Benefits of Kafal: अगर आपने कभी पहाड़ी लोकगीत “बेडू पाको बारो मासा नरण काफल पाको चैता मेरी छे ला” सुना है तो आपने काफल का नाम जरूर सुना होगा। यह वही फल है जिसका स्वाद हर पहाड़ी की जुबान पर रहता है। काफल एक जंगली फल है जो केवल उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में पाया जाता है। यह फल बहुत ही स्वादिष्ट होता है और इसमें कई गुण होते हैं। यह देखने में मुलबरी यानी शहतूत जैसा लगता है लेकिन इसका स्वाद थोड़ा खट्टा होता है।
पहाड़ों की प्राकृतिक सौगात
काफल उन फलों में से एक है जो केवल पहाड़ों में ही पाया जाता है। यह आम फलों की तरह बाजार में हर मौसम में नहीं मिलता। यह केवल कुछ ही महीनों के लिए उपलब्ध होता है और यही इसे खास बनाता है। यह फल नैनीताल अल्मोड़ा रानीखेत रुद्रप्रयाग चमोली पिथौरागढ़ बागेश्वर और चंपावत जैसे ठंडे इलाकों में पाया जाता है। बारिश के बाद इसका स्वाद और भी मीठा हो जाता है जिससे यह लोगों को अपनी ओर खींचता है।
कीमत भी है खास
काफल की खासियत यह भी है कि यह बहुत महंगा बिकता है। यह फल ₹400 से ₹500 प्रति किलो तक बिकता है। गर्मियों में स्थानीय लोग जंगलों से इसे तोड़ते हैं और फिर इसे मैदानों में बेचते हैं। इसका स्वाद तब और भी बढ़ जाता है जब इसे चटपटी पिसी हुई नमक के साथ खाया जाए। पर्यटक भी इसे खाने के लिए बेहद उत्साहित रहते हैं और इसे स्थानीय बाजारों में खोजते हैं।
अद्भुत और दुर्लभ फल
काफल का पेड़ आम जगहों पर नहीं उगता और यही वजह है कि यह फल इतना दुर्लभ है। यह सिर्फ पहाड़ी जंगलों में अपने आप उगता है। इसको कहीं और उगाना बेहद मुश्किल होता है इसलिए यह पूरे साल नहीं मिलता बल्कि साल में केवल दो महीने ही इसका स्वाद लिया जा सकता है। इसके फलने का समय भी बहुत सीमित होता है और यही वजह है कि यह फल लोगों के बीच एक विशेष आकर्षण बन गया है।
सेहत के लिए वरदान
काफल स्वाद में जितना अच्छा होता है सेहत के लिए भी उतना ही फायदेमंद होता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इसे खाने से घुटनों के दर्द में राहत मिलती है और पाचन तंत्र मजबूत होता है। यह फल अल्सर डायरिया खून की कमी गले की खराश और बुखार जैसी समस्याओं से बचाव करता है। अगर आप कभी पहाड़ी इलाकों की सैर पर जाएं तो इस फल का स्वाद जरूर लें क्योंकि यह केवल स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत भी देता है।