How To Clean Ear Wax: बारिश का मौसम जहां सुकून देता है, वहीं यह कई तरह की शारीरिक समस्याएं भी लेकर आता है। अक्सर लोग इस मौसम में कान दर्द, कम सुनाई देना, खुजली या सीटी जैसी आवाजें महसूस करते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण होता है कान में जमा अतिरिक्त मैल जिसे आम भाषा में ‘ईयर वैक्स’ कहा जाता है। यह वैक्स सामान्य रूप से कान के बाहरी हिस्से में होता है और कान को धूल-मिट्टी व पानी से बचाने में मदद करता है। लेकिन जब यह सूख जाता है या अधिक मात्रा में जमा हो जाता है, तो यह संक्रमण और दर्द का कारण बन सकता है।
कई लोग बालों की पिन, तीली, कॉटन बड्स या उंगलियों से कान की सफाई करने की आदत में होते हैं। कुछ लोग तो स्थानीय सफाई करने वालों से भी कान साफ करवाते हैं। लेकिन यह आदत खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसा करने से मैल और अधिक अंदर धकेल दिया जाता है जो ईयर कैनाल में जाकर गंभीर इन्फेक्शन या सुनने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, ऐसी हरकतें कान के पर्दे तक को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
घर पर कान की देखभाल कैसे करें?
डॉक्टरों की सलाह है कि कान की सफाई के लिए घर पर कोई नुकीली या ठोस वस्तु का प्रयोग न करें। यदि कान में खुजली या भारीपन महसूस हो रहा हो, तो सबसे पहले डॉक्टर से परामर्श लें। इसके अलावा, बाजार में मिलने वाले ईयर ड्रॉप्स का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से किया जा सकता है। यह ड्रॉप्स कान के सूखे मैल को नरम करके उसे धीरे-धीरे बाहर निकालने में मदद करते हैं। इसके साथ ही घर पर थोड़ा गुनगुना जैतून का तेल भी डाला जा सकता है जो मैल को घोलने में सहायक होता है।
जैतून के तेल से करें प्राकृतिक सफाई
अगर आप घरेलू उपायों पर भरोसा करते हैं तो जैतून का तेल आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। दिन में एक बार 2-3 बूंदें जैतून के तेल की कान में डालने से जमा हुआ मैल धीरे-धीरे मुलायम हो जाता है और खुद-ब-खुद बाहर निकल आता है। यह तरीका पूरी तरह से प्राकृतिक है और इससे कान के भीतर किसी प्रकार की हानि की संभावना कम होती है। ध्यान रहे कि यह उपाय भी डॉक्टर की सलाह से ही अपनाएं।
अगर आप लगातार कान में दर्द, सुनने में कमी, या बार-बार सीटी जैसी आवाजें महसूस कर रहे हैं, तो इसे हल्के में बिल्कुल न लें। ऐसे लक्षण गंभीर संक्रमण या वैक्स ब्लॉकेज का संकेत हो सकते हैं। डॉक्टर एक विशेष उपकरण से कान की सफाई करके समस्या को सुरक्षित रूप से दूर कर सकते हैं। साथ ही जरूरत पड़ने पर दवाएं भी दी जाती हैं। खुद से कुछ भी करने से बचें क्योंकि कान शरीर का बेहद संवेदनशील अंग होता है।