सिर्फ त्योहारों पर याद आती है सागर के अफसरों को मावा कैसा है!
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बाकी दिनों जनता की सेहत से कोई सरोकार नहीं….!
विजय निरंकारी /सागर
सागर जिले का खाद्य अमला कितना संजीदा है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते कई साल से सिर्फ मावे की मिठाई और बाहर से आने वाले मावे पर नजर है! इस कार्रवाई से जनता की सेहत से कोई सरोकार नहीं इसे महज कमाई का जरिया बनाया गया है! साल के 365 दिनों में सिर्फ सागर के खाद्य सुरक्षा अधिकारी अमरीश दुबे दीपावली; होली और दशहरा; रक्षा बंधन यानी चार
त्योहारों पर ही जनता की सेहत की फिक्र करते हैं कि कहीं सागर की जनता दूषित मावे की मिठाई तो नहीं खा रही बाकी साल के 360 दिन जनता किस मावे की मिठाई खा रही है…! कैसी मिठाई खा रही है…! इससे कोई सरोकार नहीं ! हालांकि इस मामले में जिले के मुखिया कलेक्टर दीपक आर्य को भी यहां यह जानना जरूरी है उन्होंने अपने नेतृत्व में सागर के मिठाई वाले प्रतिष्ठानों पर आज तक छापामार कार्रवाई के आदेश नहीं दिए ! अब सवाल उठता है यदि सागर में कई कुंटल दूषित मावा आ रहा है तो भिंड और ग्वालियर सहित प्रदेश के अन्य जिलों का प्रशासन क्या कर रहा है जो वहां से बना मावा 400 किलोमीटर सागर आ जाता है! खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने अमले को बाकायदा ट्रेनिंग दे दी मावा पकड़ना है! सालों से सागर में जमे इन खाद्य अधिकारी की भूमिका भी ऐसे मामलों में संदिग्ध रहती है! संत कंवर राम वार्ड के निवासी बल्लू भाई; सुरेश भाई कटरा के अमन जैन; विक्की जैन सिविल लाइन के पीयूष चौरसिया; गोपालगंज के रामा पटेल; सुरेश पटेल लक्ष्मीपुरा की शोभा जैन; रंजना दुबे आदि का कहना है हमें खुद ताजुब होता है की सिर्फ त्योहारों पर ही मिठाई पर जिला प्रशासन का फोकस क्यों होता है ? जब जनता के जेहन में यह सवाल है तो कार्रवाई करने वाले अफसरों में यह सवाल पैदा क्यों नहीं होता कि हम सिर्फ त्योहारों पर ही चेंबर से सड़कों पर क्यों आते हैं ! हालांकि कार्रवाई के नाम पर क्या होता है यह पब्लिक है …सब जानती है!