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2024लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है ….

कोई देश tabhi Safal Hota Hai जब उसकी प्रमुख शासकीय/प्रशासकीय संस्थाए प्रभावीऔर मजबूत होती हैं।।
आजादी के बाद से अब तक के भारत के निर्माण में ऐसी सस्थाओ की भूमिका और उनका योगदान अतुलनीय रहा है।
विगत सालो मे भारत में व्यवस्थित तरीके से अहम सस्थाओ की साख ( ईडी,सीबीआई,शीर्ष जाच एजेन्सियो की)साख खत्म करने की नापाक कोशिश की जा रही है।

2024लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है।7 चरणो मे चुनाव सम्पन्न होने है।जनता जनार्दन संसदीय क्षेत्र से योग्य उम्मीदवार का चयन करना है।वही Evm मशीन की विश्वसनीयता पर शक शिकवा आरोप प्रत्यारोप का बना हुआ है।बेलेट पेपर से चुनाव होना चाहिए ताकि दुधकादुध और पानी का पानी हो सके ऐसी माग माननीय न्यायालय तक के जानकारी मे है।

फिर भी चुनाव सामने है।
एक तरफ भाजपा सरकार 400 का आकडा छुना चाहती है। आखिर आधार क्या है प्रश्न खडा होता है।देश की न्यायपालिका हो या मत्रीपरिषद,चुनावआ़योग हो या आरबीआई सीबीआई हो ईडी,सीवीसी,इन सभी अहम सस्थाओ की विश्वसनीयता सवाल के घेरे में आ गयी हैं।इसके लिये मौजूदासरकार मे शीर्ष पदो पता बैठे लोग ही जिम्मेदार है।सरकार चला रहे लोग नसीहत देते हुए दिख रहे है।पूर्णविश्वाश के साथ सरकार बनने की बात करते नजर आ रहे हैं। विपक्ष के तीखे हमले और जनता के सवालो का जवाब सरकार के पास नही है विषयो से भटकाया जा रहा है।जिससे विपक्ष डरा हुआ,और जनता ठगी हुई महसूस कर रही है।
प्रजातन्त्र(लोकतत्र)मे जनता का जनता के द्वारा जनता के लिए शासन होता है ।अफसोस सरकार ने कुछ उधोगपतियो को करोडो रूपयो की कर्जमाफी कर मालामाल कर दिया है,व्यापार दे दिया,करोडो जनता को 5 किलो अनाज मुफ्त मे देकर उनकी और भारत देश में रहने वाली जनता का मजाक देश विदेश मे डिडौरा पिटवाया जा रहा है।।
जनता मुफ्त मे राशन,पानी दवाई,सरकारी सुविधा के लिए घंटो लाईन मे लगकर करा रही है। सरकार विकास का दावा कर रही हैं। भारतीय
संविधान की आत्मा और उनके रचयिता महानायक की पीडा कौन कब कैसे समझे।
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