*सरकार खुद ही “चूना ” लगवाकर जर्दा ढुलवा रही है*
*- वर्णी कॉलोनी के कारोबारी और ट्रांसपोर्टर चला रहे हैं पूरा खेल*
आरटीओ, आबकारी, खनिज के जैसा ही जीएसटी उर्फ सेल्स टैक्स का काम है। जहां अफसरों की नाक के नीचे से करोड़ों रुपए रोज की जीएसटी / ई – वे बिल की चोरी होती रहती है। ताजा मामले में जीएसटी के नुमाइंदों ने माल तो पकड़ लिया लेकिन वे उन ट्रांसपोर्टर्स पर हाथ नहीं डाल पाए जो सागर में इस टैक्स चोरी के माल को उतरवा रहे थे। जीएसटी अमले का कहना था कि माल से भरे ट्रक सड़क से पकड़े हैं। उसमें सागर के ट्रान्सपोर्टर का जिक्र नहीं है। जानकारी के अनुसार इस पूरे खेल में एक समुदाय विशेष के व्यवसायी और ट्रांसपोर्टर्स सक्रिय हैं। यह ”विशेष’ समुदाय वर्णी कॉलोनी एरिया में व्यवसायरत है। इशारा समझ गए होंगे ! खैर इस पूरे खेल को ट्रांसपोर्टर अपनी ही देश – प्रदेश में फैली ब्रांच के जरिए अंजाम देते है। उदाहरण के लिए किसी कारोबारी को दिल्ली या इंदौर से बगैर बिल का माल लाना है तो यह ट्रासपोर्टर उससे भाड़ा के अतिरिक्त रोकड़ा लेकर अपनी सागर स्थित ब्रांच पर ही उतरवाते हैं। इससे व्यापारी के बगैर बिल के माल लाने – ले जाने की बात लीक नहीं होती। कुल मिलाकर जीएसटी का जितना हल्ला है, मैदान में यह उतना कारगर नहीं है। व्यापारी अभी भी सरकारी अमले को साय मिला बदस्तूर टैक्स चोरी कर रहे हैं।