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Google: चार साल का इंतज़ार खत्म अब गूगल को भरना होगा 20.24 करोड़ जानिए क्यों एंड्रॉयड टीवी बना गूगल के लिए मुसीबत

Google: गूगल और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग यानी CCI के बीच चल रहा चार साल पुराना केस अब आखिरकार निपट गया है। यह केस एंड्रॉयड टीवी सेगमेंट में अनफेयर बिजनेस प्रैक्टिस को लेकर दायर किया गया था। गूगल पर आरोप था कि उसने स्मार्ट टीवी सेक्टर में अपनी पोजिशन का गलत इस्तेमाल किया है। अब कंपनी ने इस केस को निपटाने का फैसला कर लिया है और इसके लिए गूगल ने 20.24 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।

गूगल ने पहली बार किया कोई केस सेटल

यह पहला मौका है जब गूगल ने किसी मामले को सेटल किया है। साल 2023 में CCI ने अपने नियमों में बदलाव किया था जिसमें सेटलमेंट और कमिटमेंट का प्रावधान जोड़ा गया था। इसके बाद गूगल की तरफ से सेटल किया गया यह पहला मामला है। इस केस की शुरुआत 2021 में हुई थी जब CCI को गूगल के खिलाफ शिकायत मिली थी। शिकायत में कहा गया था कि गूगल एंड्रॉयड टीवी मार्केट में प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचा रहा है।

Google: चार साल का इंतज़ार खत्म अब गूगल को भरना होगा 20.24 करोड़ जानिए क्यों एंड्रॉयड टीवी बना गूगल के लिए मुसीबत

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार इस केस के लगभग चार साल तक चलने के बाद CCI ने गूगल को न्यू इंडिया एग्रीमेंट के तहत एक सेटलमेंट का प्रस्ताव दिया जिसे गूगल ने मान लिया है। इसके तहत गूगल अब भारत में बिकने वाले स्मार्ट टीवी के लिए प्ले स्टोर और प्ले सर्विसेज की एक अलग स्टैंडअलोन लाइसेंस देगा। इसका मतलब है कि अब किसी टीवी में इन सेवाओं को जबरन जोड़ने की जरूरत नहीं होगी और न ही गूगल किसी डिफॉल्ट प्लेसमेंट की शर्त रखेगा।

अब ओईएम बना सकेंगे अपनी शर्तों पर टीवी

इस समझौते के तहत गूगल अब ऐसे टीवी डिवाइस पर भी रोक नहीं लगाएगा जो गूगल ऐप्स के बिना भारत में बेचे जा रहे हैं। अब कोई भी निर्माता यानी OEM बिना गूगल की एंड्रॉयड कंपैटिबिलिटी कमिटमेंट (ACC) के भी स्मार्ट टीवी बना सकता है और उन्हें बेच सकता है। इस फैसले से उन कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी जो अपनी पसंद के अनुसार टीवी डिजाइन करना चाहती थीं लेकिन गूगल की शर्तों के कारण ऐसा नहीं कर पा रही थीं।

इस फैसले के बाद CCI ने इस केस को आधिकारिक तौर पर निपटा दिया है और गूगल को 20.24 करोड़ रुपये की राशि जमा करने का निर्देश दिया है। ध्यान देने वाली बात यह है कि गूगल केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में अपनी डिजिटल मोनोपॉली यानी एकाधिकार के आरोपों का सामना कर रहा है। उस पर यह आरोप है कि वह अपनी ताकत का दुरुपयोग कर रहा है जिससे छोटे और नए व्यवसायों को नुकसान हो रहा है।

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