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Bhool Chuk Maaf Movie Review: छोटे शहर की बड़ी बात! मौज-मस्ती में छुपी है जिंदगी की सबसे सच्ची सीख

Bhool Chuk Maaf Movie Review: ‘भूल चूक माफ’ एक ऐसी फिल्म है जो दिल से जुड़ती है और मन को सुकून देती है। इस फिल्म में कोई भारी भरकम संदेश नहीं है और न ही किसी तरह का टिपिकल रोमांस दिखाया गया है। बनारस की रंगीन गलियों की खूबसूरती और कहानी की सादगी इसे खास बना देती है। राजकुमार राव और वामीका गब्बी की जोड़ी में प्यार का एहसास है पर कहानी की ताकत उसके छोटे छोटे टकरावों में है। यह फिल्म उन छोटी गलतियों की बात करती है जो हम सभी करते हैं और फिर उन्हें समझ कर सुधारने की कोशिश करते हैं।

जब हर दिन बन गया हल्दी वाला दिन

फिल्म की कहानी रंजन नाम के एक साधारण लड़के की है जो छोटे शहर से है। वह तितली नाम की लड़की से प्यार करता है और उससे शादी करना चाहता है पर तितली के पिता की शर्त होती है कि रंजन को दो महीने के अंदर सरकारी नौकरी चाहिए। रंजन नौकरी पाकर शादी की तैयारी करता है पर तभी वह एक टाइम लूप में फंस जाता है जहां हर दिन हल्दी का ही दिन होता है। हर बार वह लोगों से माफी मांगता है और अपनी गलती को सुधारता है। अब सवाल ये है कि क्या वह इस टाइम लूप से निकल पाएगा और तितली से शादी कर पाएगा या नहीं। यही फिल्म की असली जान है।

इस फिल्म की खासियत उसका साफ-सुथरा ह्यूमर है जो न तो अश्लील है और न ही जबरदस्ती हँसाने वाला है। हर सिचुएशन और पंचलाइन इतनी नेचुरल है कि अपने आप हँसी आ जाती है। डायरेक्टर करण शर्मा ने कहानी को जिस सादगी और गहराई से पेश किया है वह तारीफ के काबिल है। 121 मिनट की फिल्म कहीं भी लंबी नहीं लगती और हर किरदार को पूरी ईमानदारी से पेश किया गया है। बनारस की लोकल खुशबू कैमरे में इतनी खूबसूरती से उतारी गई है कि लगता है जैसे हम खुद वहां मौजूद हैं।

जब संगीत बन गया बनारस की रूह

इस फिल्म की आत्मा उसका लेखन और संगीत है। करण शर्मा की लिखी कहानी में ह्यूमर के साथ सामाजिक सच्चाई और पारिवारिक रिश्तों की गहराई भी है। फिल्म में हर किरदार का एक उद्देश्य है और उनकी अपनी कहानी है। ‘टिंग लिंग सजना’ और ‘चोर बाज़ारी’ जैसे गाने सिर्फ सुनने के लिए नहीं हैं बल्कि कहानी का हिस्सा हैं। संगीत में बनारस की गूंज इतनी गहराई से रची बसी है कि लगता है शहर खुद एक किरदार है।

राजकुमार राव एक बार फिर साबित करते हैं कि वो इमोशन और कॉमेडी दोनों में बेजोड़ हैं। रंजन के किरदार में उनका भावनात्मक संतुलन और कॉमिक टाइमिंग लाजवाब है। वामीका गब्बी की तितली के किरदार में ताजगी है और यह उनका पहला कॉमिक रोल होने के बावजूद उन्होंने कहीं भी अनुभवहीनता नहीं दिखाई। संजय मिश्रा का ‘भगवान भैया’ का किरदार कहानी में मस्ती और सोच दोनों लाता है। सीमा पाहवा और रघुवीर यादव जैसे कलाकार भी फिल्म को जानदार बनाते हैं।

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