*सेवानिवृत्त होने पर उच्च श्रेणी शिक्षक डी आर लिल्हारे को दी गई भावभीनी बिदाई*
*विद्यार्थियों के साथ बिताए पल था सुखद और मंगलमय -डी आर लिल्हारे*
लांजी।
जनपद पंचायत अन्तर्गत ग्राम सावरी खुर्द में स्थित माध्यमिक शाला परिसर में 29 अप्रैल को प्रातः 9 बजे माध्यमिक शाला सावरी खुर्द में उच्च श्रेणी के पद पर पदस्थ डी आर लिल्हारे के सेवानिवृत्ति पर जनशिक्षा केन्द्र व संकुल के द्वारा बिदाई समारोह का आयोजन कर भावभीनी बिदाई दी गई। उक्त बिदाई समारोह आर एस घोरमारे की अध्यक्षता, डी आर लिल्हारे के मुख्यातिथ्य व विकासखंड शिक्षा अधिकारी बीआर गुर्दे, प्राचार्य शा.हाई.स्कुल सावरी खुर्द सी एल विजयवंशी, प्रधानपाठक माध्यम शाला आरडी बारेकर, माध्यमिक शाला कालीमाटी प्रधानपाठक नारनौरे मेम, बीआरसी के एल बड़घैय्या के विशिष्ट आतिथ्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ सर्वप्रथम मां सरस्वती के छायाचित्र के समकक्ष द्विप प्रज्वलित व माल्यार्पण उपरांत हुआ।
उपस्थित शिक्षक शिक्षिका छात्रों एवं शिक्षा समिति के सदस्यों अतिथियों के द्वारा सेवानिवृत्त उच्च श्रेणी शिक्षक डी आर लिल्हारे का पुष्प माला से आत्मीय अभिनंदन और स्वागत किया गया एवं शाल श्रीफल व अन्य उपहार भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस उपरांत शासकीय माध्यमिक शाला सावरी खुर्द के प्रधानपाठक ने सेवानिवृत्त शिक्षक डी आर लिल्हारे के शैक्षणिक काल पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनकी प्रथम नियुक्ति 1 जुलाई 1982 को अमेड़ा पा. प्राथमिक शाला में हुई यहां पर लगभग 5 साल सेवा देने के उपरांत 28 नवंबर 1987 को स्थानांतरित होकर प्राथमिक शाला सावरी खुर्द में 2009 तक सेवाएं दीं, सितम्बर 2009 में पदोन्नत होकर शा प्राथमिक शाला डोंगरगांव में प्रधानपाठक के पद पर पदस्थ हुए, इसके बाद 20 नवंबर 2012 से उच्च श्रेणी शिक्षक के रूप में 2012 से शा. माध्यमिक शाला सावरी खुर्द में सेवा देते हुए सेवानिवृत्त हो गए। बता दें कि आपने सबसे अधिक सेवाएं स्वयं के ही ग्राम में स्थित सावरी खुर्द स्कुल में लगभग 32 वर्ष सेवाएं दी।
उपस्थित शिक्षकों में प्रधानपाठक आरडी बारेकर ने कहा कि श्री लिल्हारे अनुभवी और सरल स्वभाव के शिक्षक रहे हैं, इनका अनुभव हमे बहुत मिला 31 वर्ष गांव में सेवा करने का अवसर मिला बड़े भाग्यशाली शिक्षक है, आगे आपने श्री लिल्हारे से कहा कि वह बाकी सेवा समाज के विकास कार्य में देंगे। हा. स्कूल प्राचार्य श्री विजय वंशी ने कहा कि श्री लिल्हारे का आप सादगी पुर्ण, शांत स्वभाव के व्यक्तित्व थे, अपने विषय का ज्ञान, समाज में अच्छी पकड़ है। व्यवहार अच्छा रहा है। सेवानिवृत्त के बाद गांव के बच्चों का रुझान पढ़ाई की ओर जोड़कर समाज को आगे बढ़ाने में सहयोग प्रदान करने की अपेक्षा की। बीआरसी के. एल. बड़घैय्या ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद समाज में ऐसे बच्चे जो शिक्षा के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पा रहे है, उनको मार्गदर्शन दे। अपने आप को विद्यार्थियों के प्रति समर्पित रखें। विकासखंड शिक्षा अधिकारी बी आर गुर्दे ने कहा कि हर शिक्षक को नौकरी के शुभारंभ में एक जुनून एक उत्साह होता है और वह उत्साह उमंग सेवानिवृत्ति तक बना होना चाहिए। शिक्षक का पद सभी पदो से बेहतर होता है। शिक्षक को मनोबल कम नहीं होने देना चाहिए, क्यूंकि कल के भविष्य को हम गढ़ते हैं। व्यक्ति की भरपाई हो जाती है व्यक्तित्व की भरपाई कभी नहीं होगी, श्री लिल्हारे अच्छे व्यक्तित्व के धनी है, जिनकी भरपाई कोई अन्य शिक्षक नहीं कर सकता। शिक्षक समाज से प्रत्यक्ष रुप से जुड़ा होता है। विद्यार्थी और पालक समाज का एक हिस्सा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आर एस घोरमारे ने कहा कि श्री लिल्हारे का पढ़ाई के साथ – साथ सभी गतिविधियों में योगदान रहा है। विकासखंड स्तरीय प्रतियोगिता में पुरे दिन सहयोग प्रदान किया गया। व्यक्तित्व निखरा हुआ है। आपका विद्यार्थीओं के विकास में योगदान सराहनीय है, आपने इन शब्दों के साथ आभार प्रकट किया गया। सफल का मंच संचालन केसी गुर्दे प्रधानपाठक वारी द्वारा किया गया।
*वरिष्ठ शिक्षकों से अनुशासन का ज्ञान सीखा*
कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि डी आर लिल्हारे ने भावुक होकर कहा कि 1982 को मेरी प्रथम नियुक्ति अमेड़ा पालडोंगरी में हुई। जहां पर प्रारंभिक सेवा में मैंने जो वरिष्ठ शिक्षक थे, उनसे अनुशासन का ज्ञान सीखा था। यहां जो सुखदेव सिंह कलचुरी थे उनसे प्रारंभिक सेवाकाल सीखने को मिला और उन्हीं का अनुसरण मैं करते रहा। और मैं अपने कर्तव्य का निर्वहन एक शिक्षक की कार्य में करते रहा। जिन विद्यार्थियों के साथ मैंने समय बिताए हैं वह पल बढ़े सुखद और मंगलमय था। मैं प्रयास करूंगा कि जब तक मेरे में उर्जा है। जब तक मैं कर सकूं तब तक इस दिशा में कुछ करने की इच्छा रखूंगा।
*यह रहे उपस्थित*
बिदाई समारोह के दौरान डीसी घोरमारे प्रधानपाठक मनेरी, कावड़े प्रधानपाठक बम्हणवाड़ा, के एल बिसेन, डेविड मेश्राम, टीसी पांचे, भागीरथ कोठारे, एम के मड़ामे, भौतिक, पलांदुलकर, श्री कुतरिया, श्री जाम्भुरकर, श्री वाकड़े, शिवनारायण दहीकर, संतोष बनोठे, बी आर रामटेके, जनशिक्षक महेश नगपुरे, डेविड मेश्राम, आरके मुरकुटे माध्यमिक शाला सहेकी के अलावा जनशिक्षा व संकुल के समस्त शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।