श्री हनुमान प्राकटेत्सव विशेष
सागर। आपने चित्रों में अवश्य ही पर्वत लेकर उड़ते हुये हनुमान जी के दर्शन किये होंगे। अब सागर में उड़ते हुये हनुमान जी की विशाल प्रतिमा आकार ले रही है। करीब 51 फुट की ऊंचाई पर 21 फुट की प्रतिमा निर्माण का काम करीब 3 महीने से चल रहा है। सागर जिले में देवरीकलां के पास स्थित श्री परमहंस आश्रम अमृत झिरिया के परिसर में स्थानीय कलाकारों द्वारा ही प्रतिमा के आधार से लेकर संपूर्ण सांचे को मूर्तरूप दिया गया है। किसी भी तकनीकी विशेषज्ञ की मदद के बिना स्थानीय कारीगरों और सेवकों द्वारा प्रतिमा को आकार दिया जा रहा है। पूर्व में आशा की जा रही थी कि श्री हनुमान प्राकटेत्सव पर 6 अपै्रल को पूर्ण रूप देकर आयोजन किया जाये। परंतु किन्हीं कारणों से वर्तमान में निर्माण कार्य अंतिम चरण में चल रहा है और इसी माह के अंत तक विश्व के पहले उड़ते हुये हनुमान जी की प्रतिमा साकार हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि उड़ते हुये हनुमान जी किसी कार्य में सफलता में तेजी दर्शाते है। आपने तमाम स्थानों पर कहीं लेटे हुये तो कहीं खड़े हनुमान जी के दर्शन किये । बैठी हुईं प्रतिमाएं तो जगह-जगह है। लेकिन यह सुखद है कि सागर जिले में ही अब उड़ते हुये हनुमान जी के दर्शन सुलभ होंगे।
सागर में आकार ले रहे विश्व के पहले उड़ते हनुमान जी
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