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बहिष्कृत भारत का पहला अंक प्रकाशित ….

बहिष्कृत भारत का पहला अंक प्रकाशित

03, अप्रैल,1927 सम्मानित साथियों आज ही के दिन परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी का मानना था कि शोषितों वंचितों , पिछड़ो को जागरूक बनाने और उन्हें संगठित करने के लिए उनका अपना स्वयं का मीडिया अति आवश्यक है। इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बाबा साहेब अम्बेडकर जी ने मूक-नायक’ के बन्द हो जाने के 4 साल बाद 03, अप्रैल, 1927 को मराठी पाक्षिक ‘बहिष्कृत भारत’ नामक पत्रिका को शुरू किया था, मूकनायक के बाद ये दूसरी पत्रिका थी ! ‘मराठी पाक्षिक ‘ बहिष्कृत भारत’ यानी बहिष्कृत,शोषित लोगों का मिडिया ! इस पत्रिका के अग्रलेखों में अंबेडकर जी ने बहुजनों के तत्कालीन आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं को निर्भीकता से उजागर किया। यह पत्रिका उन मूक-दलित, दबे-कुचले लोगों की आवाज बनकर उभरी जो सदियों से जातिवादियों का अन्याय और शोषण चुपचाप सहन कर रहे थे ! साथियों ‘बहिष्कृत भारत’ में आधुनिक भारत के युगप्रर्वतक परमपूज्य, बोधिसत्व, भारत रत्न बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर जी ने ‘महार और उनका वतन’ शीर्षक से चार किश्तों में संपादकीय लिखी ! 23 दिसंबर 1927 के अंक में ‘बहिष्कृत भारत’ की संपादकीय का शीर्षक हैः ‘अस्पृश्यों की उन्नति का आधार ! साथियों 20 मई 1927 को प्रकाशित ‘बहिष्कृत भारत’ के चौथे अंक की संपादकीय में बाबा साहेब ने जो लिखा उसके मुताबिक़ पिछड़े वर्ग को आगे लाने के लिए सरकारी नौकरियों में उसे प्रथम स्थान मिलना चाहिए ! साथियों अस्पृश्यों की उन्नति के लिए ही बाबा साहेब की पत्रकारिता संघर्षशील रही !

 

साथियों इस पत्रिका के माध्यम से बाबा साहेब जी ने बहुजनों के तत्कालीन आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं को उजागर किया, यह पत्रिका उन मूक शोषित, वंचित, पिछड़ो लोगों की आवाज बन कर उभरी जो सदियों से जातिवाद का दंश झेल रहे थे !

 

साथियों बहिष्कृत भारत पत्र बाम्बे से प्रकाशित होता था इसका संपादन बाबा साहेब अम्बेडकर जी खुद करते थे !

 

साथियों बहिष्कृत भारत पत्रिका के माध्यम से बाबा साहेब जी अस्पृश्य समाज की समस्याओं और शिकायतों को सामने लाने का कार्य करते थे तथा साथ ही साथ अपने आलोचकों को जवाब भी देने का कार्य करते थे !

 

इस पत्र के एक सम्पादकीय में उन्होंने लिखा कि यदि तिलक अछूतों के बीच पैदा होते तो यह नारा नहीं लगाते कि ‘‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’’ बल्कि वह यह कहते कि ‘‘छुआछूत का उन्मूलन मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है।’’ इस पत्र ने भी बहुजन जागृति का महत्वपूर्ण कार्य किया ! आधुनिक भारत के युगप्रर्वतक बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी ने शोषित समाज में जागृति लाने के लिए कई पत्र एवं पत्रिकाओं का प्रकाशन एवं सम्पादन किया ! इन पत्र-पत्रिकाओं ने बाबा साहेब अम्बेडकर जी के बहुजन आंदोलन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया,सथियों अगर देखा जाय तो बाबा साहेब ही बहुजन पत्रकारिता के आधार स्तम्भ हैं !

 

वे बहुजन पत्रकारिता के प्रथम संपादक, संस्थापक एवं प्रकाशक हैं उनके द्वारा संपादित पत्र आज की पत्रकारिता के लिए एक मानदण्ड है…

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