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हरतालिका तीज : आज है अखंड सौभाग्य की कामना का व्रत,

हरतालिका तीज : आज है अखंड सौभाग्य की कामना का व्रत, जानिए पूजन विधि और मान्यताएं …


हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया को होता है. धर्म शास्त्रियों के अनुसार चतुर्थी तिथि से युक्त तृतीया तिथि वैधव्यदोष का नाश करती है और यह पुत्र-पौत्रादि को बढ़ाने वाली होती है. इस दिन कुंवारी और सौभाग्यवती महिला गौरी-शंकर की पूजा करती है.
हरतालिका तीज का विशेष महत्व है. राज्य में इसे तीजा कहा जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. प्रदेश में महिलाए व्रत के लिए मायके जाती हैं. हरितालिका तीज इसे निर्जला रखा जाना चाहिए, अर्थात पानी भी नहीं पीना चाहिए.


तीजा लेगे बर आही भइया सोर-संदेशा आगे.
बड़े फजर ले कौंवा आके कांव-कांव नरियागे..
साल भर ले रद्दा जोहत हौं ये भादो महीना के.
पोरा पटक के जाबो मइके जोरन सबो जोरागे..
तीज तिथि प्रारम्भ = 29 अगस्त, 2022 दोपहर को 3 बजकर 20 बजे

तीज तिथि समाप्त = 30 अगस्त, 2022 अगस्त मंगलवार दोपहर को 03 बजकर 33 मिनट तक

30 अगस्त, 2022 हरितालिका पूजा मुहूर्त – दिन को 05:46 से 08:17 तक

क्योंकि दूज के दिन यहां महिलाएं कड़ु-भात (करेले की सब्जी और भात) खाने की परंपरा का पालन करती है साथ में इस मौके पर बने स्थानीय पकवान भी फिर रात्रि बारह बजे के बाद से निर्जला व्रत शुरु जो कि अगली रात बारह बजे तक चलता है. तीजा के दिन मायके से मिले कपड़े पहनकर जहां कहीं भी आस-पड़ोस में कथा बांचकर पूजा की जा रही हो वहां जाकर पूजा करती हैं. दूसरे दिन अर्थात चतुर्थी को ही भोजन ग्रहण होता है.

सौभाग्य पर्व ‘हरतालिका तीज’

संकल्प शक्ति का प्रतीक है हरतालिका तीज व्रत.
अखंड सौभाग्य की कामना का व्रत है हरतालिका तीज.
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है व्रत.
हरतालिका तीज को हरितालिका तीज और बूढ़ी तीज भी कहा जाता है.
इस दिन सास अपनी बहू को सिंधारा देती हैं.
पूजन सामग्री

गीली काली मिट्टी या बालू, बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनैव, नाडा, वस्त्र, फुलहरा, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, कपूर, कुमकुम, दीपक, फल, फूल और पत्ते.

मां पार्वती के लिए सुहाग सामग्री

मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, सुहाग पुड़ा.

सौभाग्य पर्व ‘हरतालिका तीज’

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को किया जाता है व्रत.
शिव-पार्वती के पूजन का विधान.
हस्त नक्षत्र में होता है व्रत.
लड़कियां और सौभाग्यवती महिलाएं करती हैं व्रत.
विधवाएं भी करती हैं व्रत.
हरतालिका तीज पूजन विधि

‘उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’ जपते हुए व्रत का संकल्प लें.
प्रदोष काल में प्रारंभ करें पूजन.
सूर्यास्त से 1 घंटे के पहले का समय होता है प्रदोष काल.
प्रदोषकाल पूजा मुहूर्त – शाम 06.34 मिनट से रात 08.50 मिनट तक.
शाम के समय स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें.
शिव-पार्वती और गणति की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा करें.
रेत या काली मिट्टी से बना सकते हैं प्रतिमा.
सुहाग की पिटारी में सुहाग सामग्री सजाकर रखें.
सभी वस्तुएं पार्वती जी को अर्पित करें.
शिव जी को धोती और अंगोछा अर्पित करें.
शिव-पार्वती का पूजन करें.
हरतालिका व्रत की कथा सुनें.
गणेशजी की आरती, फिर शिवजी और माता पार्वती की आरती करें.
भगवान की परिक्रमा करें.
रात्रि जागरण कर सुबह पूजा के बाद मां पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं.
ककड़ी-हलवे का भोग लगाएं.
ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें.
सभी सामग्री को पवित्र नदी या कुंड में विसर्जित करें.
सौभाग्य का पर्व ‘हरतालिका तीज’

व्रत करने से लड़कियों को मिलता है मनचाहा वर.
सुहागिनों के सौभाग्य में होती है वृद्धि.
व्रत करने से सभी पापों से मिलती है मुक्ति.
विधिपूर्वक व्रत करने से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.
दांपत्य जीवन में रहती है खुशी बरकरार.
मेहंदी लगाना और झूला-झूलना माना जाता है शुभ.
वैवाहिक जीवन से कष्ट दूर होता है.
सुहाग और सौभाग्य का पर्व है ‘हरतालिका तीज’.
हरतालिका तीज को हरितालिका तीज भी कहते हैं.
भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का है विधान.
लड़कियां और सौभाग्यवती महिलाएं करती हैं व्रत.
व्रत करने से मनोवांछित वर की होती है प्राप्ति.
व्रत करने वाली सुहागिनों के सौभाग्य की रक्षा स्वयं महादेव करते हैं.
हरतालिका तीज पूजन प्रदोष काल में किया जाता है.
हरतालिका तीज को बूढ़ी तीज भी कहा जाता है.
हरतालिका तीज के दिन सास अपनी बहू को सुहाग का सिंधारा देती हैं.
व्रत करने से दांपत्य जीवन में खुशी बरकरार रहती है.
हरतालिका तीज के दिन सुहागिनों को लाल वस्त्र पहनना चाहिए.
महिलाओं का हाथों में मेहंदी लगाना शुभ होता है.
शिव-पार्वती के पूजन से दूर होते हैं जीवन के कष्ट.

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