– सागर- गोस्वामी तुलसीदास सनातन संस्कृति के संवाहक और कलयुग के भागीरथ है उन्होंनेसनातन धर्म यों को धर्म और संस्कृति से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है भगवान शिव मात्र एक लोटा जल और एक बिल्वपत्र से प्रसन्न हो जाते हैं उक्त उद्गार एमएस गार्डन में आयोजित रामकथा मैं बोलते हुए राष्ट्रीय गोवत्स संत पंडित विपिन बिहारी ने तुलसी जयंती के अवसर पर व्यक्त किए उन्होंने कहा किभक्ति में प्रेम और प्रेम में करुणा होनी चाहिए यह उनकी स्थाई गुणभाव है प्रेम और प्यार में जमीन और आसमान का अंतर होता है प्रेम में अश्रु छलकते हैं और हृदय द्रवितहो जाता है जबकि प्यार में वासना की अधिकता और रक्त पिपासा देखी गई हैबिपिन बिहारी जी ने कहा की मां की ममता का कोई पारावार नहीं होता और वह अवर्णनीय हैतुलसी दल और बिल्वपत्र कभी बासानहीं होता रविवार के दिन तुलसी नहीं तोड़ना चाहिए और एकादशी के दिन उस पर जल नहीं चढ़ाना चाहिएभक्ति में भाव भजन और जापहोता है ईश भक्ति करते हुए आंखों में आंसू आ जाना ही प्रभु कृपा का सूचक होता है इस अवसर पर बुंदेल सिंह बुंदेला सूरज सोनी राहुल चौबे नितिन केसरवानी एवं दिनेंद्र पांडे इत्यादि विशेष रुप से उपस्थित थे!
भक्ति में प्रेम और प्रेम में करुणा आवश्यक स्थाई गुण -बिपिन बिहारी
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