बारिश से हजारों हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद, किसान अब सड़क पर
सुशील उचबगले
गोरेघाट तिरोड़ी
पठार क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से लगभग हजारों हेक्टेयर धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। किसान की एक मात्र जीवन यापन का जरिया धान की फसल अब पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है जब किसान ने धान का रोपा लगाया तब महंगा बीज लाकर बोया, कुछ ही दिनों में उस रोपे में बीमारी लगने लगी फिर उस रोपे में हजारों रुपए की दवाई डाली गई फिर धान का रोपा लगाया गया, जब रोपा 8 से 10 दिन का हुआ ही था कि उसने फिर से दवाई डालनी पड़ी और दवाई के साथ साथ खाद भी डाली गई। बस धान का रोपा लगाने को 1 महीना भी नहीं हुआ था कि फिर धान में बीमारी लगने लगी, फिर से किसान ने दवाई का उपयोग कर बीमारी पर नियंत्रित किया। मगर दवाई का उपयोग बस कुछ दिन असर रहने के बाद बार इसका उपयोग किया जा रहा है जिससे किसान परेशान है कि आखिर एक फसल में कितनी दवाई का उपयोग करे और ऊपर से दवाई की कीमत भी बहुत ज्यादा। अब जब फसल काटने पर आई तो बारिश ने ऐसा कहर ढाया कि कुछ किसान ने जैसे तैसे घर तक फसल तो ला लिए मगर उस फसल को सूखा नहीं पाए है जिससे वह धान पूरी तरह से खराब हो गया है।कुछ किसान ने फसल काट लिए है और खेतों में काटी हुई फसल पड़ी है जिसे किसान उठा भी नहीं पा रहा है। बारिश ने इतना कहर बरसा दिया है कि किसानों को सब तरफ से बर्बाद कर दिया है।किसान कर्ज लेकर खेती करता और फसल बेचकर कर्ज चुकता है मगर ऐसा लगता है कि कर्ज तो दूर खुद के परिवार का भरन पोषण करना मुश्किल है।
पटवारी कर रहे सर्वे
पठार क्षेत्र के ग्राम पंचायत गोरेघाट में पटवारी श्री मनीष जैन द्वारा खेत में मौके पर जाकर फसल बर्बाद हुई उसका सर्वे कर रहे है। जिससे किसानों को मुआवजा मिल सके। किसानों को सरकार से यही उम्मीद है कि फसल के हिसाब से उसे मुआवजा मिले ताकि किसान कम से कम अपना खर्च निकाल सके।
मंहगी दवाई लेने किसान मजबूर
इन दिनों पठार क्षेत्र में जगह जगह कृषि केंद्र खुल गए है जहां मंहगी से महंगी दवाई धड़ल्ले से बेच रहे जो दवाई कम दाम में शहरों में मिल जाती है वहीं दवाई गांव में महंगे दामों में मिल रही है। कुछ जगह तो ऐसे दवाई बेच रहे है जिन्हें दवाई की कोई जानकारी नहीं है फिर भी बेचे जा रहे है।
