*हाफ रहे सिविल अस्पताल मे लगेे पंखे , दान मे मिले कुलरों का उपयोग कर रहे बीएमओ एवं चिकित्सक*
*सिविल अस्पताल लांजी में गर्मी से परेशान हो रहे मरीज* पवन कश्यप, लांजी। अप्रेल माह के बीतते ही गर्मी के मौसम ने अपने तीखे तेवर दिखाने शुरू कर दिये है। मंगलवार को भी जिले में 42 डिग्री से अधिकतम तापमान रिकार्ड किया गया और जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है वैसे ही लू कीचपेट में आने से लोग बीमार हो रहे हैं। जिसका असर अस्पतालों में दिखाई दे रहा है। लांजी सिविल अस्पताल की बात करें या फि र अन्य किसी निजी अस्पताल की हर अस्पताल में उल्टी और दस्त बुखार से परेशान मरीजों का आंकड़ा अचानक बढ़ गया है। वहीं अस्पताल प्रबंधन केपास इस स्थिति से निपटने के कोई ठोस इंतजाम नजर नहीं आते। ग्लूकोस की बोतल और ओआरएस के घोल पर ही स्वास्थ्य भाग ज्यादा निर्भर दिखाई देता है। वहीं सिविल अस्पताल के तमाम वार्ड भी गर्मी से तप रहे है और मरीज पसीने में तरबतर होकर परेशान होने को मजबूर है। जुबान खोलकर अस्पताल प्रशासन की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते हैं। जो वक्त कट जाए वही भला। अभी गर्मी लगभग दो महीनों तक और सताने वाली है। बरसात के मौसम में उल्टी दस्त के मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों की सुविधा के इंतजाम नाकाफ ी दिखाई देते हैं जिन्हें दुरुस्त किया जाना बहुत जरूरी है।
कोरोना काल मे मिले दान का लुत्फ उठा रहे चिकित्सक
नगर परिषद लांजी अंतर्गत सिविल अस्पताल लांजी में 2021 के भयावह कोरोना काल में सिविल अस्पताल लांजी को सामाजिक संगठनोंं एवं राजनीतिक संगठनों पार्टीयों के द्वारा संक्रमित मरीजों कि सुविधा हेतु दान दाताओं के द्वारा आवश्यक सामग्री एवं नगद रूपये का सहयोग दिया गया था ताकि उससे संक्रमित मरीजों को संपूर्ण सुविधा मिल सके और भीषण गर्मी को देखते हुए कुछ सामाजिक संगठनों ने सिविल अस्पताल लांजी मे संक्रमित मरीजों कि हालत को देखते हुए गर्मी से निजात पाने के लिए कूलरों का दान किया था परन्तु कोरोना काल समाप्त होते ही उन कूलरों की मरीजों को सुविधा ना मिलते हुए सिविल अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा अपने आफि सों मे लगाकर उसका सुख लिया जा रहा है ।
छत में सोने मजबूर मरीज, चौतरफा गंदगी से भी परेशान
वहीं यहां मरीज भर्ती होकर गर्म पंखे कि लपेट मे व मच्छरों से परेशान हो रहेे है, मरीजों के द्वारा चेक करने आए हुए डाक्टरों से बताया गया कि हम गर्मी पर मच्छरों से परेशान है यहां कूलर की व्यवस्था करें लेकिन उनके द्वारा ऐसा ना करके मरीजों को परेशान किया जा रहा है। मरीज मच्छरों और गर्मी से बचने के लिये रात में सिविल अस्पताल की छत पर मच्छरदानी लगाकर सोने मजबूर हैं। और मरीजों के लिए बने शौचालय की हालत तो बद से बदतर हो चुकी है। सफाई के अभाव में यहां से आने वाले दुर्गंध मरीजों को और बीमार कर रही है। जहां मरीज अपनी नाक पर हाथ या रूमाल रखकर शौचालय में प्रवेश करता है। एक ओर केन्द्र सरकार अस्पतालों में सफाई को लेकर बडे-बड़े कार्यक्रम चला रही है और उसी पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कालिख पोतने का कार्य कर रहे है।
क्या कहते हैं मरीज
सिविल अस्पताल में भर्ती मरीज दिलीप बर्मन ने जानकारी देते हुए बताया कि मैं सीतापाला चौकी से यहां अपना इलाज कराने आया हूं, तथा यहां पर दो दिनों से भर्ती हूं, यहां पर भीषण गर्मी और मच्छरों से बचने लिये न तो पंखों का सहारा है और नहीं कूलरों की कोई व्यवस्था है। रात में गर्मी और दुर्गंध से परेशान होकर हमें छत पर सोने जाना पड़ रहा है या बरामदे में सोने की मजबूरी है। अस्पताल प्रबंधन को सूचित करने के बाद भी कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है जिससे अन्य मरीज भी परेशान हैं। वहीं अन्य मरीजों से जानकारी लेने पर उनके द्वारा डर के कारण कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया गया। इन लोगों का कहना है कि जुबान खोलकर अस्पताल प्रशासन की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते हैं। जो वक्त कट जाए वही भला।
*हाफ रहे सिविल अस्पताल में लगे पंखे दान में मिले कूलर ओं का उपयोग कर रहे बीएमओ एवं चिकित्सक*
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