापना की चर्चा है.
गांव और नगर की सरकार के बाद अब अग्नि परीक्षा: बीजेपी निकाय चुनाव के परिणाम से सबक लिया है यह उसका लिटमस टेस्ट था जिस तरह से परिणाम आए उससे बीजेपी और सीएम चिंतित हैं. 20 जुलाई को सारे परिणाम सामने होंगे, लिहाजा पार्टी के दिग्गजों ने अभी से मंथन शुरू कर दिया है बीजेपी में बैठकों का दौर शुरू हो गया है और खास तौर से बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं की बैठकों के निर्देश दे दिए गए हैं. पार्टी ने के मंत्री और महा मंत्रियों को बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता से बात करने के निर्देश दिए हैं, कहां है कि फीडबैक ले कि आखिर जनता की नाराजगी क्या है.
प्रभारी मंत्रियों को सख्त निर्देश हर 15 दिन में अपने प्रभार वाले जिलों में दौरा करें: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रियों के साथ बैठक की और बैठक में साफ तौर पर कहा कि यह जो चुनाव परिणाम है उनसे हमें सबक लेना होगा और खास तौर से जो प्रभारी मंत्रियों के पास जिले हैं उनमें वह हर 15 दिन में जनता और अधिकारियों के साथ मेल मिलाप बढ़ाएं मुख्यमंत्री ने कहा की लगातार मुझे पहले भी शिकायत मिलती रही है कि प्रभारी मंत्री अपने जिलों में नहीं जाते जिससे वहां के स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ती है.