हजारों की संख्या में राधा कृष्ण मंदिर पहुंचे श्रद्धालु
टीपुर जलाकर की एतिहासिक मेले की शुरुआत
पांच दिन तक चलेगा मेला
सुशील उचबगले की रिपोर्ट
तिरोड़ी बालाघाट—शहर से 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम जराहमोहगांव के सलिला चंद्रभागा तट पर -महाविष्णु- यज्ञ की पावन धरा पर-स्वयं भगवान राधा- कृष्ण ने अपना मंदिर बनवाया है। ऐसी मान्यता नहीं इसे बुजुर्ग हकीकत ही मानते हैं। यहां पर हर साल कार्तिक पूर्णिमा में पांच दिवसीय मेले का भव्य आयोजन भी होता आ रहा है , इस साल भी यही क्रम यहां पर जारी है, पूरी श्रद्धा के साथ आसपास के हजारों श्रद्धालु भक्त एवं गांव के लोग यहां पर आकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं कार्तिक पूर्णिमा के देर शाम टीपुर जलने के साथ ही ऐतिहासिक मेले की शुरुआत की है । पुजारी जवाहरलाल पंचेश्वर ने बताया कि मंदिर में प्रथम दिन हजारों श्रद्धालुओं ने सुबह से शाम तक पूजा अर्चना की रात्रि में 151यजमानो ने पंडित आशीष तेलंग एवं पंडित राम बिहारी शुक्ला ने मंगलाष्टक वेदों युक्त मंत्र उच्चारण कर राधा कृष्ण मंदिर में त्रिपुर उत्सव मनाया गया/आज दूसरे दिन बड़ी संख्या में ग्रामवासी गंगा मैया में श्रद्धा की डुबकी लगाकर गंगा मैया की आरती कर परंपरा अनुसार दीपदान किया जाता है। प्राचीन मान्यता है कि- लगभग 600 वर्ष पहले लालबर्रा रामजी टोला के मरार जाति के निर्धन व्यक्ति बंग महाजन पंचेश्वर को भगवान ने स्वप्न दिया कि- तू मेरा मंदिर जराहमोहगांव एवं अपने गांव में बना , स्वप्न में ही उसने भगवान से कहा हे प्रभु मैं गरीब आदमी हूं मेरी एक पत्नी और एक पुत्र है मैं रोज कमाता खाता हूं मेरे पास मंदिर बनाने के लिए पैसे नहीं है भगवान उसे कहते हैं कि तू काम शुरू कर मैं पैसे दूंगा उस व्यक्ति ने सुबह उठकर गांव के पटेल महाजनों से अपने सपने की चर्चा की उसकी बात सुनकर लोगों को आश्चर्य हुआ एवं उसका विश्वास ना करते हुए लोग मजाक समझने लगे उस व्यक्ति ने उन लोगों से आग्रह किया कि इसे मजाक मत समझो विश्वास मानो मुझे मंदिर बनाने के लिए जमीन बताओ भगवान की दया से मैं मंदिर बनवाऊंगा अंततः माल गुजरने जमीन दे दी उसने मालगुजार से कहा मजदूर लगा दो और मंदिर की नींव खोद दो काम शुरू हो गया भगवान ने उसे फिर स्वप्न दिया और कहा तेरे घर में एक हांडी में पैसे हैं मजदूरों को मजदूरी दे देना मजदूर उसके पास जाते वह व्यक्ति उस हांडी में हाथ डालता और मजदूरों को पैसा दे देता अब लोगों को विश्वास हो गया काम जोरों से शुरू हो गया मजदूर रोज काम करते और रोज मजदूरी लेते जब भगवान का मंदिर बन गया तब उसे भगवान ने फिर स्वप्न दिया कि तू अपना भी एक मंदिर बना वहां मंदिर निर्माणकर्ता भक्त के नाम से रहेगा उसने दूसरे मंदिर का भी निर्माण किया और भगवान की प्रेरणा से दोनों मंदिर के बीच एक कुआं बनवाया और मंदिर में मूर्ति स्थापित की फिर भी उसके पास पैसा बच गया बचे हुए पैसे को उसने उसे कुएं में डाल दिया मान्यता यह भी है कि वह पैसा वर्तमान में शेषनाग बनाकर मंदिर व ग्राम की रक्षा करता है/तब से लेकर ग्राम जराहमोहगांव आस्था व श्रद्धा का पूजा स्वामी के नाम से जाना जाता है लाखों श्रद्धालुओं की इच्छाएं पूरी होती है गौरतलाप है कि प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कथा पूजन टीपू उत्सव पर्व एवं पांच दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जहां दूर-दूर से आए लोग -अपने दुकान लगाते हैं 5 दिनों तक इस मंदिर में भक्तों का ताता लगा रहता है भगवान से आस्था व श्रद्धा से जो भी मांगे वही फल मिलता है और वे सभी श्रद्धालु भक्त कार्तिक पूर्णिमा में कथा पूजन करते हैं इस राधा-कृष्ण भगवान के मंदिर में विगत 40 वर्ष पूर्व मंदिर में रामायण पढ़ने हेतु श्री डीपी मिश्रा गुरुजी एवं मूलचंद नागेश्वर को मंदिर प्रांगण में ही एक जहरीले बिच्छू ने काट दिया था किंतु वे भक्त रामायण पढ़ते रहे लेकिन इन्हें कुछ भी नहीं हुआ ऐसे ही तात्कालिक घटना विगत दिनांक 28 में 2009 को दोपहर 2:30 बजे वैसाख पूर्णिमा के दिन स्वयं कृष्ण भगवान की मुरली की धुन ग्राम वासियों ने सुनी तथा इस दिन में भयंकर तूफान बादलों की गड़गड़ाहट भी हुई लेकिन किसी भी प्रकार की कोई नुकसान नहीं हुआ