कथा समापन के बाद भक्तों को आशीर्वाद देकर निकले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
दमोह। शहर के होमगार्ड मैदान पर 24 दिसंबर से 1 जनवरी तक आयोजित होने वाली श्रीराम कथा का समापन रविवार को हुआ। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के मुखारविंद से 9 दिन तक श्री राम कथा की रस वर्षा होती रही। अंतिम दिवस 1 जनवरी की पूर्व संध्या पर कृष्णा हाइट्स में बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर के सानिध्य में हजारों भक्तों ने पहुंचकर रात 11ः00 बजे से शुरू हुए धार्मिक आयोजन में 1ः30 बजे रात तक राममय होकर धर्म के सागर में डुबकी लगाई।
श्री राम कथा पंडाल होमगार्ड मैदान पर भक्तों को कथा श्रवण कराते हुए श्री बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मौजूद भक्तों को संदेश देते हुए कहा कि सभी को एक ही सूत्र अपनाना चाहिए कि वह या तो बालाजी अर्थात गुरु को मानना छोड़ दें, या फिर सब कुछ उन्हीं पर छोड़ दें। उन्होंने युवाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि पुरानी आदत सिगरेट, शराब या अन्य व्यसन जो भी है उसे त्याग कर नई आदत से जीना शुरू कर दें। उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि जो लोग अभी तक अंग्रेजी नववर्ष को मनाते थे और वह 1 जनवरी को आज भी नया वर्ष मना रहे हैं तो उन्हें संकल्प लेना होगा कि वह अब आज के बाद हाय हेलो का संबोधन नहीं करेंगे, बल्कि माथे पर तिलक लगाकर हर व्यक्ति से या मोबाइल पर बात करते समय हाय हेलो की जगह साधु जी सीताराम कहेंगे।
गुरुजी ने संदेश देते हुए कहा कि भक्ति के बिना भगवान संभव नहीं है। उन्होंने भक्ति और भगवान को लेकर के विस्तृत कथा भक्तों को श्रवण कराई। अंग्रेजी नववर्ष के प्रथम दिन एवं श्री राम कथा के समापन पर श्री हनुमान चालीसा से कथा की शुरुआत की गई।
युवाओं को दिया संदेश
कथा के समापन अवसर पर सबसे आगे डी में युवक-युवतियों को विशेष स्थान दिया गया था जिन्हें गुरुजी ने संदेश देते हुए कहा कि हर युवा का कर्तव्य है एवं हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने माता-पिता एवं गुरू का पूरी तरह से सम्मान करें एवं उनके बताए रास्ते पर चलें। उन्होंने युवाओं को संकल्प दिलाया कि वह नई ऊर्जा के साथ श्री राम कथा सुनने के बाद जब घर पहुंचे तो बुद्धू नहीं बल्कि बुद्ध बनकर जाऐं। उन्होंने बताया कि भगवान से मिलना उतना कठिन नहीं है जितना स्वयं को सरल बनाना है व्यक्ति अपने आप को सरल बनाएगा और भक्ति करेगा तो निश्चित रूप से उन्हें भगवान के दर्शन हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपने भीतर बैठे भगवान को जगाने का काम करना है तभी उसकी नैया पार हो सकती है। प्रत्येक व्यक्ति को श्री हनुमान चालीसा पाठ पढ़ने के लिए भी गुरुजी ने संदेश दिया। गुरुजी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में श्री रामचरित मानस व माथे पर तिलक होना एवं साधु जी सीताराम का उच्चारण बहुत आवश्यक है।