आदिवासी हिंदू को बहला-फुसलाकर दे रहे थे पादरी बनने की शिक्षा
दमोह। जिले में मिशनरी संस्था के प्रमुख के रूप में कार्य कर रहे लाल परिवार फिर एक बार चर्चाओं में है इस बार उन पर बहला-फुसलाकर धर्मांतरण के आरोप लगे हैं और आरोपों के चलते राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष द्वारा रविवार रात देहात थाना में उनके विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज कराई गई है।
जानकारी अनुसार रविवार को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो जिले के दौरे पर थे और इस दौरान उनके द्वारा देहात थाना के मारूताल में संचालित क्रिश्चियन बाइबल सोसायटी का निरीक्षण किया गया जहां उन्हें डिंडोरी निवासी एक नाबालिग को बेला फुसलाकर क्रिश्चियन पादरी बनने की शिक्षा लेते हुए पाया गया जिसे किसी अन्य के द्वारा वहां भेजा गया था और भाई संस्था के हेंड्री नामक व्यक्ति से यह शिक्षा ले रहा था। ऐसे में नाबालिक को पढ़ाई से विमुख कर बहला-फुसलाकर धार्मिक शिक्षा देना मानते हुए आरोप तय किए गए।
बाल भवन में जाने से रोकने के हुए प्रयास
वहीं दूसरी ओर आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों द्वारा संस्था की बाल गृह में निरीक्षण के दौरान रोके जाने के आरोप भी सामने आए हैं जिसके चलते काफी गहमागहमी की स्थिति बन गई थी। दरअसल दौरे के अन्तर्गत सदस्य व अध्यक्ष भडावारी स्थित मिड इंडिया क्रिश्चन मिशन के बाल गृह में निरीक्षण हेतु भी गए। वहां पहुंचने पर बाल गृह के स्टाफ ने गेट पर ताला लगा दिया एवं बच्चो को अन्दर रोलिंग सटर एवं चेनल गेट के भीतर हाल में बंद कर दिया। जिसके बाद पुलिस की सहायता से फैंसिंग के गेप में से किसी प्रकार सब लोग अन्दर जा सके। जहां पता चला कुल 91 बच्चे इस चिल्डरन होम में रहते है। जिनमें से मौके पर केवल 45 बच्चे मिले जिसमें सभी बच्चों को जो कि दिव्यांग है संस्थान द्वारा क्रिश्चन धार्मिक शिक्षा दिया जाना पाया गया ।
संस्था पर लगे गंभीर आरोप
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि दिव्यांग बच्चों को कमरो में बंद करके रखा गया था। वहीं संस्थान पंजीयन के कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवा पाया। संस्थान की बैबसाईट WWW.MIDINDIAMISSIONS.ORG का अवलोकन करने पर पता चला कि संस्था एवेन्जीलिकल गतिविधियों का संचालन करती है एवं खुले आम अपनी बैबसाईट पर घोषणा करती है कि वे दूसरे धर्म के बच्चों को संस्थान पर रखकर धर्मांतरित करने का काम करते हैं। बैबसाईट के अवलोकन व संस्था के दौरे से स्वतः स्पष्ट है कि संस्था किशोर न्याय अधिनियम में पंजीकृत नहीं होने से जे. जे. एक्ट का उलंघन पाया गया । बच्चो को विधि संगत व्यवस्था में न रखा जाना धारा-75 जे. जे. एक्ट का उलंघन है एवं बच्चो को उनके धर्म के अलावा दूसरे धर्म की शिक्षा दिया जाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 28 (3) का एवं मध्यप्रदेश धर्म स्वतंत्र अधि के प्रावधानों एवं भारतीय दण्ड विधान के विभिन्न प्रावधानों का उलंघन है।
इनके विरुद्ध दर्ज हुआ मामला
शिकायत उपरांत संस्था के 10 पदाधिकारियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया। जिसमें अजय लाल समेत संस्था के अध्यक्ष विबर्तलाल, सचिव आर.डी.लाल अन्य सदस्य श्रीमति शीला लाल, मंजूला वर्णवास, विवेक लाल, सानित लाल,जे.के. हेनरी,अर्निस्ट, इंजिला लाल अजय लाल पर प्राथमिकी दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी गई।
औचक निरीक्षण की हो गई पूर्व सूचना
इस मामले में जिले में बाल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे कर्मचारी पदाधिकारियों पर भी प्रश्न खड़े हुए हैं क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष व सदस्यों द्वारा किए गए औचक निरीक्षण की सूचना पूर्व में ही बाल गृह के वार्डन को लग चुकी थी। इसके चलते प्रियंक कानूनगो ने दमोह के कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए संदेह प्रकट किया और उन पर कार्रवाई करने की अनुशंसा भी की है। इन आरोपों को लेकर बाल कल्याण दमोह समिति की अध्यक्ष प्रेक्षा पाठक का मिशनरी वार्डन पाटिल से बात करने के आरोप में मोबाइल जप्त कर सीडीआर जांच करने हेतु दिया गया। उल्लेखनीय है कि जब आधारशिला संस्थान जांच अमला पहुंचा तो ही हाथों में मालाएं लेकर स्वागत करने वार्डन पाटिल बच्चों के साथ तैयार मिला जबकि यह औचक निरीक्षण था।